खबर लहरिया Blog आरसीसी की आस में लड़खड़ाती गाँव की तस्वीर

आरसीसी की आस में लड़खड़ाती गाँव की तस्वीर

आजकल जहां देखो गड्ढे दिखाई पड़ते हैं। गांव में  आरसीसी की पक्की सड़क बनती है तो दूसरे दिन किसी काम के लिए सड़क को तोड़-फोड़ दिया जाता है। बारिश के दिनों में उन रास्तों पर चलना मुश्किल सा हो जाता है। बच्चे स्कूल नहीं जा पाते तो किसान खेतों में नहीं जा पाते तरह-तरह की समस्याएं झेलनी पड़ती है।

ऐसा ही है ललितपुर जिले का सिदवाहा गाँव। जहाँ आरसीसी तो बनी है लेकिन कुछ ही महीनों में उजर गई। करीब 1 किलोमीटर दूरी की स्थिति ऐसी है की लोगों का निकलना मुश्किल हो रहा। राकेश कुमार का कहना है कि हम लोग इस रास्ते से बहुत ही परेशान हैं 1 दिन में कम से कम 1000 साधन निकलता है यहां से और दूसरे गांव के लिए रास्ता गई है। इस वजह से दिनभर आवागमन बना रहता है फिर भी आरसीसी रोड नहीं बन रहा है। हम लोग बहुत ही परेशान हैं पर हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। कई बार दरखास लगा चुके हैं कई बार प्रधान से कह चुके हैं पर आज तक किसी ने सुनवाई नहीं की। सड़क के गड्ढो में पानी भर जाने से सड़के तालाब बन गई हैं।

छन्नू का कहना है कि हमारे बच्चे स्कूल जाते हैं गिरते हैं ड्रेस ख़राब हो जाते हैं। हर रोज यही स्थिति बनी रहती है।  आरसीसी सड़क बनाने के लिए कई बार प्रधान से कहा है पर सुनवाई नहीं होती ऐसी सड़क देखकर गाँव की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितना विकास हुआ है। क्या हमारे गाँव के लिए बजट नहीं आया है? जो इस तरह की स्थिति बनी हुई है। करीब 10 साल से ऐसा ही देख रहे हैं हम लोगों को चाहे बारिश का मौसम हो चाहे गर्मियों का इसी तरह कीचड़ मचा रहता है।

यही हाल चित्रकूट जिले के ब्लाक पहाड़ी, गांव परसौजा, भोला का पुरवा का है जहाँ लोगों का निकलना मुश्किल हो रहा है। यहाँ के निवासी महेश  का कहना है कि हमारे गांव में लगभग 50 सालों से कोई विकास नहीं हुआ है बच्चे स्कूल नहीं जा पाते मरीज को लेकर तीन किलोमीटर पैदल जाना पड़ता है। जानवर तो निकाल नहीं पाते इतना कीचड़ है सडक में। गाँठ-गांठ भर कीचड़ है उसमें चारा पानी लेकर नहीं चल सकते बच्चे स्कूल जाते हैं तो स्कूल पहुँच कर कीचड़ धुलते हैं फिर कहीं पढ़ाई कर पाते हैं। कभी -कभी तो पेंट उतारकर कंधे पर रखकर स्कूल जाते हैं फिर स्कूल पहुंचकर पहनते हैं। 

सुधीर यादव ने बताया की कहते तो हैं लेकिन करते नहीं प्रधान हेमलता पाण्डेय कहती हैं बनेगा पर कब ये नहीं पता। कभी कहते हैं बरसात निकाल जाने दो कभी कुछ कभी कुछ बोलकर टाल देते हैं। यहाँ की स्थिति यहाँ के बीमार लोग या जो बच्चे हैं सबने बखूबी समझा है इसलिए लोगों में दर्द है कि चुनाव के टाइम तो सब भैया दादा बन जाते हैं लेकिन जीतने के बाद पहचानते नहीं हैं।  

ऐसा ही हाल वाराणसी जिले के ब्लाक हरहुआ, गाँव शिवपुर से भवानीपुर जाने वाली सड़क का है जहाँ लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर तक सड़क खराब है। यहाँ के लोगों का कहना है कि इस सड़क से आये-दिन हादसा होता है। बच्चे तो गिर जाते है लेकिन यहाँ कोई नहीं आते देखने के लिए। प्रधान नत्थू यादव का कहना है कि मैंने भी अधिकारी के यहाँ कई बार लिखित दिया है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है। आपको बता दें कि इस सड़क से कई हजारों लोग दिन में निकलते हैं गाड़ियाँ निकलती हैं हमेशा हादसे का डर बना रहता है।

भारत सरकार ने 25 दिसंबर 2000 को प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का प्रमुख उद्देश्‍य ग्रामीण इलाकों में 500 या इससे अधिक आबादी वाले (पहाड़ी और रेगिस्‍तानी क्षेत्रों में 250 लोगों की आबादी वाले गांव) सड़क-संपर्क से वंचित गांवों को बारहमासी सड़कों से जोड़ना है। इस स्कीम का सबसे बड़ा फायदा गांवों को होगा, जहां छोटे किसान शहरों से सीधे जुड़ सकेंगे लेकिन इस गाँव में अभी भी सड़क निर्माण नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में सड़कों को सही रखना यानि अगर किसी तरह की परेशानी से सड़क खराब होती है तो उसका भी ख्याल रखा जाएगा।

ये सिर्फ एक गाँव का उदहारण है आपको अकसर ऐसी स्थिति देखने को मिल जायेगी। चुनाव के समय हर प्रधान का मुद्दा होता है गाँव का विकास लेकिन जितने के बाद गाँव की स्थिति पर कोई विकास नहीं होता। 5 सालों में जो-जो वादे पुरे करने की कसमें खाई होती हैं उनमे से कितनी पूरी होती हैं ये गाँव की स्थिति देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है।