खबर लहरिया Blog International: ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमरीका का जीबीयू-57 से हमला, क्या है जीबीयू-57?

International: ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमरीका का जीबीयू-57 से हमला, क्या है जीबीयू-57?

अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले कर पूरी दुनिया को चौंका दिया है। इन हमलों में ईरान के परमाणु ठिकानों को व्यापक नुकसान हुआ है।ऐसे में जानें कि अमेरिका ने कौन से हथियारों का इस्तेमाल किया है।

GBU 57, bunker buster bomb

जीबीयू 57, बंकर बस्टर का बम (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

ईरान और इज़राइल की लड़ाई में अमेरिका की एंट्री हो गई है। सुपरपावर (अमेरिका) ने पहली बार अपने सबसे घातक और रहस्यमयी हथियार जीबीयू-57 को जंग के मैदान में इस्तेमाल किया। इसका निशाना था ईरान की वो तीन परमाणु साइड जो अब तक धरती की गहराई में सुरक्षित मानी जाती थी। वो तीन जगह हैं – फ़ोर्दो, नतांज़ और इस्फ़हान।

22 जून 2025 को अमेरिका ने ईरान परमाणु ठिकाने पर भीषण बमबारी की।इन हमलों में ईरान के परमाणु सुविधाओं को व्यापक नुक़सान पहुंचा है। गुरुवार यानी 19 जून 2025 को डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी थी कि उसके पास विचार करने के लिए सिर्फ डो सप्ताह है।हालांकि, किसी को यह अंदाजा नहीं था कि अमेरिका इतनी जल्दी ईरान के खिलाफ इजरायल के युद्ध में शामिल हो जाएगा। 

ट्रंप ने जिस हमले की बात कही है उसमें एक हथियार की सबसे ज़्यादा चर्चा हो रही है वो है मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर।इसका अधिकारिक नाम जीबीयू (गाइडेड बॉम्ब यूनिट) है और जिसका डिज़ाइन नम्बर 57 है।

क्या था ईरान के उस तीन जगहों में 

अमेरिका ने ईरान के तीन जगहों को निशाना बना कर वहां हमला किया और वो तीन जगह है फ़ोर्दो, नतांज़ और इस्फ़हान। यह तीन बड़े जगह बंकर बस्टर है जहां ईरान के तरफ से युद्ध में शामिल किए जाने वाले भारी मात्रा में परमाणु बॉम्ब रखने का स्थान है।इसी लिए अमेरिका ने ईरान के इन तीन जगहों पर हमला करने का सोचा और दिन रविवार को यह हमला किया गया।

क्या है जीबीयू-57 

जीबीयू-57 बॉम्ब एक विशाल और अत्यधिक शक्तिशाली बम है जिसे अमेरिका ने बोइंग कंपनी के साथ मिलकर विकसित किया है।इसे विशेष रूप से उन ठिकानों पर नष्ट करने के लिए बनाया गया है। जमीन के नीचे गहरे बंकरों में बने होते हैं जैसे कि परमाणु सुविधाएं या सैन्य कमांड सेंटर।यह बन इतना शक्तिशाली है कि यह 200 फीट मिट्टी या 60 फीट कंक्रीट को भेद सकता है।

जीबीयू-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर का वजन लगभग 14,000 किलोग्राम है – जो संयुक्त रूप से दो अफ्रीकी हाथियों के बराबर है। यह लगभग 20.5 फीट लंबा है और इसका व्यास 31.5 इंच है। इसका वारहेड, AFX-757 और PBXN-114 विस्फोटकों का मिश्रण है, जिसका वजन लगभग 2,500 किलोग्राम है।

टॉमहॉक मिसाइल 

अमेरिका ने ईरान पर हमले में 30 टॉमहॉक मिसाइलों को भी दागा है। टॉमहॉक एक लंबी दूरी की सभी मौसम में मार करने वाली सबसोनिक क्रूज मिसाइल है। यह मिसाइल मुख्य रूप से अमेरिकी नौसेना और रॉयल नेवी के युद्धपोतों और पनडुब्बी से जमीनी लक्ष्यों पर हमला करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। टॉमहॉक क्रूज मिसाइल दूर से किसी लक्ष्य पर हमला करने के लिए सबसे सटीक हथियार है। इस मिसाइल की रेंज 1250 किलोमीटर से 2500 किलोमीटर के बीच है। टॉमहॉक मिसाइल को पनडुब्बी या युद्धपोत से भी लॉन्च किया जा सकता है। क्रूज मिसाइल होने के कारण यह समुद्र की सतह से काफी नजदीक उड़ान भरती है। इस कारण दुश्मन के रडार टॉमहॉक मिसाइल को जल्दी से डिटेक्ट नहीं कर पाते हैं।

जीबीयू-57 का उपयोग 

ईरान का परमाणु कार्यक्रम लंबे समय से इज़राइल और अमेरिका के लिए चिंता का विषय रहा है।ईरान के तीन परमाणु ठिकाने फ़ोर्दो, नतांज़ और इस्फ़हान विश्व के नजरों में है।इसमें से फ़ोर्दो सबसे कठिन लक्ष्य है, क्योंकि इस पहाड़ों के नीचे 80 मीटर की गहराई में बना है।सामान्य बम इस तरह के ठिकानों को नष्ट नहीं कर सकते हैं।यही कारण है कि अमेरिका ने जीबीयू-57 बॉम्ब का उपयोग किया।

ट्रंप ने क्या कहा 

ट्रंप ने ईरान में हमले से सबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टूथ में कहा है कि “हमने फ़ोर्दो, नतांज़ और इस्फ़हान समेत ईरान के तीन प्रमुख ठिकानों पर सफलतापूर्वक हमलों को अंजाम दिया है।सभी विमान अब ईरान के वायु क्षेत्र से बाहर हैं” ट्रंप ने आगे यह भी कहा कि “फ़ोर्दो पर सारे बम गिराए गएं हैं और सभी विमान सुरक्षित रूप से अमेरिका वापस लौट रहे हैं।हमारे महान अमेरिकी योद्धाओं को बधाई, दुनिया में कोई और सेना नहीं है जो ये कर सकती थी अब शांति का समय है” 

ईरान ने क्या कहा 

ट्रंप ने के पोस्ट के बाद ईरान के सरकारी टीवी चैनल के डिप्टी पॉलिटिकल डायरेक्टर हसन अबेदिनी ने सरकारी टीवी चैनल पर ये कहा है कि ईरान ने परमाणु ठिकानों को पहले ही खाली कर लिया था।उन्होंने आगे कहा कि अगर ट्रंप जो कुछ कह रहे हैं वो सच भी हो तो ईरान को किसी बड़े धमाके से कोई नुक़सान नहीं हुआ क्योंकि पदार्थों को पहले निकल लिया गया था।

क्या है जोखिम और चुनौतियां? 

वन इंडिया के अनुसार विशेषज्ञों का कहना है कि GBU-57 फोर्डो को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन एक ही हमले से इसे पूरी तरह नष्ट करना मुश्किल है। कई हमले जरूरी हो सकते हैं, जिसमें एक ही स्थान पर कई बम गिराए जाएं। इसके अलावा, हमले से परमाणु रिसाव का खतरा भी है, जिसके बारे में IAEA ने चेतावनी दी है। राफेल ग्रॉसी ने कहा, ‘परमाणु सुविधाओं पर हमला गंभीर परिणाम भुगत सकता है।

 

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