पूर्व में नीतीश कुमार की पार्टी लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनता दल के साथ सत्तारूढ़ महागठबंधन और केंद्रीय स्तर पर भाजपा का विरोध करने वाले 27 विपक्षी दलों के साथ भारत गठबंधन का भी हिस्सा थी।
जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने रविवार,28 जनवरी को नौंवीं बार बिहार के सीएम के तौर पर शपथ ली लेकिन इस बार भाजपा के सहारे के साथ। नीतीश कुमार के साथ भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा, सम्राट चौधरी और प्रेम कुमार ने भी नयी सरकार में मंत्री पद की शपथ ली। इसके अलावा पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाले हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के संतोष कुमार सुमन और निर्दलीय विधायक सुमित सिंह के अलावा जेडीयू सदस्य विजय कुमार चौधरी, विजेंद्र यादव और श्रवण कुमार ने भी शपथ ली।
जानकारी है कि मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्यों पर एक-दो दिन में फैसला हो जाएगा।
भाजपा के साथ गठजोड़ बनाने के बाद नीतीश कुमार ने X पर भाजपा और पीएम मोदी को धन्यवाद करते हुए लिखा, “मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को उनके द्वारा दी गई बधाई एवं शुभकामना के लिए अपनी ओर से और समस्त बिहारवासियों की ओर से आभार प्रकट करता हूं तथा उनके सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद देता हूं। बिहार में एन०डी०ए० गठबंधन के साथ नई सरकार का गठन हो चुका है। जनता मालिक है और उनकी सेवा करना हमारा मूल उद्देश्य है। केंद्र और राज्य में एन०डी०ए० गठबंधन की सरकार होने से विकास कार्यों को गति मिलेगी और राज्यवासियों की बेहतरी होगी।”
मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को उनके द्वारा दी गई बधाई एवं शुभकामना के लिए अपनी ओर से और समस्त बिहारवासियों की ओर से आभार प्रकट करता हूं तथा उनके सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद देता हूं। बिहार में एन०डी०ए० गठबंधन के साथ नई सरकार का गठन हो चुका है। जनता मालिक है और…
— Nitish Kumar (@NitishKumar) January 28, 2024
बता दें, पूर्व में नीतीश कुमार की पार्टी लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनता दल के साथ सत्तारूढ़ महागठबंधन और केंद्रीय स्तर पर भाजपा का विरोध करने वाले 27 विपक्षी दलों के साथ भारत गठबंधन का भी हिस्सा थी।
यह बताई इस्तीफे की वजह
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, कुमार ने रविवार को मीडिया से कहा, “मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और इस सरकार को समाप्त कर दिया है।” “मुझे चारों ओर से सुझाव मिल रहे थे। मैंने नए गठजोड़ [भारत गठबंधन] के लिए पहले वाला गठबंधन छोड़ दिया था, लेकिन स्थिति ठीक नहीं थी।”
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अपनी पार्टी के गठबंधन सहयोगियों के साथ काम करने में “कठिनाइयां” हो रही थीं। आगे कहा कि उनके इस्तीफे की सलाह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने दी थी।
“आया राम, गया राम”
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह इस घटनाक्रम से आश्चर्यचकित नहीं हैं। उन्होंने इस पूरे फेर-बदल को हिंदी के एक वाक्यांश “आया राम, गया राम” करके संबोधित किया। इसका इस्तेमाल राजनीति में बार-बार होने वाले बदलावों के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा, ”यह जानकारी हमें लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने पहले ही दे दी थी।”
नीतीश-भाजपा के पुराने गठजोड़
बता दें, नीतीश कुमार के नेतृत्व में, जनता दल (यूनाइटेड) ने पहले दो मौकों पर भाजपा के साथ गठबंधन किया था, लेकिन फिर इसके बाद दोनों बार संबंध तोड़ दिए थे। पहली बार 2013 में भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ा था जब भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए नरेंद्र मोदी को अपना प्रधान मंत्री पद का उम्मीदवार नामित किया था।
दूसरी बार, साल 2017 में जनता दल प्रमुख ने भाजपा का हाथ थामा था। इसके बाद उन्होंने नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) का साथ छोड़ते हुए, अगस्त 2022 में राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाले महागठबंधन में लौट गए। इसके बाद उन्होंने आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
स्क्रॉल की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल जनवरी में बिहार के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री ने कहा था कि वह भाजपा के साथ गठबंधन करने के बजाय मर जाना पसंद करेंगे। वहीं भाजपा ने कहा था कि कुमार के लिए उनके दरवाजे स्थायी रूप से बंद हैं। अब तो दरवाज़े भी खुलें और राजनीतिक जीवन में नए गठबंधन भी।
बता दें, बिहार विधानसभा में सदस्यों की संख्या 243 है। वहीं, वर्तमान में, राष्ट्रीय जनता दल के पास 79 विधायक हैं। उसके बाद भाजपा के पास 78 विधायक हैं और जनता दल (यूनाइटेड) के पास 45 विधायक हैं।
अब इस नये गठजोड़ के साथ आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा का बिहार में सरकार बनाने का रास्ता एक दम साफ़ दिख रहा है।
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