खबर लहरिया क्राइम महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले में नहीं होती गहराई से जांच | जासूस या जर्नलिस्ट

महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले में नहीं होती गहराई से जांच | जासूस या जर्नलिस्ट

एक तरफ सरकार महिला सुरक्षा को लेकर के बड़े-बड़े वादे करती हैं भाषण बाजी करती है और कानून बताती है तो वहीं दूसरी तरफ आए दिन महिलाएं बलात्कार और छेड़खानी जैसी घटनाओं से पीड़ित हो रही हैं। अभी हाल ही कि मैं बात करूं तो चित्रकूट जिले के रैपुरा थाना अंतर्गत आने वाले एक गांव में एक महिला के साथ 27 अक्टुबर को रेप का मामला सामने आया है लेकिन कार्यवाही के आभाव में पीड़ित महिला न्याय पाने के लिए दर-दर भटक रही है,तो क्या आप भी सुनना और जाना चाहेंगे इस घटना के पीछे का कारण है…तो आइए सुनते हैं।

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पीड़ित परिवार बताता है कि रात में छपर तोड़कर उनके घर में घुसे मोहल्ले के नरेश यादव ने महिला के मुंह के में कपड़ा बांधकर बंदूक की नोक पर उसके साथ रेप किया और फरार हो गया। जब महिला चिल्लाई तो पूरा परिवार दौड़ा। इसकी शिकायत लेकर थाने पहुंचे तो वहां पूरा दिन बैठे रहे, लेकिन उनका मुकदमा नहीं दर्ज किया गया। कवरेज के दौरान जासूसी में पीड़ित परिवर ने दबी जुबान ये भी बतया की पुलिस इस मामले में ना तो मेडिकल करा रही है और ना ही आगे कोई कार्यवाही कर रही है। उल्टे उनके ऊपर दबाव बना रही है और धमकी दे रही है कि तुम्हारे खिलाफ रिपोर्ट है अंदर कर देंगे।

हमारी कवरेज के दौरान जासूसी में पीड़ित परिवार से निकल कर आया कि 8 नवंबर को महिला को मेडिकल के लिए बुलाया गया था। घर का काम-काज छोड़कर यहां पर आई लेकिन फिर भी उसको बिना मेडिकल कराए वापस कर दिया गया। पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस दूसरे पक्ष से पैसे पा गई है जिस कारण मेडिकल नहीं करवा रही है और केस को फर्जी बता रही है। यही कारण है कि उनके केस में आगे कोई कार्यवाही नहीं हो रही और वह दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं। पीड़ित महिला ये भी बताती है कि जब आरोपी ने बंदुक की नोक से उसके साथ मुंह में कपड़ा ठूस कर घटना को अंजाम दिया तो वह चिल्ला नहीं पाई। उसका आरोप है कि विपक्षी दमन किशन के लोग हैं उससे अपनी और अपने बच्चों की जान का अभी भी उनसे खतरा है इसलिए वह चाहती है कि पुलिस उसके केस में जल्दा कार्यवाही करे क्योंकि वह कोतवाली से लेकर एसपी तक के चक्कर लगा चुकी है।

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रैपुरा कोतवाली पुलिस के अनुसार 151 के तहत मुकदमा लिखा गया है। रास्ते को लेकर दो परिवारों में विवाद हुआ है और दोनों परिवार दरखास दे रहे हैं कि यह मामला पूरी तरह फर्जी है। सवाल यह उठता है कि आखिरकार पुलिस किस सबूत के साथ कह सकती है कि यह मामला फर्जी है? क्या पीड़ित महिला का बयान इस केस के काफी नहीं है। यह तो एक जांच का विषय है और मेडिकल का भी तो आखिरकार पुलिस क्यों इस मामले की तह तक जाकर जांच नहीं कर रही और महिला की डॉक्टरी नहीं करा रही? इससे तो बस ये पता चलता है कि पुलिस भी इस केस में लीपापोती कर रही है जबकि उसे जांच की तह तक जाना चाहिए। आखिर पुलिस केस को फर्जी कैसे कह सकती है, यह एक सवाल भी खड़ा हो रहा है… तो यह थी मेरी आज की जासूसी भरी कहानी। अगली बार फिर मिलूंगी किसी मुद्दे के साथ तब तक के लिए दीजिए इज़ाज़त नमस्कार।

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