खबर लहरिया Blog बांदा: गाँव के विकास और मजदूरी का भुगतान न होने को लेकर अनशन पर बैठे ग्रामीण

बांदा: गाँव के विकास और मजदूरी का भुगतान न होने को लेकर अनशन पर बैठे ग्रामीण

अनशनकर्ताओं ने बताया कि जो काम हो भी गए हैं लोगों को उसकी मजदूरी अभी तक नहीं मिल पाई है जिससे वह काफी परेशान हैं।

जिला बांदा के ब्लॉक बिसंडा के ग्राम पंचायत बीरी बिरहण की महिला वार्ड सदस्य सहित कई अन्य लोग गाँव के विकास और मजदूरी का भुगतान न होने को लेकर 15 नवंबर से अशोक लाट तिराहे पर अनशन पर बैठ गए हैं।

लोगों का कहना है कि उनका गाँव सभी विकास कार्यों से पिछड़ा हुआ है कई पंचवर्षीय बीत गए लेकिन विकास कार्य पूरी तरह से नहीं हो पाया है। लोगों का कहना है कि इस पंचवर्षीय में जो प्रधान हैं, उन्होंने ग्राम विकास अधिकारी के साथ मिलकर कई काम शुरू तो करवाए लेकिन उसमें से कुछ काम अधूरे पड़े हैं और कुछ हो भी गए हैं। अनशनकर्ताओं ने बताया कि जो काम हो भी गए हैं लोगों को उसकी मजदूरी अभी तक नहीं मिल पाई है जिससे वह काफी परेशान हैं।

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नहीं मिला शौचालय निर्माण का चेक-

वार्ड सदस्य शशि यादव बताती हैं कि संतोष यादव के खेत में समतलीकरण का कार्य जुलाई और अगस्त के महीने में लगभग 20 मजदूरों ने किया था, जिसका भुगतान प्रधान और सचिव के द्वारा नहीं किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ग्राम सचिव के द्वारा कुछ ग्रामीणों को साधना सन ऑफ प्रेमचंद्र के नाम से शौचालय निर्माण के लिए दिनांक 13/12/ 2020 को चेक भी दिया गया था, लेकिन ग्राम सभा का खाता बंद होने के कारण भुगतान नहीं हो पाया। ग्रामीण अब नया चेक मिलने की भी मांग कर रहे हैं।

बता दें कि कुछ लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि एक गुप्त मीटिंग के ज़रिए ग्राम सभा में पक्के कार्य के प्रस्ताव में आधे से अधिक ग्राम पंचायत सदस्यों के फर्जी हस्ताक्षर कर कार्य कराया जा रहा है। ग्राम सभा में बन रहे पंचायत भवन के लिए मटेरियल आपूर्ति सप्लायर का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है। इन सभी कारणवश मजबूर होकर इन लोगों ने अनशन में बैठने का फैसला लिया।

जहाँ एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार विकास को लेकर बडे़- बड़े दावे करती है और महिला सशक्तिकरण पर जोर देती है। वहीं दूसरी तरफ एक सप्ताह से लगातार महिलाएं रात दिन अनशन पर बैठी हैं, लेकिन उन्हें किसी प्रकार की सहायता या सुरक्षा नहीं मिल रही है और न ही कोई अधिकारी अबतक यहाँ आया है।

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मज़दूर कर रहे हैं मज़दूरी के भुगतान की मांग-

कलावती और अमन कुमार बताते हैं कि वो मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। उनके गाँव में जब खेत में समतलीकरण का काम चल रहा था तो उन्होंने जी जान लगाकर मेहनत कर लगभग 1 महीने तक खेत में काम किया था। लेकिन इस काम को बंद हुए लगभग 4 महीने बीत चुके हैं परंतु अबतक मज़दूरी का भुगतान नहीं किया गया है। मजदूरी पाने के लिए वह लोग दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं। जब ये मजदूर पूरा दिन काम करते हैं तब जाकर उनके घर का चूल्हा जलता है।

उस समय उनको लगातार लगभग 1 महीने काम मिला था जिसके बाद ये लोग काफी खुश हो गए थे और उन्हें लगा था कि अब उनके गाँव में विकास के साथ-साथ लोगों रोजगार भी मिलेगा। लेकिन काम करने के बाद पैसा ना मिलने से उनके घरों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से बिगड़ चुकी है। इन लोगों ने कई बार पैसे की मांग के लिए प्रधान, सचिव और बीडीओ से सिफारिश की लेकिन कहीं से कोई राहत नहीं मिली। ये लोग किसी तरह कर्ज लेकर अपने परिवार का पेट चला रहे हैं। किसी दिन घर में सब्ज़ी होती है तो तेल नहीं होता, तेल होता है तो नमक नहीं होता। इन लोगों का कहना है कि अगर इन्हें मज़दूरी का पैसा मिल
जाता तो इनकी आर्थिक स्थिति में कुछ सुधार हो जाता।

अनशन पर बैठे प्रेम चन्द्र बताते हैं कि उनके नाम पर 3 दिसंबर 2020 को शौचालय आया था जिससे परिवार जनों में खुशी की लहर दौड़ गई थी। लेकिन सरकारी खाता बंद होने के कारण उनका चेक नहीं बन पाया और अब तो शौचालय मिलने की अवधि भी खत्म हो गई है। उन्होंने कई बार इस सचिव से दूसरा चेक देने की मांग की लेकिन सचिव द्वारा उन्हें दूसरा चेक नहीं दिया जा रहा है, जिसके कारण उनका सचिवालय आधा अधूरा ही पड़ा है। क्योंकि वह मजदूर हैं और मजदूरी करके इतनी कमाई और बचत नहीं हो पा रही कि वह अपने पैसों से ही अपने घर में शौचालय की व्यवस्था कर पाएं।

बिसंडा बीडीओ का कहना है कि बीरी बिरहण में हुए विकास कार्य का मामला कोर्ट में चल रहा है और रिट (रिट या प्रादेश या समादेश का अर्थ प्रशासनिक या न्यायिक अधिकार से युक्त किसी संस्था द्वारा दिया गया औपचारिक आदेश है) भी दायर है। कोर्ट का फैसला आने के बाद ही इस मामले में कुछ कार्यवाही होगी।

इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है।

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