मधुबनी : मधुबनी चित्रकला (madhubani painting) अपने अनूठे रंग और रूप की वजह से किसी पहचान की मोहताज नहीं है। मधुबनी पेंटिंग, बिहार राज्य के मधुबनी जिले से उत्पन्न एक आदिवासी कला है जो मुख्य रूप से ‘मिथिला पेंटिंग’ के रूप में जानी जाती है। आप मधुबनी पेंटिंग बिहार के दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, मुजफ्फरपुर और नेपाल में भी देख सकते हैं।
पहले इसे रंगोली के रूप में चित्रित किया जाता था, लेकिन अब यह कला धीरे-धीरे आधुनिक रूप में बदल गई है तो यह कपड़े, दीवारों और कागज़ पर आ गई है। आज के शो में हम मधुबनी पेंटिंग की टॉप 5 विशेषताओं को जानेंगे।
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मधुबनी पेटींग की खोज
मधुबनी पेटिंग की खोज को 1934 में मधुबनी जिले के एक ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारी विलियम जी आर्चर ने की थी।
मधुबनी पेटिंग की विशेषताएं
- रंगों को सपाट रूप से लगाया जाता है, जिसमें कोई छायांकन नहीं होता है और कोई खाली जगह नहीं छोड़ी जाती है। ये
- पेंटिंग आमतौर पर लैम्पब्लैक (कोयले से प्राप्त) और गेरू (मिट्टी के पीले वर्णक) जैसे पिगमेंट के साथ गहरे और चमकीले होते हैं।
- इस पेटिंग को ब्रश से नहीं, बल्कि टहनियों, माचिस की तीलियों और उंगलियों से बनाया जाता है।
- यह पेटिंग मुख्य रूप से मिथिला क्षेत्र के लोगों द्वारा की जाती है
मधुबनी पेटिंग के हैं दो प्रकार
मधुबनी पेंटिंग दो तरह की होतीं हैं –
भित्ति चित्र और अरिपन
भित्ति चित्र विशेष रूप घरों में तीन स्थानों पर मिट्टी से बनी दीवारों पर की जाती है लेकिन अब इस कपड़ों और कागज़ पर भी किया जाता है।
मधुबनी पेटिंग में रंगो का इस्तेमाल
मधुबनी चित्रों में लाल, पीला, नीला, काला आदि प्राकृतिक और बोल्ड रंगों का उपयोग किया जाता है।
मधुबनी पेटिंग का रेट क्या होता है ?
मधुबनी पेटिंग की अगर कीमत की बात करें तो वह काफी महंगा होती है क्योंकि इस पेटिंग में बहुत मेहनत और बारीकी का काम होता है।
तो दोस्तों अगर आपको भी मधुबनी पेटिंग बनवाना हो या लेना हो तो आप ऑनलाइन ले सकते है या फिर आप खुद जाकर मधुबनी जिले में इस पेटिंग को खरीद सकते है।
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