दिवाली के अगले दिन कुकी की आवाज लगाकर लोग अपने देवता को जगाते हैं। उसके बाद पूरे गाँव में घर-घर जाते हैं। इसके पीछे का उद्देश्य यह है की जैसे दिवाली में दीये जलाना शुभ माना जाता है, उसी तरह लोगों को जगाना भी शुभ माना जाता है इसलिए बांदा जिले के ब्लॉक महुवा, ग्राम पंचायत महुवा में लोगों ने आज भी इस परंपरा को कायम रखा हुआ है।
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महुवा ग्राम पंचायत के राजू ने बताया है पहले वह बाबई का पौधा लेकर उसे लाठी में बांधते हैं। फिर बांस की लाठी में जवाई बांधी जाती है जिसे छूहर कहा जाता है। वह रात को 10 बजे से सुबह 7 बजे तक छुहर लेकर घूमते हैं। यह कार्य उनके बाप-दादा करते आ रहे हैं। लोग इसे गाजे-बाजे और उल्लास के साथ मनाते हैं और खूब मनोरंजन भी करते हैं।
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