चित्रकूट जिले के एक गाँव में उन लोगों को राशन नहीं दिया जा रहा है जिसने कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाई है।
जिला चित्रकूट ब्लॉक रामनगर, गाँव रामनगर में कोटेदार द्वारा राशन वितरण किया जा रहा है। गाँव के भोला नाम के व्यक्ति का कहना है कि गल्ला वितरण के लिए 2 दिन का समय होता है। वहीं सरकार ने यह नियम दे दिया है कि जिसने वैक्सीन लगवाई है सिर्फ उसका प्रमाण दिखाने के बाद ही उन्हें राशन दिया जाएगा। भोला कहते हैं, नियम के बारे में किसी को भी पहले जानकारी नहीं दी गयी थी। अब उन्हें वापस दो किलोमीटर चलकर घर जाना पड़ेगा और अगले दिन ही वह आ पाएंगे।
आपको बता दें, सरकारी केंद्र में स्वास्थ्य विभाग की टीम को भी बिठाया गया है जो वहां आये लोगों का कोरोना टीकाकरण करेंगे। भोला ने बताया कि, एक-दो इलाकों में तो किसी ने भी वैक्सीन नहीं लगवाई है। जिसने कोरोना का टीका नहीं लगवाया सिर्फ उसे राशन नहीं मिल रहा है।
सोनिया नाम की महिला कहती हैं उन्हें पहले भी कोटा नहीं मिलता था। अब मिलने लगा है तो कोरोना वैक्सीन की पर्ची लाने को कहा जा रहा है जिससे उन लोगों को काफी दिक्क्तें हो रही है। सोनिया ने कहा,वैक्सीन लगाने से कई तरह की बिमारियां हुई हैं। डर भी है लेकिन उन्होंने वैक्सीन लगवा ली है और पर्ची लेकर आईं हैं। वहीं जिसने वैक्सीन नहीं लगवाई, वह बहुत परेशान हैं।
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टीकाकरण का है इंतज़ाम – एएनएम
संविदा स्वास्थ्य केंद्र की एएनएम सावित्री देवी से हमारी बात हुई। वह बताती हैं कि लोगों को वैक्सीन लगवाने का इंतज़ाम किया गया है। जिसने वैक्सीन नहीं लगवाई है वह लगवा सकता है और पर्ची लेकर अपना राशन आराम से ले सकता है। वह सुबह से बैठीं हैं पर किसी ने कोरोना का टीका नहीं लगवाया। वहीं कई लोगों ने कहा कि उनके तीन महीने पूरे नहीं हुए हैं इसलिए वह वैक्सीन नहीं लगवा सकतें।
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सरकारी नियम से करते हैं काम – कोटेदार
गांव के कोटेदार लाल बहादुर कहते हैं कि सरकारी नियम के हिसाब से ही वह काम करते हैं। उनका क्या है, उनका काम तो बस गल्ला (राशन) वितरण का है। लोग कोरोना टीकाकरण की पर्ची जमा करें और अपना गल्ला ले जाए। यहां तकरीबन 300 लाभार्थी है। उनकी पूरी कोशिश है कि सबको राशन मिले।
आपको यह भी बता दें, अगर परिवार में से किसी ने भी कोरोना का टीका लगवाया है और उसका नाम राशन कार्ड पर है तो लोग उनके कोरोना टीकाकरण की पर्ची जमा करके भी राशन ले सकते हैं।
माना, कोरोना टीकाकरण ज़रूरी है लेकिन यहां प्रशासन की तरफ से काफी लापरवाही देखी गयी। पहला यह कि लोगों को यह नहीं बताया गया कि राशन लेने के लिए कोरोना वैक्सीन का लगा होना और उसकी पर्ची लाना ज़रूरी है। जिन ग्रामीणों के पास वैक्सीन लगे होने की पर्ची नहीं थी, उन्हें वापस लौटना पड़ा। गल्ला सिर्फ दो दिन बंटता है और उन्हें यह डर सताता है कि अगले दिन उन्हें राशन मिल पायेगा भी या नहीं ? दूसरा यह कि जो व्यक्ति अभी भी कोरोना का टीका लगाने से घबरा रहे हैं या उनके परिवार में किसी ने कोरोना का टीका नहीं लगाया तो क्या उन्हें राशन नहीं दिया जाएगा। यह तो ज़बरदस्ती वाली बात हो गयी। क्या ज़बरदस्ती से किसी के मन के डर को खत्म किया जा सकता है ?
इस खबर की रिपोर्टिंग सहोदरा द्वारा की गयी है।
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