एमपी पंचायत चुनाव 2022 से ग्रामीण जनता को अपने गाँवों व कस्बों में विकास होने की उम्मीद है। इसके साथ ही वह चाहते हैं कि गाँवों में सड़क, पानी व शिक्षा आदि की समस्याएं इस चुनाव के बाद से दूर हो जाएं।
एमपी पंचायत चुनाव 2022 का तीसरे चरण का चुनाव 8 जुलाई 2022 को होना है। इससे पहले 25 जून को पहले चरण और 1 जुलाई को दूसरे चरण के लिए मतदान हो चुका है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में महिलाओं व पुरुषों की बढ़-चढ़कर भागीदारी देखी गयी।
छतरपुर जिले के गुलगंज वार्ड नंबर-18 से जिला पंचायत सदस्य के पद के लिए 27 वर्षीय मनोज अहिरवार चुनाव लड़ रहें हैं। मनोज दोनों पैरों से दिव्यांग हैं। यह देखा गया कि गुलगंज वार्ड नंबर-18 से 27 लोगों द्वारा फॉर्म भरा गया है जिसमें से एक फॉर्म जो मनोज अहिरवार का था सिर्फ वही अनुसूचित जाति से था। वहीं अन्य सभी फॉर्म सामान्य से थे।
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गाँव में सुविधाओं के अभाव में लड़ रहें चुनाव
गुलगंज से जिला पंचायत सदस्य के प्रत्याशी मनोज कहते हैं, उनके वार्ड में काफ़ी सारी दिक्कतें हैं और यही उनके चुनाव लड़ने का कारण भी है। वार्ड में पक्की सड़क व नाली नहीं है। पीने के पानी की सुविधा नहीं है। बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल भी नहीं है। गाँव के लोग लड़कियों को पढ़ने के लिए दूर नहीं भेजतें।
आगे कहा, “मैं सोच रहा हूँ कि मैं यहां से जीतता हूं तो मैं यहां पर सबसे पहले स्कूल की व्यवस्था करवाऊंगा।” वह चाहते हैं कि गाँव में रहते हुए सभी लड़के व लड़कियां 12 वीं तक की पढ़ाई हासिल कर सकें।”
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व्हीलचेयर पर बैठ कर रहें प्रचार
दिव्यांग प्रत्याशी मनोज अपनी व्हीलचेयर पर बैठकर घर-घर जाकर अपना प्रचार कर रहें हैं और जनता से समर्थन मांग रहें हैं। इस चुनाव में उनका चुनाव चिन्ह ‘चाभी’ है।
विकास और स्कूल खुलने की उम्मीद से समर्थन दे रहें लोग
गाँव वालों की मानें तो वह भी प्रत्याशी मनोज को ही वार्ड नंबर-18 से जितवाना चाहते हैं। लोगों ने कहा, “हम लोग इनका समर्थन करते हैं। हमारे गांव में बहुत दिक्कत है। सबसे ज़्यादा दिक्कत हमारे यहां पर बच्चों के लिए है। यहां 12वीं तक स्कूल नहीं है जिसके कारण हमारी बच्चियां पढ़ नहीं पाती हैं। इसीलिए अगर हमारे यहां पर मनोज भैया जीतेंगे तो यहां पर वह सुविधा करवाएंगे।”
मालती नाम की बच्ची ने खबर लहरिया को बताया कि उसने सिर्फ पांचवीं तक पढ़ाई की है। वह आगे बढ़ना चाहती है लेकिन उनके गाँव में 12वीं तक स्कूल नहीं है। घर वाले पढ़ने के लिए बाहर नहीं जाने देते। उसे लगता है कि अगर प्रत्याशी मनोज उसके वार्ड से जीतते हैं तो आगे की पढ़ाई करना संभव हो सकता है।
देवीदीन नाम के ग्रामीण कहते हैं कि इस चुनाव से उनकी बहुत उम्मीदें जुड़ी हुई हैं। उन्हें नहीं पता कि इस बार भी विकास का कार्य होगा या नहीं लेकिन उन्हें प्रत्याशी मनोज से काफ़ी आस है कि अगर वह जीतें तो गाँव में विकास होगा।
विकास के अभाव में बसे गाँव और कस्बे विकासशील देश में काफ़ी पिछड़े हुए हैं। सालों बाद हो रहें चुनाव ने लोगों को एक बार फिर आशा दी है कि शायद अब उनकी परेशानियों का अंत होगा। शायद अब उन्हें भी सुविधाएँ मिलेंगी। वार्ड से खड़े प्रत्याशी से अब जनता इसी विकास की उम्मीद जता रही है।
इस खबर की रिपोर्टिंग अलीमा द्वारा की गयी है।
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