महोबा जिला के रहने वाले संतोष कुमार पटेरिया पेशे से साहित्य लेखक हैं। 64 साल की उम्र में भी वह लेखन से बहुत प्यार करते हैं। उनका कहना है कि पुराने ज़माने में ऐसे-ऐसे प्रसंग हुए हैं, जिस पर काम करना बहुत ज़रूरी है।
वह ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि उनका मानना है कि आने वाली पीढ़ी को भी पता चले की पुराने ज़माने में कितनी अनोखी घटनाये हुई हैं। इन्होंने संस्कृत में पीएचडी की है। वह ज़्यादातर पुराणिक कथाओं पर काम करते हैं।
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उन्होंने आकाशवाणी के लिए भी काफी काम किया है और अन्य लेखकों के साथ मिलकर वह उनकी लेखनी में मदत करते हैं। संतोष जी की एक किताब ‘जय पीपल देव’ के पांच संस्करण निकले हैं। इनकी यह किताब जापान तक जा चुकी है। इनको अकसर सेमीनार मे शोध पेपर पढ़ने के लिए भी बुलाया जाता है।
इनके घर में एक पुस्तकालय भी है जिसमें लगभग लाखों रुपए की किताबें रखी हुई हैं। इनका अपना फेस्बूक पेज भी है जिसमें वह अकसर उन्होंने जिस भी विषय पर शोध किया हुआ होता है वह वहाँ पर पोस्ट करते हैं।
संतोष जी को केवल महोबा में ही नहीं बल्कि देश के हर क्षेत्र में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। फिलहाल वह एक संपादन पर दोबारा काम कर रहे हैं। वह काफी सारे ग्रंथों का तुलनात्मक अध्ययन भी करवाते रहते हैं।
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