ललितपुर जिले का ‘सुमेरा तालाब’ इतिहास और लोगों की आस्थाओं से जुड़ा हुआ है। यह माना जाता है कि सुमेरा तालाब में नहाने से चर्म रोग ठीक हो जाता है।
सुमेरा तालाब के नाम के पीछे भी एक बहुत बड़ा इतिहास है। यह कहानी शुरू होती है चन्देली के राजा सुमेर से। राजा सुमेर के परिवार में राजपाठ को लेकर विवाद चल रहा था। इसके बाद उन्हें अपनी प्रॉपर्टी (सत्ता) से बेदखल कर दिया गया। उस समय राजा सुमेर बहुत दुःखी हुए। वह मानसिक तनाव में थे। उन्हें शिकार करने का शौक़ था। ऐसे में अपने मन को हलका करने के लिए वह ललितपुर जिले के पहाड़ी क्षेत्र में शिकार की तलाश में गए। ज़्यादा रात होने पर उन्हें जंगल में ही रुकना पड़ा। उन्हें पास में एक पोखरा (तालाब) दिखा।
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राजा सुमेर को चर्म रोग था। तालाब में नहाने के बाद उन्हें कुछ आराम हुआ। इसके बाद वह वापस चंदेली लौट गए। फिर वह अगली बार अपनी पत्नी ललिता बाई के साथ दोबारा तालाब आये। ऐसा कहा जाता है कि तालाब में नहाने के बाद राजा सुमेर का चर्म रोग ठीक हो गया।
जब रानी ललिता बाई ने यह चमत्कार देखा तो उन्होंने राजा से कहा कि राजा, जब छोटे से पोखरे के पानी का इतना असर है तो क्यों न यहां पर एक बड़ा तालाब खुदवाया जाए। रानी की बात मानते हुए राजा ने बड़ा तालाब खुदवाया। उस तालाब का नाम तब रानी ने “सुमेरा तालाब” रखा।
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इसके बाद यह तालाब लोगों की आस्थाओं से जुड़ गया और यह कहा जाने लगा कि इस तालाब में नहाने से सारी बीमारियां दूर हो जाती हैं। अब इस बात में कितनी सच्चाई है या यह सिर्फ कहानी है, कुछ कहा नहीं जा सकता।
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