खबर लहरिया Blog मध्यप्रदेश की मशहूर ‘चने की भाजी’, क्या कभी खाई है आपने?

मध्यप्रदेश की मशहूर ‘चने की भाजी’, क्या कभी खाई है आपने?

मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के खाने की बात हो और खाने में चने की भाजी का नाम जाए तो ज़बान चटकारे मारने लगती है। अरे! वो इसलिए क्योंकि यहां के जैसी चने की भाजी आपको खाने के लिए और कहीं नहीं मिलेगी। ना ही इसका स्वाद आपको किसी और राज्य की चने की भाजी में मिलेगा। वैसे तो यहां की महिलाएं हर मौसम में चने की भाजी बनाती है। लेकिन दीपावली के बाद का दिन चने की भाजी खाने या तोड़ने का असल मौसम माना जाता है। यानी की नवंबर से दिसंबर का महीना चने की भाजी का मौसम होता है।

हर घर में बनती है चने की भाजी

chane ki bhaaji

पन्ना जिले के ब्लॉक अजयगढ़ तहसील गांव राजापुर की ज्योति कहती हैं कि वह खेत से हरी ताज़ीताज़ी चने की भाजी तोड़कर घर लेकर आती हैं। वह कहती हैं कि दीपावली के समय से चने की भाजी होने लगती हैं। तभी वह आगे के लिए भी भाजी तोड़कर रख लेती हैं। उनका कहना है कि उनके घर में सभी को चने की भाजी खाना बेहद पसंद है। यहां तक की उनके गांव में अधिकतर लोग दीपावली के बाद चने की भाजी तोड़ते हैं और उसे पकाकर खाते हैं। 

सुखाकर रखते हैं चने की भाजी को

राजापुर गांव की महिला का कहना है कि वह नवंबरदिसंबर के महीने में चने की भाजी तोड़कर, उसे काटकर और सुखाकर रख लेती हैं। उनका कहना है कि जनवरी का महीना आते ही चने के पौधे में फूल आने लगते हैं, जिसके बाद उसकी भाजी नहीं बनाई जा सकती। जिसकी वजह से वह चने के पौधे में फूल आने से पहले ही चने की भाजी के लिए उसके पत्ते तोड़कर रख लेती हैं। 

औषधि का काम करती है चने की भाजी

chane ki bhaaji

लोगों का कहना है कि जब कभी गर्मियों में उन्हें लू लग जाती है तो उस समय वह चने की भाजी का इस्तेमाल दवाई के रूप में करते हैं। पहले तो चने की भाजी को रात भर पानी मे फुला कर रखा जाता है। फिर उसे व्यक्ति के शरीर पर मलहम की तरह लगाया जाता है। एक ही घण्टे में  लपट पूरी तरह खत्म हो जाती है और व्यक्ति को आराम मिल जाता है। लोगों का कहना है कि इससे उनका डॉक्टर के पास जाने और दवाई का भी खर्च बच जाता है।

इन महीनों में खाएं, इसके साथ

राजापुर गांव की महिलाओं का कहना है कि चैत, बैशाख, फाल्गुन और जेठ यानी फरवरी,मार्च,अप्रैल, मई और जून के महीने तक चने की भाजी को खाने में स्वाद आता है। लेकिन आषाढ़ यानी जुलाई और उसके बाद के महीनों में चने की भाजी को खाने में ज़्यादा मज़ा नहीं आता। गर्मियों में चने की भाजी को खाने से शरीर ठंडा रहता है क्योंकि चने की भाजी ठंडी होती है।

चने की भाजी को गेहूं और बाजरा की रोटी से खाने में स्वाद आता है। लेकिन सबसे ज़्यादा मज़ा जुंडी ( ज्वार, बाजरा आदि मोटे अन्न के अंतर्गत आने वाला) की रोटी के साथ खाने से आता है। 

ऐसे बनाए चने की भाजी

चने की भाजी को दो तरह से बनाया जा सकता है। जैसे:-

पहलाचने की भाजी को बारीकी से काट लें। फिर भाजी के हिसाब से किसी बर्तन में पानी गर्म कर लें। पानी गर्म हो जाने के बाद उसमें दाल डाल लें। दाल पकने के बाद उसमें भाजी डाल दें। फिर भाजी को 5 से 10 मिनट तक पकने दें। जब तक भाजी पकती है, तब तक आप लहसुन, हरि धनिया और अदरक का पेस्ट बना लें और पक रही भाजी में उसे डालकर भाजी को चम्मच से चलाते रहें। और फिर आपकी चने की भाजी खाने को तैयार है। 

दूसरा : दूसरे तरीके बस चने की भाजी में अलग से कढ़ाई में तेल गर्म करके हींग का तड़का लगाया जाता है। जिससे कि भाजी का स्वाद पहले से दुगना हो जाता है। साथ ही अगर स्वादस्वाद में अगर भाजी ज़्यादा भी खा ली हो तो हींग की वजह से सब पच जाता है और सेहत भी खराब नहीं होती। 

अगर आप मध्यप्रदेश आए तो चने की भाजी खाना मत भूलिएगा क्योंकि यहाँ के चने की भाजी का स्वाद आपको और कहीं नहीं मिलेगा।