खबर लहरिया जिला भदोही: क्या हथकरघा से पड़ रहा बुनकरों के स्वास्थ्य पर असर?

भदोही: क्या हथकरघा से पड़ रहा बुनकरों के स्वास्थ्य पर असर?

यूपी का भदोही ज़िला अपनी खूबसूरत कालीनों के लिए सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी मशहूर है। यहाँ लगभग 65 हज़ार कारीगर सिर्फ कालीन बनाने का काम करते हैं। भदोही की गली-गली में आपको हटकरगहे की आवाज़ सुनने को मिल जाएगी, घरों के बाहर बैठी कताई करती महिलाएं देखने को मिल जाएंगी।

Bhadohi News, carpet business slowed down due to COVID-19

मुग़लों के दौर में शुरू हुआ कालीन बनाने का ये काम आज भारत सरकार के लिए भी बिज़नेस मॉडल बन चुका है, इसीलिए तो साल 2015 से 7 अगस्त को भारत सर्कार ने राष्ट्रीय हथकरघा दिवस घोषित किया। इस दिवस को मानाने का उद्देश्य हथकरघा उद्योग को सुरक्षित रखना और खत्म होते उद्योगों को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए काम किया जाना है।

और हैंडलूम के काम को जीवित रखना ज़रूरी भी तो है, क्यूंकि हैंडलूम वर्क से बनी कालीनों, साड़ियों, एवं अन्य कपड़ों में भारतीय संस्कृति झलकती है। मखमली, कलात्मक हस्तकलाएं जिसे देख कर ही मन खुश हो जाता है।

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लेकिन क्या आपने कभी उन लोगों के बारे में सोचा है, जो दिन रात फैक्ट्री में मेहनत करके, पसीना बहा के ये काम करते हैं, और छोटी मोती रकम कमा कर अपना पेट पाल रहे हैं? यहाँ तक कि इस रोज़गार के कारण उन्होंने अपना स्वास्थ्य तक दांव पर लगा दिया है। लेकिन बदले में उन्हें सरकार की तरफ से क्या मिला है?

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भदोही के हथकरघा कारीगरों का कहना है कि मशीन, कपड़े, रूई से निकल वाला कचरा, महीन धागा साँस के ज़रिए उनके शरीर में जाता है, जिससे टीबी जैसी गंभीर बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। ये लोग आए दिन खांसी, ज़ुकाम के कारण बीमार भी पड़ते रहते हैं। लेकिन सरकार या स्वास्थ्य विभाग की तरफ से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिलती।

Is handloom work affecting the health of weavers, see full report

सरकार ने हैंडलूम कारीगरों के लिए हथकरघा बुनकर व्यापक कल्याण योजना जैसी कई अन्य योजनाएं तो चलाई हैं, जिसकी मदद से बुनकर समुदाय को स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़ा बीमा मिल सकता है, लेकिन इन योजनाओं का लाभ क्या बुनकरों को मिल पाता है? यह बड़ा सवाल है।

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मात्र 200-300 रूपए के लिए भदोही के बुनकर कारीगर रूई और धागों की धुनक, धूल के बीच दिन-रात मेहनत करते हैं और फैक्ट्री या स्वास्थ्य विभाग की तरफ से उन्हें कोई अतिरिक्त लाभ भी नहीं मिलता।

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भदोही सीएमओ का कहना है कि कालीन से निकलने वाली डस्ट इतनी नुकसान दायक नहीं होती है, इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने अबतक बुनकरों को कोई ख़ास सुविधा नहीं दी है। लेकिन अगर कारीगरों को दिक्कत हो रही है तो वो डीएम से बात करेंगे और कारखानों का निरीक्षण करवाकर उचित काम करवाएंगे।

हथकरघा दिवस के अवसर पर हम यहीं कामना करते हैं कि सरकार हथकरघा क्षेत्र में विकास लाने के साथ-साथ, हथकरघा बुनकरों और श्रमिकों को आर्थिक रूप से से सशक्त भी बनाए और उनके स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए बेहतर कदम भी उठाए।

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