खबर लहरिया Blog टीकमगढ़: योजना के बावजूद कब तक बिताना पड़ेगा बिना आवास के जीवन?

टीकमगढ़: योजना के बावजूद कब तक बिताना पड़ेगा बिना आवास के जीवन?

मोहल्ले में लगभग 35 परिवार रहते हैं जिसमें से मात्र 8-9 परिवार ही ऐसे हैं जिनके पास पक्के मकान हैं। गाँव के बाकी सभी लोग कच्ची झोपड़ियों में ही रहते हैं।

हम आपको आए दिन देश के ग्रामीण इलाकों में ध्वस्त पड़ती सरकारी योजनाओं की हकीकत बताते हैं। एक ऐसी ही सरकारी योजना है प्रधानमंत्री आवास योजना जिसके अंतर्गत आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों को आवास दिलवाया जाता है। लेकिन हर योजना की तरह इस योजना में भी कई कमियां हैं। सरकार के अनुसार 2022 तक देश के हर योग्य परिवार को इस योजना का लाभ मिलने का टारगेट बनाया गया है। लेकिन ज़मीनी हकीकत तो कुछ और ही दर्शाती है।

मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले के ब्लॉक जतारा के गाँव लार खुर्द में आज भी लोग कच्चे घरों में या फिर पन्नी डालकर रहने को मजबूर हैं। गाँव लार खुर्द के रहने वाले पप्पू सपेरे का कहना है कि वो पिछले 4 सालों से आवास की आस लगाए बैठे हैं। इन्होंने कई बार आवेदन दिया, विभाग के चक्कर भी लगाए लेकिन फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ है। आवास के फॉर्म भरने के लिए ये अबतक 2 हज़ार रूपए खर्च कर चुके हैं जो कि इन गरीब परिवारों के लिए बहुत बड़ी रकम है।

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बरसात में होती है परेशानी-

गाँव लार खुर्द के रहने वाले अमती सपेरे ने बताया कि है उनके मोहल्ले में लगभग 35 परिवार रहते हैं जिसमें से मात्र 8-9 परिवार ही ऐसे हैं जिनके पास पक्के मकान हैं। गाँव के बाकी सभी लोग कच्ची झोपड़ियों में ही रहते हैं। अमती के अनुसार कच्चे घरों में रहने में सबसे ज़्यादा दिक्कत बरसात में होती है जब ज़रा सी बारिश में उनकी झोपड़ियां चूने लग जाती हैं और घरों के अंदर पानी घुंसने लगता है। हाल तो तब बेहाल हो जाता है जब घर के अंदर रखा सामान भी भीग जाता है, यहाँ तक कि बिस्तर, कपड़े भी बारिश के इस पानी की चपेट में आ जाते हैं।

गाँव के कुछ परिवारों की आर्थिक स्थिति की हालत ये है कि रोज़गार न मिलने के कारण अब वो अपनी जान जोखिम में डालकर जंगल जाते हैं और वहां से सांप पकड़ के लाकर गाँव-गाँव सांप का खेल दिखाते हैं। इस काम से भी उन्हें दिनभर में सिर्फ 100-200 रूपए ही प्राप्त हो पाते हैं। ऐसे में घर के लिए एक वक़्त की रोटी जुटा पाना ही उनका मकसद बन जाता है।

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योग्य परिवारों को छोड़, बाकी सबको मिल रहे आवास-

इन लोगों ने इन सभी परेशानियों को प्रधान से लेकर विभाग के अधिकारियों के सामने भी रखा है लेकिन फिर भी कोई मदद के लिए आगे नहीं आता। ग्रामीणों ने यह आरोप भी लगाया है कि गाँव में जिनके पास दो ट्रैक्टर और एकड़ों ज़मीनें हैं, उनको तो आवास मिल गया है, लेकिन जो पात्र परिवार हैं, उनको आवास के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही मिला है।

लार खुर्द गाँव के सचिव फूलसिंह नामदेव ने बताया कि जिन लोगों के नाम 2021 की आवास की सूची में आए थे, उनमें से लगभग 6-7 परिवारों के आवास बन कर तैयार हैं। सचिव के अनुसार गाँव में कई परिवार ऐसे भी हैं जिनको आवास तो मिल गया है एल्कीन अब उनके बेटे आवास मिलने की मांग कर रहे हैं। फिलहाल आवास मिलने के लिए 20 नए लोगों के नाम भी जोड़ दिए गए हैं, और सचिव को उम्मीद है कि उनका नाम अगली सूची में आ जाएगा।

इस खबर की रिपोर्टिंग रीना द्वारा की गयी है।

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