अगर कुछ करने की थन लो तो वो चीज़ होकर ही दम लेती हैं। अब लड़कियाँ खेल के क्षेत्र में भी आगे बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहीं हैं। पहले इस लाइन में लड़कियां कम ही नज़र आती थी लेकिन शहर हो या गाँव, इस लाइन मे भी लड़कियों की अच्छी खासी मात्रा देखने को मिल रही हैं।
हमने बात की टीकमगढ़ जिले के गांव माढुमढ की रहने वाली अंजली माली से जिनकी उम्र 19 साल है ओर वह इस उम्र मे अपने गाँव के बच्चों को फुटबॉल की कोचिंग देती हैं । अंजली को बचपन से ही खेल-कूद का शौक था और उन्हे ज्यादा रुची बॉक्सिंग मे थी लेकिन घरवालों की वजह से उन्होंने फूटबाल मे ट्रैनिंग ली । वह बताती है कि उन्हे बॉक्सिंग खेलने की प्रेरणा ‘दंगल’ और ‘गुरु’ जैसी खेल सम्बंधित फिल्मे देख कर मिली थी।
उन्होंने स्टेट लेवल पर काफी खेल खेला है और कई टूर्नामेंट भी जीते हैं। वह टूर्नामेंट के लिए भारत के कई राज्यों में भी जा चुंकि हैं। वैसे इस क्षेत्र में लड़कियों का होना खासकर गाँव वालों के लिए बर्दाश्त से बाहर होता हैं लेकिन अंजली ने उम्मीद नहीं हारी और आज वह गांव के बाकी बच्चों को फुटबॉल खेलना सीखा रहीं हैं।
उनके इस सपने को पूरा करने मे उनके घरवाले खास करके उनकी मम्मी का काफी सहयोग रहा हैं । पहले तो उनके पिता जी इसके खिलाफ थे लेकिन अंजली को इस क्षेत्र में अच्छा करते देख अब वह भी उनका सहयोग करते हैं। बाकी घर में सभी उनका साथ देते हैं। वह आगे जाकर अपनी माँ के नाम से ‘लक्ष्मी फुटबॉल क्लब’ खोलना चाहती हैं और गाँव की लड़कियों को आगे बढ़ने की पेरणा देना चाहती हैं।
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