खबर लहरिया Blog Maharashtra Ladli Behen Scheme: महाराष्ट्र में लाडली बहिन योजना का पैसा महिलाओं के बदले पुरुषों ने ले लिया  

Maharashtra Ladli Behen Scheme: महाराष्ट्र में लाडली बहिन योजना का पैसा महिलाओं के बदले पुरुषों ने ले लिया  

महाराष्ट्र में करीब 14000 पुरुषों ने लाडली बहिन योजना का लाभ उठा लिया है, जो केवल महिलाओं के लिए लागू की गई थी। महाराष्ट्र सरकार ने जांच कराई तो पाया कि 12,431 पुरुषों को इसकी प्रमुख मुख्यमंत्री माझी लड़की बहन योजना के तहत लाभ ले रहे हैं।

symbolic picture

सांकेतिक तस्वीर

जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र में करीब 14000 पुरुषों ने लाडली बहिन योजना का लाभ उठा लिया है, जो केवल महिलाओं के लिए लागू की गई थी। इस चौंकाने वाले खुलासे के बाद सियासी बवाल जारी है। महाराष्ट्र में लाडकी बहिण योजना 2.5 लाख रुपये से कम सालाना आय वाले परिवारों की 21-65 वर्ष की महिलाओं को प्रति माह 1,500 रुपये प्रदान करती है। महाराष्ट्र सरकार ने जांच कराई तो पाया कि 12,431 पुरुषों को इसकी प्रमुख मुख्यमंत्री माझी लड़की बहन योजना के तहत लाभ ले रहे हैं। सत्यापन के बाद इन पुरुषों को लाभार्थियों की सूची से हटा दिया गया है, साथ ही 77,980 महिलाओं को भी अपात्र के रूप में पहचाना गया है। एक आरटीआई के जवाब से पता चलता है कि इस योजना के तहत 12,431 पुरुषों और 77,980 महिलाओं को क्रमशः 13 महीने और 12 महीने के लिए 1,500 रुपये गलत तरीके से वितरित किए गए। यह पुरुषों के लिए लगभग 24.24 करोड़ रुपये, महिलाओं के लिए लगभग 140.28 करोड़ रुपये और कुल मिलाकर कम से कम 164.52 करोड़ रुपये होता है।

योजना की शुरुआत 

बता दें यह योजना विधानसभा चुनाव से चार महीने पहले जून 2024 में शुरू की गई थी। अगस्त 2024 में सरकार ने योजना के प्रचार अभियान के लिए 199.81 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना-भाजपा महायुति सरकार को विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ा था जिसने इसे चुनाव-पूर्व लोकलुभावन कदम बताया था।

महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिती तटकरे ने कहा

इस मामले को लेकर महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिती तटकरे ने कहा है कि कई मामलों में ऐसा हुआ हो सकता है कि योजना की लाभार्थी महिला के पास बैंक अकाउंट नहीं था इसलिए उन्होंने अपने पतियों के अकाउंट का डिटेल्स दे दिया होगा। उन्होंने कहा “यह देखा गया है कि कुछ लाभार्थी एक से अधिक योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं कुछ परिवारों में दो से ज़्यादा लाभार्थी हैं और कुछ स्थानों पर पुरुषों ने भी आवेदन किया है।”

वहीं उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार ने मीडिया से बात करते हुए कहा “यह योजना ग़रीब बहनों की मदद के लिए शुरू की गई थी। हालाँकि अगर किसी ने इसका ग़लत फायदा उठाया है तो हम कार्रवाई करेंगे। ऐसा कहा जा रहा है कि कुछ पुरुषों ने भी इस योजना का लाभ लिया है। अगर यह सच है तो हम उनसे यह पैसा वसूलेंगे।”

अदिति तटकरे के अनुसार इन सभी ‘अयोग्य’ लाभार्थियों को मिलने वाली धनराशि अब रोक दी गई है। उन्होंने ने अपने पोस्ट में लिखा “इन 26.34 लाख आवेदकों को लाभ मिलना जून 2025 से अस्थायी रूप से रोक दिया गया है।” फ़िलहाल अदिति तटकरे और अन्य मंत्रियों ने कहा है कि अभी सरकार ने ‘अवैध’ व्यक्तियों को दी गई धनराशि वापस लेने का कोई निर्णय नहीं लिया है।

कई कर्मचारी निकले लाभार्थी 

मीडिया रिपोर्ट (state Mirror) के अनुसार कहां-कहां के कर्मचारी निकले लाभार्थी आरटीआई से यह भी सामने आया कि यह गड़बड़ी लगभग हर विभाग में फैली हुई थी. इन 2,400 कर्मचारियों में से 6 कृषि, पशुपालन, दुग्ध विकास और मत्स्य विभाग में कार्यरत थे, 219 समाज कल्याण आयुक्तालय, 47 आदिवासी विकास विभाग,128 कृषि आयुक्तालय, 817 आयुर्वेद संचालनालय, और सबसे ज्यादा 1,183 कर्मचारी जिला परिषदों में काम कर रहे थे. इन सभी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई है हालांकि अभी तक किसी के खिलाफ वसूली की प्रक्रिया नहीं शुरू की गई है।

जल्दबाज़ी करने का आरोप योजना के लिए 

सांकेतिक तस्वीर

अधिकारियों के मुतबिक यह योजना बहुत जल्दी शुरू कर दी गई थी इसलिए शुरुआत में डेटा जांच और पुष्टि करने की व्यवस्था मजबूत नहीं थी। सरकार ने योजना को तो बड़े स्तर पर लागू कर दिया लेकिन यह सही से जांच नहीं कर पाई कि कौन इसके हकदार हैं। कई जगह ये जांच अपने आप (ऑटोमैटिक) नहीं हो रही थी। इसी वजह से कुछ पुरुषों के नाम भी लाभार्थियों की सूची में जुड़ गए और जिन लोगों ने ई-केवाईसी नहीं किया था उन्हें भी पैसे भेज दिए गए। एक अधिकारी ने बताया कि योजना को इतनी तेजी से शुरू किया गया कि फील्ड में दस्तावेज़ों की ठीक से जांच नहीं हो पाई। कई जिलों में डेटा डालने में भी गलतियाँ हो गईं, जिससे कुछ पुरुष और ऐसी महिलाएँ जो योजना की हकदार नहीं थीं उनका नाम भी शामिल हो गया।

अब तक वसूली प्रक्रिया पर निर्णय नहीं लिया गया है 

सरकार ने हालांकि इन गलत लाभार्थियों को सूची से हटा दिया है लेकिन अब तक एक भी रुपये की वसूली नहीं हुई है. डब्लूसीडी विभाग के आरटीआई जवाब के अनुसार ‘अयोग्य पाए गए पुरुषों और महिलाओं से राशि की रिकवरी को लेकर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। यानी 164 करोड़ रुपये से ज्यादा की सरकारी राशि फिलहाल डूबे पैसे की तरह ही पड़ी है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जब तक प्रत्येक जिले का सत्यापन पूरा नहीं हो जाता तब तक वसूली प्रक्रिया पर निर्णय नहीं लिया जाएगा।

डब्लूसीडी विभाग ने क्या कहा 

डब्लूसीडी विभाग के मुताबिक जब योजना आगे बढ़ी तो लाभ पाने वालों के डेटा की दोबारा जांच शुरू की गई। जांच में सामने आया कि कई लोगों ने गलत जानकारी दी थी अपनी आय छिपाई थी या फर्जी दस्तावेज़ लगाकर योजना का फायदा उठाया। कुछ मामलों में तो एक ही परिवार की दो या उससे ज्यादा महिलाओं को एक साथ फायदा मिल रहा था। सबसे हैरान करने वाली बात ये थी कि लगभग 2,400 सरकारी कर्मचारी जिनमें महिलाएं और पुरुष दोनों शामिल थे भी इस योजना का लाभ ले रहे थे जबकि वे इसके लिए बिल्कुल भी योग्य नहीं थे।

यह पूरा मामला दिखाता है कि किसी भी जनकल्याणकारी योजना में पारदर्शिता और तकनीकी जांच (verification) कितनी जरूरी होती है। सरकार ने बिना पूरी जांच के योजना लागू की जिससे 164 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि ऐसे लोगों के खातों में चली गई जो इसके हकदार नहीं थे और जिनका योजना के उद्देश्य से कोई लेना-देना नहीं था। वहीं दूसरी तरफ कई गरीब और जरूरतमंद महिलाएं जो वाकई इस योजना की हकदार थीं उन्हें अब तक इसका लाभ नहीं मिल पाया। इससे साफ होता है कि अगर सिस्टम मजबूत न हो तो असली जरूरतमंदों तक मदद पहुंचने से पहले ही गलत हाथों में चली जाती है।

 

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *