भुवनेश्वर के डीसीपी पिनाक मिश्रा ने बताया कि मामला आमहत्या के लिए उकसाने (धारा 108) के तहत दर्ज किया गया है। अधिकारी आगे की जांच के लिए सबूत इकट्ठा कर रहे हैं। इसमें मृतिका का मोबाइल फ़ोन और लैपटॉप ज़ब्त करके विश्लेषण किया जा रहा है। डीसीपी ने पुष्टि की कि मामले को लेकर वैज्ञानिक जांच जारी है।
भुवनेश्वर, ओडिशा के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT) में रविवार, 17 फरवरी को नेपाल की एक छात्रा प्रकृति लम्साल (20 साल) द्वारा कथित तौर पर आत्महत्या करने का मामला सामने आया था। छात्रा अपने हॉस्टल के कमरे में बीते रविवार को मृत पाई गई। वह बी.टेक की तृतीय वर्ष की छात्रा थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, मृतिका के चचेरे भाई का आरोप था कि उसे एक अन्य छात्र द्वारा ब्लैकमेल किया जा रहा था, जिस वजह से उसने आत्महत्या की।
पुलिस के अनुसार, इस मामले में आरोपी की पहचान आद्विक श्रीवास्तव (21 वर्ष) के रूप में की गई है, जिसे रविवार शाम को हवाईअड्डे से हिरासत में लिया गया है। आरोपी लखनऊ से है।
भुवनेश्वर के डीसीपी पिनाक मिश्रा ने बताया कि मामला आमहत्या के लिए उकसाने (धारा 108) के तहत दर्ज किया गया है। अधिकारी आगे की जांच के लिए सबूत इकट्ठा कर रहे हैं। इसमें मृतिका का मोबाइल फ़ोन और लैपटॉप ज़ब्त करके विश्लेषण किया जा रहा है। डीसीपी ने पुष्टि की कि मामले को लेकर वैज्ञानिक जांच जारी है।
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जांच के लिए उच्च-स्तरीय समिति का गठन
बिज़नेस स्टैण्डर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा सरकार द्वारा मामले को लेकर उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया गया है। इस समिति की अध्यक्षता गृह सचिव करेंगे, जो नेपाली छात्रों को विश्वविद्यालय से निकाले जाने और विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया की जांच करेगी।
विश्वविद्यालय प्रशासन पर कार्यवाही न करने का आरोप
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, घटना के बाद कैंपस के लगभग 500 छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया और विश्वविद्यालय जाने वाले मुख्य रास्ते को जाम कर दिया। उनका आरोप था कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने तब कोई कार्यवाही नहीं कि जब मृतक छात्रा ने एक छात्र के खिलाफ़ उत्पीड़न की शिकायत विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल रिलेशन्स ऑफिस (IRO) से की थी।
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार जनयाना रंजन मोहंती ने इस बात की पुष्टि की कि छात्रा ने आरोपी द्वारा दुर्व्यवहार की शिकायत आईआरओ में की थी।
नेपाली छात्रों को विश्वविद्यालय ने भेजा घर और फिर बुलाया वापस
जब सोमवार को विरोध प्रदर्शन बड़ा तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने नेपाल के सभी अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को तुरंत कैंपस छोड़ने को कहा। रिपोर्ट्स के अनुसार, 500 से अधिक छात्रों को बसों में चढ़ाया गया और अलग-अलग रेलवे स्टेशनों पर छोड़ दिया गया, जहां से उन्हें वापस उनके घर जाने को कहा गया। कई छात्रों ने बताया कि उनके पास घर जाने के लिए टिकट नहीं थी।
हालांकि, जब नेपाल दूतावास और नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मामले में हस्क्षेप दिया तो विश्वविद्यालय ने अपना फैसला वापस लिया और छात्रों को कैंपस में रहने की अनुमति दी। साथ ही सभी नेपाली छात्रों को वापस कैंपस भी आने को कहा गया। सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार ने भी विश्वविद्यालय से छात्रों को हॉस्टल में रहने की अनुमति देने को कहा है।
विश्वविद्यालय ने अपने कृत्यों को लेकर मांगी माफ़ी
वहीं इन दिनों मामले से जुड़ा एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें विश्वविद्यालय की कर्मचारी मंजूषा पांडे और जंयती नाथ विश्वविद्यालय के बजट और नेपाल के राष्ट्रीय बजट की तुलना करती हुई नज़र आ रही हैं, जिसकी काफ़ी आलोचना भी की जा रही है। वायरल वीडियो में पांडे कहती हैं, “हम 40,000 से अधिक छात्रों को मुफ्त में खिला रहे हैं और पढ़ा रहे हैं।”
इस बीच, जयन्ती द्वारा नेपाली छात्रों से यह कहते हुए सुना गया, “यह आपके देश के बजट के बराबर है।” बाद में जब यह वीडियो वायरल हुआ तो दोनों ही कर्मचारियों ने अपनी टिप्पणियों को लेकर अफसोस जताया। X पर माफ़ी का वीडियो पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा कि जो कहा, वह बिना सोचे-समझे कहा था।
Dear friends of Nepal, these b!tches don’t represent Bharat. We stand in solidarity with Prakriti and all the Nepali students fighting against the KIIT administration.pic.twitter.com/bdI1sTem2q
— Indian Right Wing Community (@indianrightwing) February 17, 2025
जानकारी के अनुसार, वीडियो के फैलने से कैम्पस में तनाव बड़ा। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों और छात्रों के बीच झड़प भी हुई, जो मृतक छात्रा के लिए न्याय की मांग कर रहे थे।
इसके बाद विश्वविद्यालय (KIIT) द्वारा सार्वजनिक रूप से मांफी मांगी है और कार्यवाही करते हुए दो अधिकारियों को ड्यूटी से हटा दिया। विश्वविद्यालय ने अपने काम को ‘बेहद गैर-ज़िम्मेदाराना’ बताते हुए आलोचना की। X पर लिखे पोस्ट में विश्वविद्यालय ने कहा, “हम अपने छात्रों से बहुत प्यार करते हैं और उन्हें कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।”
नेपाली दूतावास से मदद के लिए भेजे गए अधिकारी
वहीं मामले को लेकर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आश्वासन भी दिया कि उनकी सरकार प्रभावित छात्रों की मदद के लिए ज़रूरी कदम उठा रही है। सोशल मीडिया X पर जानकारी शेयर करते हुए उन्होंने लिखा, “हमारे नई दिल्ली में स्थापित दूतावास ने ओडिशा में प्रभावित नेपाली छात्रों की काउंसलिंग के लिए दो अधिकारी भेजे हैं। इसके अलावा, छात्रों को अपनी पसंद के अनुसार हॉस्टल में रहने या घर वापस जाने का विकल्प देने की व्यवस्था की गई है।”
Our Embassy in New Delhi has dispatched two officers to counsel Nepali students affected in Odisha.
Additionally, arrangements have been made to ensure they have the option to either remain in their hostel or return home, based on their preference. #Nepal #Odisha
— K P Sharma Oli (@kpsharmaoli) February 17, 2025
विश्वविद्यालय (KIIT) प्रशासन अपने जारी बयान में कहा कि “हम सभी नेपाली छात्रों से अपील करते हैं, जो कैंपस छोड़ चुके हैं या छोड़ने का विचार कर रहे हैं, कि वे वापस आएं और कक्षाएं फिर से शुरू करें।”
इतनी बातचीत, भारत व नेपाल प्रशासन द्वारा मामले में शामिल होने के बाद भी छात्रों में तनाव की स्थिति कम नहीं हुई है।
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