खबर लहरिया औरतें काम पर जल सहेली: मुश्किल को मिशाल बनाया अगरोठा की महिलाओं ने

जल सहेली: मुश्किल को मिशाल बनाया अगरोठा की महिलाओं ने

एक तरफ सूखे बुंदेलखंड को पानी देने के लिए सरकार हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है दूसरी तरफ बुंदेलखंड में पानी की स्थिति आज भी गंभीर है| जबकि बुंदेलखंड पैकेज के तहत पानी की समस्या दूर करने के लिए गांव में कई तालाब भी खुद गए लेकिन उनमें धूल उड़ रही है इस समस्या को दूर करने के लिए छतरपुर जिले के अगरोठा गांव की महिलाओं ने एक पहाड़ी को काटकर ऐसी नहर बनाई और तालाब में जोड़ा जिससे पहाड़ी का बरसाती पानी उन तालाबों में जा सके और जल स्रोत बढ सके तो आइए मिलवाते हैं उन भागीरथी महिलाओ से जिन्होंने इस काम को करके अपना नाम जल सहेलियों के नाम से फेमस किया है.

जल सहेली

जल सहेली

साल 2011 में यूरोपियन यूनियन के सहयोग से परमार्थ सेवा संसथान ने पानी पर महिलाओं की हक़दारी परियोजना शुरू की थी। गांवों में पानी को लेकर पानी की पंचायतें बनीं प्रत्येक पंचायत में 15 से 25 महिलाओं को जगह दी गई। प्राकृतिक जल प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए दो महिलाओं को जल सहेली बनाया गया और उन्हें टेंड किया गया.ये महिलाएं मध्य प्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, सागर और दमोह के साथ उत्तर प्रदेश के सात जिलों झांसी, महोबा, ललितपुर, हमीरपुर, बाँदा, चित्रकूट और जालौन में नवीन जल संरचनाओं का निर्माण कर रहीं हैं। आज जालौन में 60, ललितपुर 40 और छतरपुर में इन्होंने दो सौ से अधिक छोटे बांध बनाए हैं।