खबर लहरिया Blog बरसात के ये साग बढ़ा देंगे आपकी थाली का स्वाद, बुंदेली साग के बारे में जानें

बरसात के ये साग बढ़ा देंगे आपकी थाली का स्वाद, बुंदेली साग के बारे में जानें

बुंदेलखंड में बरसात के समय कई तरह के साग मिलते हैं जिससे कई स्वादिष्ट व्यंजन बनते हैं।

Know about Bundeli Saag

                                                               तस्वीर में बुन्देलखंड में मिलने वाले साग की फोटो है जिसमें केरमुआ, चौराई, लहसुआ आदि साग है 

खाने की थाली की बात की जाए तो उसमें अगर एक तरफ सब्जी होती है तो दूसरी तरफ दाल। उम्दा मसाले नमक तड़का और सलाद। यह सभी चीजें खाने के स्वाद को बढ़ा देते हैं और खाने वाला खुश हो जाता है। लेकिन अगर आप तेल मसालों से हटकर कुछ स्वादिष्ट खाना चाहते हैं तो इस बरसात रुख करिये बुन्देलखण्ड, वहां के व्यंजन आपके मुंह का स्वाद बढ़ा देंगे।

बरसात के मौसम की सबसे अच्छी बात ये है कि आप सप्ताह के सातों दिन एक नई सब्ज़ी से थाली की शान बढ़ा सकते हैं। भाजियां ही इतनी तरह की आ जाती हैं कि बाकी सब्जियों की गिनती ही नहीं हो पाती। बरसात शुरू होते ही गांव में ज्यादातर लोगों की थालियों में सजे केरमुआ, चौराई, लहसुआ के साग आपको देखने और खाने को मिल ही जायेंगे। इस मौसम में कभी गांवों की तरफ रुख करें और साग खाने की लालसा हो तो यह नाम याद रखियेगा।

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करमुआ या कहें नारी, साग एक ही है..

                                                                                                                                    करमुआ साग की तस्वीर

करमुआ (नारी का साग) यह पानी की जगह जैसे तालाब के किनारे (तराई इलाकों में) खुद उगने वाला एक साग है। यह सलाद, पकौड़े और साग के रूप में खाई जाने वाली एक स्वादिष्ट सब्जी है। जिसमें विटामिन ए, विटामिन सी और आयरन जैसे पोषक तत्व काफी मात्रा में पाए जाते हैं। तो चलिए अब रुख करते हैं चित्रकूट जिले के आदिवासी बस्ती की तरफ जहाँ के लोग इन दिनों साग पर ही निर्भर रहते हैं।

आय का अच्छा ज़रिया बन रहे ये साग

चित्रकूट जिला के गांव करवायी मजरा महर्जा‌ के आदिवासी परिवार नदी, तालाब से करेम‌ और चोरवा तोड़ कर लाते हैं। उसकी अच्छे से धुलाई करके फिर बारीक काट लेते हैं। कम तेल में भी साग बहुत ही स्वादिष्ट बनता है। आदिवासी परिवार वैसे ही जंगल के सहारे अपना जीवन यापन करते हैं। हर मौसम में अलग-अलग तरह चीज खाने पीने को मिलती है। स्वादिष्ट तो होता ही है साथ ही यह फ्री में मिल जाता है। बाजारों में भी यह आपको मिल जायेगा लेकिन इसकी कीमत 50 रुपये किलो तक है।

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अलग-अलग तरीकों से बनता है साग

बिट्टी, सुमन और कलावती जो साथ में साग तोड़ने जाती हैं उन्होंने बताया की इस समय गांव की महिलाएं एक दूसरे को साथ लेकर जंगल और तालाब किनारे हरे पत्तेदार साग तोड़ने जाती हैं। वापस आकर अच्छे से पानी से धुलती हैं। जब पानी निकल जाता है तो हसिया से साग को काटती हैं। हर घर में अलग-अलग तरीके से साग बनता है। कोई करेम के सब्जी भूर्रा बनाता है। कोई साग तो कोई मसालेदार सब्ज़ी तो कोई इसकी पकौड़ी भी बनाता है।

शरीर में खून की कमी की पूर्ति करता है

करमुआ के सेवन के पश्चात पेट में ठंडक मिलता है और बीमारी से निजात भी मिलता है। करमुआ के साग में फास्फोरस ,विटामिन सी, कैल्शियम और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के संचालन के लिए बहुत ही आवश्यक माने जाते हैं। करेमुआ के साग का सेवन जो भी व्यक्ति करता है। उसको सबसे बड़ा लाभ यह मिलता है कि उसके शरीर में खून की कमी कभी नहीं होती है क्योंकि करेमुआ में भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है। आयरन पाए जाने के कारण शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा में वृद्धि होती है। जिसके परिणाम स्वरूप हीमोग्लोबिन में भी वृद्धि होती है और हमारे शरीर में रक्त की आपूर्ति होने लगती है और शरीर एनीमिया की बीमारी जिसे खून की कमी से होती है उससे बचा रहता है। इसी तरह चोरवा‌ की सब्जी बारिश के मौसम में मिल जाती है। इस हरी सब्जी में सिर्फ मिर्च लहसुन और तेल‌ लगता है। बिना मसाले की यह सब्जी बहुत ही स्वादिष्ट लगती है।

लाल साग (चौराई) सर्दियों में इसे खाने से मिलते हैं ये बेमिसाल फायदे

                                                                                                                    लाल साग (चौराई) की तस्वीर

सर्दियों में मिलने वाली हर भाजी कुछ न कुछ खूबी समेटे हुए है। उनकी तुलना करें तो लाल भाजी में खूबियों की खान नजर आएगी। वैसे तो लाल भाजी की गिनती हरी सब्जियों में ही होती है, पर इसकी रंगत के चलते इसे लाल भाजी कहा जाता है। जो कुछ कुछ पालक जैसी दिखती है। इन दोनों के स्वाद और खूबियों में जमीन आसमान का अंतर है। लाल भाजी विटामिन ए, सी, के जैसे विटामिन से भरपूर है। साथ में फोलेट, राइबोफ्लेविन और कैल्शियम के गुण भी इसमें मौजूद हैं।

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आंखो के लिए बढ़िया

यदि आपको आँखों का अच्छा स्वास्थ्य चाहिए तो चौलाई या यह कह सकते हैं की हरी साग सब्जियों का सेवन शुरू कर दें। इससे एक चीज और कम होता है उसके लिए आप बहुत मेहनत भी करते है। डाइट, जिम वगैरह, वगैरह। अब तो आप समझ ही गए होंगे, हाँ अगर आप मोटापा कम करना चाहते हैं तो चलाई का सेवन शुरू कर दें। लहसुवा, सुरवारी, गोलिया‌ और चोरवा‌ जैसे साग भी आपको तालाब के किनारे मिल जाएंगे। जो आपकी थाली को कलरफुल और स्वादिष्ट से भरी भी बना सकते हैं। चौराई तो आपको बाजार में भी मिल जायेगी लेकिन आजकल की बढ़ती महंगाई से आप अछूते नहीं होंगे। तो जब फ्री में और साफ सुथरी चीजें मिल रही हैं तो उनका इस्तेमाल करने से दूर क्यों रहना।

हरी पत्तेदार सब्जियां (साग) खाने से पहले बरतें सावधानियां

अगर आपको पत्तेदार सब्जियां पसंद है, तो आप इसे अच्छी तरह से धुलकर और पकाकर खाएं। पत्तेदार सब्जियां आमतौर पर दलदली क्षेत्रों में उगती हैं, जो विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, कीड़े और अन्य रोग पैदा करने वाले जीवों के बढ़ने के लिए अनुकूल होते हैं। अन्य मौसमों में सूरज की रोशनी मिट्टी को कीटाणुरहित करने में मदद करती है लेकिन मानसून के दौरान, सूरज की रोशनी की कमी के कारण पत्तियों के संक्रमित होने की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए पकाने से पहले सफाई में सावधानियां जरूर बरतें।

इस खबर की रिपोर्टिंग सुनीता देवी द्वारा की गई है। 

 

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