चैत का महीना हो या बैशाख का महिलाओं को न घर के काम से फुर्सत है न खेत से। आजकल खेतों में मटर, सरसो, गेंहूं की फसल पककर तैयार है। पुरुष बाहर कमाने गए हैं वहीं महिलाएं भोर में 4 बजे उठकर घर का काम संभालती हैं। बच्चों को स्कूल भेजकर फिर खेतों के लिए निकलती हैं।
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बातचीत में संगीता ने बताया कि काम छोड़कर जबरदस्ती थोड़ा आराम न करें तो आराम भी करने का समय महिलाओं को नहीं मिलता है।
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