गर्मी-बरसात की वजह से देश के कई राज्यों में बड़ा वायरल बुखार और डेंगू बीमारियों का खतरा। अस्पतालों में जगह नहीं।
यूपी-बिहार और एमपी के बाद अब दिल्ली-एनसीआर में भी वायरल बुखार तेज़ी से फैल रहा है। राज्य के कई अस्पतालों में वायरल बुखार से पीड़ित बच्चे भर्ती हो रहे हैं। पीड़ितों की संख्या इतनी ज़्यादा है कि अस्पताल भर चुके हैं। इण्डिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, हालत बद से बद्तर होती जा रही है और अस्पताल में बेड कम पड़ रहे हैं। द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार कई बच्चे ऑक्सिजन सपोर्ट पर हैं।
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दिल्ली में भी 100 के पार पहुंचे डेंगू के मामले
दिल्ली में भी इस साल डेंगू के मामले में बढ़ोतरी देखी गई है। 2018 के बाद सबसे ज़्यादा डेंगू के केस देखने को मिले हैं। दिल्ली के साथ एनसीआर में भी डेंगू के कई मामले सामने आए हैं। इसमें सबसे ज्यादा मामले बच्चों के हैं।
दिल्ली के मधुकर रेनबो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के डायरेक्टर और बाल विशेषज्ञ डॉक्टर नितिन वर्मा ने कहा, “हम वायरल बुखार का प्रकोप देख रहे हैं। हमें बच्चों में वायरल बुखार के बहुत सारे मामले मिल रहे हैं। हमारे लगभग 25 प्रतिशत ओपीडी में ऐसे बच्चे होते हैं जिन्हें आमतौर पर सर्दी, खांसी और बुखार जैसे लक्षणों के साथ बुखार आ रहा है।” इन मामलों में साधारण वायरल और स्वाइन फ्लू के भी कुछ मामले शामिल हैं।
वायरल फीवर के सबसे ज्यादा केस फिरोजाबाद और मथुरा में मिले हैं: मंत्री
यूपी में वायरल बुखार और डेंगू को लेकर स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने बताया है कि, ‘प्रदेश के 58 जिलों में वायरल बुखार, डेंगू और फ्लू का प्रकोप है। सबसे ज़्यादा केस फिरोजाबाद और मथुरा में मिले हैं। उन्होंने कहा कि डेंगू और संदिग्ध वायरल से जो मौतें हुई हैं, वह ज़्यादातर निजी अस्पतालों या घरों में हुई है जिनका सैंपल हम लोग नहीं ले सके थे।
उत्तर प्रदेश में 5 सितंबर से बड़ा अभियान चलाया गया है। इन 58 जनपदों के साथ सभी 75 जिलों में घर-घर टीमें पहुंच रही है। बुखार से संबंधित जानकारी भी ले रही है दवा भी दे रहे हैं और जो गंभीर हैं उनका सैंपल भी लिया जा रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर कई टीमें भी बनाई गई हैं जो अलग-अलग जिलों में जाकर काम कर रही हैं। लखनऊ मेडिकल कॉलेज समेत कई बड़े संस्थान के डॉक्टर्स को भेजा गया है साथ ही नोडल अधिकारियों को भी भेजा गया था जो चार-चार दिन रहकर हर जिले में आए हैं। प्रतिदिन हम रिपोर्ट मांग रहे हैं यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भी अवगत कराया जाता है।’
छोटे अस्पताल में भर्ती न हो कोई मरीज: यूपी के स्वास्थ्य मंत्री
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि, ‘जिन लोगों के जिलों में मेडिकल कॉलेज नहीं है वह छोटे अस्पतालों में ना जाएं। हमने पीकू वार्ड बना रखे हैं। विशेष डॉक्टर भी हैं, तो वह हमारे डिस्टिक हॉस्पिटल में उस वार्ड में भर्ती हो और उनसे वहां इलाज कराएं।’ स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि दो तरह की बीमारी सामने आई है। हर 3 साल पर एसएसब्लू के केस आते हैं। 2019 में डेंगू ज्यादा फैला था और इस बार फिर डेंगू और संदिग्ध वायरल फैला है। संदिग्ध वायरल में 2 बीमारियों का नाम स्वास्थ्य मंत्री ने बताया है जिसमें पहला लेप्टोस्पायरोसिस और दूसरा स्क्रब टाइफस है।
बिहार में वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या
बिहार में बारिश और गर्मी की वजह से वायरल बुखार का खतरा बढ़ता जा रहा है। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, इसकी चपेट में आकर बड़ी संख्या में बच्चे बीमार पड़ रहे हैं। मुजफ्फरपुर में बुधवार 8 सितंबर को वायरल बुखार से 65 बच्चे और भर्ती हुए हैं। जिले के दो बड़े अस्पतालों में अब भर्ती बच्चों की कुल संख्या 180 हो गई है। भागलपुर में भी हालात खराब हो रहे हैं। यहां के मायागंज अस्पताल के 80 में से अब तक 70 बेड भर गए हैं। हर दिन 10 से 12 पीड़ित बच्चे सामने आ रहे हैं।
विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर साहनी का कहना है कि बीमार की मुख्य वजह जल जमाव और गर्मी है। पिछले तीन-चार दिनों से जिले में भीषण गर्मी पड़ रही है। ग्रामीण इलाकों में महीने से जमा पानी गंदा हो चुका है। इसमें बच्चे जाते हैं और बीमार हो जाते हैं। परिवारों को इस दौरान सावधानी बरतनी होगी। बच्चों को गंदे पानी और धूप में जाने से रोकना होगा। मौसम जब अनुकूल हो जाए तब भी बच्चों को बाहर न भेजें।
भागलपुर में एक्सपर्ट डॉ हेमशंकर शर्मा ने बताया कि बच्चों में वायरल फीवर ज्यादा हो रहा है। यह कोविड नहीं है, बल्कि निमोनिया, चेस्ट इन्फेक्शन, टायफायड और डेंगू है। उन्होंने कहा कि टायफायड और डेंगू को अलग कर दिया जाए तो सारे मामले वायरल फीवर के हैं।
एम्स, पटना के बाल रोग चिकित्सक (Pediatrician) डॉ. लोकेश तिवारी के अनुसार, “बच्चे किसी अज्ञात वायरस का शिकार हुए हैं जिसका प्रभाव फेफड़ों पर पड़ रहा है। बच्चों को ब्रोन्काइटिस ( यह श्वासनली में होने वाली सूजनकारी बीमारी होती है) भी हो रहा है। इसलिए हमने बच्चों को ऑक्सिजन सपोर्ट पर रखा है।” बिहार के लगभग सभी अस्पतालों के नवजात गहन देखभाल इकाई ( NICU, Newborn Intensive Care Unit) के 80% और पीआईसीयू / PICU (Paediatric Intensive Care Unit) के 50% बेड फेफड़ों में इन्फ़ेक्शन, ब्रोन्काइटिस पीड़ित बच्चों से भर चुके हैं। पीआईसीयू में उन लोगों को भर्ती कराया जाता है जो मानसिक तौर पर बीमार होते हैं।
मध्य प्रदेश में 800 से ज्यादा बच्चे अस्पताल लाए गए
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में मंगलवार को 800 से ज़्यादा बच्चों को बुखार की शिकायत के बाद अस्पताल लाया गया था। इसमें 300 से ज़्यादा बच्चे भोपाल के अस्पताल में भर्ती हैं। राज्य में बुखार के सबसे ज़्यादा मामले ग्वालियर और भोपाल में सामने आए हैं। इन दो जिलों के अलावा मंदसौर, सागर, सतना, रतलाम में रोजाना सैकड़ों बच्चों को बुखार की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इन बच्चों में वायरल इन्फेक्शन,सांस लेने में दिक्कत, डायरिया और निमोनिया जैसे लक्षण देखे गए हैं।
यूपी के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा कहा जा रहा है कि लोग निजी अस्पताल में ना जाए। उसके बजाय वे बड़े अस्पतालों में जाएँ लेकिन इस समय तो बिमारी की वजह से हर अस्पताल भरे हुए हैं तो सवाल यह है कि क्या वह बड़े अस्पतालों के खाली होने का इंतज़ार करें क्यूंकि स्वास्थ्य मंत्री ने उन्हें ऐसा करने को कहा है ? वैसे भी हमने पाया है कि जिला अस्पतालों में भी लोगों के लिए पूर्ण सुविधा नहीं है। ऐसे में लोग क्या करें, कहां जाएँ? कोरोना महामारी के शुरूआती दौर में भी कम सुविधा और अस्पताल की समस्या देखी गयी थी फिर भी प्रदेश की सरकारों द्वारा इसके हल को लेकर कुछ नहीं किया गया। जिसका परिणाम यह निकलता है कि बहुत से लोगों को इलाज मिलने से पहले ही उनकी मृत्यु हो जाती है तो क्या प्रदेश सरकारें और स्वास्थ्य विभाग इनकी मौत की ज़िम्मेदारी उठाने के लिए तैयार है?
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