खबर लहरिया Blog Lumpy Skin Disease : लंपी वायरस के इलाज हेतु स्वदेशी वैक्सीन “Lumpi-ProVacInd” तैयार, वायरस से 5 हज़ार पशुओं की हो चुकी है मौत

Lumpy Skin Disease : लंपी वायरस के इलाज हेतु स्वदेशी वैक्सीन “Lumpi-ProVacInd” तैयार, वायरस से 5 हज़ार पशुओं की हो चुकी है मौत

भारत की कृषि अनुसंधान निकाय ICAR की दो संस्थानों ने मिलकर लंपी वायरस के इलाज हेतु स्वदेशी वैक्सीन “Lumpi-ProVacInd” तैयार की है। लंपी वायरस (LSD) जानवरों में होने वाला एक बेहद संक्रामक (फैलाने वाला) त्वचा रोग है। यह पॉक्स वायरस से जानवरों में फैलती है।

                                                                             लंपी वायरस से गाय के शरीर पर हुई गाठें ( साभार – सोशल मीडिया)

देश में कोरोना वायरस, मंकीपॉक्स के बाद अब लंपी वायरस (Lumpy skin disease) बीमारी भी तेज़ी से फ़ैल रही है। लंपी वायरस जानवरों में फैलने वाली बीमारी है। भारत की कृषि अनुसंधान निकाय आईसीएआर की दो संस्थानों ने मिलकर लंपी वायरस के इलाज हेतु स्वदेशी टीका विकसित कर लिया है, जोकि एक बहुत बड़ी सफलता है।

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“Lumpi-ProVacInd” वैक्सीन किसने की विकसित?

                                                                                                                                   File photo

इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आईसीएआर) – नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्विन्स (एनआरसीई) ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), इज्जतनगर, उत्तर प्रदेश के सहयोग से एक सजातीय live-attenuated लंपी वायरस वैक्सीन “Lumpi-ProVacInd” तैयार की है।

इस नई विकसित तकनीक को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने देश की राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम में ज़ारी किया।

इन राज्यों में फैला लंपी वायरस

न्यूज़ बाइट्स की रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में लंपी वायरस का ज़्यादा असर देखा गया है। जानकारी के अनुसार, लंपी वायरस से अभी तक 5 हज़ार से भी ज़्यादा जानवरों की मौत हो चुकी है। इसमें अधिकतर गायें हैं।

लंपी वायरस से होने वाली मौतें

लाइव मिंट की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, 8 अगस्त 2022 तक राजस्थान में 2,111 गायों की मौत हो चुकी है। 8 अगस्त तक गुजरात में 1,679, पंजाब में 672, हिमाचल प्रदेश में 38, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 29 और उत्तराखंड में 26 मौतें हुई हैं।

राजस्थान में लंपी वायरस से सबसे ज़्यादा मौतें

लंपी वायरस का सबसे ज़्यादा खतरा राजस्थान के कई जिलों में देखने को मिला है। राज्य के जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, जालौर, पाली, सिरोही, बीकानेर, चूरू, गंगानगर, हनुमानगढ़, अजमेर, नागौर, जयपुर, सीकर, झुंझुनू और उदयपुर जिलों में इस बीमारी की वजह से अब तक 4,000 से भी ज़्यादा जानवरों की मौत हो चुकी है। इनमें 70 प्रतिशत गायें हैं।

राज्य में सबसे ज़्यादा 1,000 जानवरों की मौत श्रीगंगानगर में हुई है। वहीं यहां एक लाख से अधिक जानवरों को संक्रमित पाया जा चुका है।

राजस्थान के सीएम ने गोवंश के इलाज हेतु मांगी मदद

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बढ़ते लंपी वायरस को देखते हुए कहा कि गोवंश को बचाने के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष के तहत अलग अकाउंट खोला गया है। सक्षम लोगों को आगे आकर अपनी इच्छा से जितना हो सके सहयोग करना चाहिए। इस फंड का इस्तेमाल लम्पी वायरस से संक्रमित गोवंश के इलाज और उनकी देखभाल में खर्च किया जाएगा। कोरोना काल में भी प्रदेश के कई दानदाताओं, जनप्रतिनिधियों ने आगे बढ़कर सरकार का सहयोग किया था। गोवंश की सेवा के लिए अब एक बार फिर मदद के लिए सरकार का हाथ बंटाए।

क्या है लंपी वायरस?

पशु चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि लंपी वायरस (LSD) जानवरों में होने वाला एक बेहद संक्रामक (फैलाने वाला) त्वचा रोग है। यह पॉक्स वायरस से जानवरों में फैलती है।

– यह बीमारी मच्छर और मक्खी के ज़रिये एक से दूसरे पशुओं में फैलती है।
– इसमें चिकन पाक्स की तरह गोवंश के शरीर पर दाने उभर आते हैैं।
– दानों में मवाद भर जाने के बाद पशु की मौत हो जाती है।

सबसे पहले लंपी वायरस कहां पाया गया?

लंपी वायरस का सबसे पहला मामला आज से लगभग 94 साल पहले 1929 में अफ्रीका में सामने आया था। इसके बाद यह धीरे-धीरे अन्य देशों में भी फ़ैल गया।

कैसे फैलता है लंपी वायरस?

लंपी वायरस मच्छर या खून पीने वाले कीड़ों से फैलता है। आमतौर पर गाय या भैैंस के तबेलों में पड़े रहने वाला खाद और दूषित पानी में पनपने वाले मच्छरों से ही इस वायरस के फैलने का खतरा रहता है।

लंपी वायरस के लक्षण

– लंपी वायरस बीमारी में पशु के शरीर पर छोटी-छोटी गाठें बनती है जो बाद में बड़ी हो जाती हैं।
– जानवरों के शरीर पर ज़ख्म दिखने लगते हैं और वह खाना कम कर देता है।
– उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) भी घटने लगती है।
– शुरूआत में पशु को दो से तीन दिन तक हल्का बुखार रहता है।
– जानवरों के मुंह, गले, सांस लेने की नली तक इस बीमारी का असर देखने को मिलता है।
– मुंह से लार निकलने के साथ आंख-नाक से भी स्राव (discharge) होता है।

लंपी वायरस का 10-20 प्रतिशत है संक्रमण दर

विशेषज्ञों का कहना है कि लंपी वायरस बीमारी की वजह से जानवरों के लिंफ नोड में सूजन, पैरों में सूजन, दूध उत्पादकता में कमी, गर्भपात, बांझपन की समस्या के साथ समय पर इलाज नहीं मिलने पर मौत भी हो जाती है।

वहीं यही भी कहा गया कि ज़्यादातर संक्रमित जानवर दो से तीन सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। इसके साथ दूध के उत्पादन में कई सप्ताह तक कमी बनी रहती है। इस बीमारी में मृत्यु दर 15 प्रतिशत है और संक्रमण दर 10-20 प्रतिशत रहती है।

लंपी वायरस से रोकथाम का क्या उपाय हैं?

लंपी वायरस की रोकथाम के लिए तीन तरह की वैक्सीन उपलब्ध है। गोट पाक्स, शीप पाक्स और लंपी पाक्स। गोट पाक्स (बकरियों में होने वाला पाक्स) और शीप पाक्स (भेड़ों में होने वाला पाक्स ) की वैक्सीन भारत में उपलब्ध है, जबकि लंपी पाक्स की वैक्सीन भारत में अभी नहीं बनी है।

लंपी वायरस से बचाव के लिए साफ़-सफाई रखना बेहद ज़रूरी है। साथ ही मवेशियों को किसी संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से बचाने की ज़रुरत है।

बढ़ते लंपी वायरस को देखते हुए जिन भी लोगों के पास पशु हैं उन्हें गौर करने की ज़रुरत है। इसके साथ ही अगर किसी पशु में बताये गए लक्षण दिखाई देते हैं तो आप किसी करीबी पशु चिकित्सक को ज़रूर से सूचना दें।