शासन और न्यायालय के निर्देश पर पनवाड़ी के काजीपुरा तालाब अति क्रमण को हटाने के लिए इस क्षेत्र के घरों को तोड़ने का कामते ज़ी से बढ़ रहा है।
एक तरफ प्रधानमंत्री आवास योजना की सहायता से गरीबों को मकान दिए जा रहे है, वहीं दूसरी तरफ़ यूपी के महोबा ज़िले के पनवाड़ी ब्लॉक में प्रशासन और प्रधान गरीबों के मकान तोड़ने पर उतारू हैं। जी हाँ सही सुना आपने। लोगों की मानें तो इन गरीब परिवारों के कच्चे और पक्के घरों को प्रशासन और प्रधान द्वारा ज़बरदस्ती गिराया जा रहा है और इन लोगों की सुनवाई करने वाला कोई नहीं है।
बता दें कि शासन और न्यायालय के निर्देश पर पनवाड़ी के काजीपुरा तालाब अतिक्रमण को हटाने के लिए इस क्षेत्र के घरों को तोड़ने का काम तेज़ी से बढ़ रहा है।जिससे ग्रामीणों में आक्रोश बना हुआ है और ये लोग उच्च अधिकारियों से निष्पक्ष तरीके से अतिक्रमण हटवाने की गुहार भी लगा रहे हैं।
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“सिर्फ़ ग़रीबों के घरों पर ही क्यूँ साधा जा रहा है निशाना?”-
पनवाड़ी क़स्बे के रहने वाले यासीन बताते हैं कि उन्होंने जीवन भर मेहनत करके अपने खून-पसीने की कमाई से बड़ी मुश्किल से अपना घर बनवाया था, लेकिन अब प्रधान उनके घर को बुलडोज़र से तोड़ने की बात कर रहे हैं। यासीन का कहना है कि ये कौन सा सरकारी नियम है, जिसके चलते महोबा के लोगों को बेघर किया जा रहा है। उनकी मानें तो प्रशासन कहीं भेदभाव की राजनीति से प्रभावित तो नहीं, जो गरीबों के मकानों को कानून के हवाले से तोड़ा जा रहा है।
यासीन ने बताया कि क़स्बे के किसी भी धनी और प्रभावी व्यक्ति के घर को तोड़ने की बात भी नहीं हो रही है। सिर्फ़ गरीब परिवारों के घरों को तोड़ा जा रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले एक हफ़्ते से रोज़ किसी न किसी के घर को गिराया जा रहा है।
जमीन का सीमांकन किए बगैर ही प्रशासन ने गिराए मकान-
कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिल रहा है पनवाड़ी ग्राम पंचायत में। जहां पर भी ग़रीबों की झोपड़ियों को बुलडोज़र की मदद से गिराया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि गाँव में गरीब परिवारों के मकानों और झोपड़ियों को गिराने का काम रोज़ बढ़ता ही जा रहा है। किसी के पास सिर्फ़ दीवारें बच रही हैं, तो किसी के पास कुछ भी नहीं बच रहा। इन लोगों की मानें तो अगर सरकार की तरफ़ से घरों को गिराकर यहाँ मौजूद ज़मीनों को ख़ाली कराने के आदेश आए भी हैं, तो फिर सभी के घरों को गिराना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। सिर्फ़ उन ही लोगों को नुक़सान पहुँचाया जा रहा है, जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है और जो प्रशासन को पैसे नहीं दे सकते।
इसी गाँव के रहने वाले कलीम खान ने बताया कि तालाब की जमीन का सीमांकन किए बगैर ही प्रशासन ने कुछ लोगों के मकान अतिक्रमण द्वारा हटा दिए हैं।
उन्होंने बताया कि पहले ग्राम पंचायत के पंचायत भवन में अधिकारियों और स्वामियों के साथ की गई बैठक में सभी के मकान एक सीध में गिराने की सहमति तैयार की गई थी जिसमें 20 फीट की सहमति हुई थी। और उसी क्रम में ग़रीबों के मकान भी गिराए गए लेकिन अब कुछ लोगों के मकान आते ही ग्राम पंचायत के द्वारा रोड बनाए जाने का फ़ैसला बदल दिया गया और तालाब में मिट्टी डालकर सीमांकन क्षेत्रफल को कम कर दिया गया है।
पीड़ित परिवारों की महिलाओं, लड़कियों, वृद्ध जनों के द्वारा जिला मजिस्ट्रेट से मांग भी की गई है कि तालाब का अतिक्रमण या तो पूर्ण रूप से हटाया जाए अन्यथा सभी का बराबर से हटाया जाए। इसी के साथ तालाब से अतिक्रमण हटाए जाने का काम किसी सक्षम बड़े अधिकारी लेखपाल को हटाकर अधिकारी की मौजूदगी में किया जाए। ग्रामीणों ने सवाल खड़े किए हैं कि अतिक्रमण तालाब को अतिक्रमण से मुक्त करने के लिए और उसका क्षेत्रफल सुरक्षित करने के लिए हटाया जा रहा है, या फिर लोगों की निजी ज़मीनों को हड़पने के लिए ये काम हो रहा है।
लोगों ने बताया कि सीताराम जायसवाल के दरवाज़े के सामने स्थित कुएँ को भी फोड़ दिया गया एवं उसे मिट्टी से भर दिया गया। कुछ लोगों ने तो चेतावनी दी है कि यदि तालाब से निष्पक्ष तरीके से अतिक्रमण नहीं हटाया जाता है तो वह न्यायालय में कोर्ट के आदेश की अवमानना करने का मामला दर्ज कराएंगे।
“अवैध क़ब्ज़ा करने वाले घरों की ही गिराया जाएगा”, प्रधान-
पनवाड़ी प्रधान संजय दुबे ने बताया है कि पंचायत की ग्रामसभा की जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों के मकान गिराए जाएंगे। और इस बारे में लोगों को पहले से भी बता दिया गया है कि तालाब क्षेत्र की ज़मीन पर घर बनवाना अपराध है। उन्होंने बताया कि पहले भी नाप हुई है जिसमें 20 घर तोड़े जाने की बात सामने आयी थी, जिसका काम अब शुरू हो गया है। प्रधान की मानें तो इन लोगों को रहने की कोई दिक़्क़त नहीं आएगी और जल्द ही इन्हें दूसरी जगह पर ज़मीन दी जाएगी।
लेखपाल विजय कुमार ने बताया है कि इस तालाब का सुंदरीकरण चल रहा है जिसके कार्य में प्रधान और मासी बिहार भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि 23 सितंबर से अतिक्रमण की शुरुआत हुई है जिसमें लगभग बीस परिवारों के घर आए हैं। लेखपाल का कहना है कि ये लोग तालाब के पीछे की ज़मीन पर सालों से क़ब्ज़ा किए हुए थे, किसी ने उसपर शौचालय बना लिया था, तो किसी ने गड्ढा खोद कर छोड़ दिया था। लेकिन अब इस जगह को ख़ाली किए जाना आवश्यक हो गया है।
जब लेखपाल से सवाल किया गया कि अगर इतने कम मकान थे तो फिर लगातार एक हफ़्ता बुलडोज़र क्यूँ चलवाया गया जिसपर उन्होंने बताया कि बारिश होने के कारण बुलडोज़र रोकना पड़ जाता था जिसके कारण इस काम को होने में देर हो रही है। लेखपाल का कहना है कि लोगों द्वारा लगाए जा रहे सभी आरोप ग़लत हैं और यहाँ किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं हो रहा। जिसका भी नाम सर्वे में है, सिर्फ़ उन ही लोगों के घरों को गिराया जा रहा है।
इस खबर की रिपोर्टिंग श्यामकली द्वारा की गयी है।
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