राजस्थान के जालोर जिले में उच्च जाति के अध्यापक द्वारा 9 साल के इंद्र कुमार की पिटाई की जाती है क्योंकि उसने अध्यापक के घड़े को छुआ था। इसे लेकर सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि इस तरह की घटनाएं तो हर राज्य में होती हैं। वहीं देश 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है जहां आज भी देश जातिगत हिंसा से आज़ाद नहीं हो पाया है।
देश ने इस 15 अगस्त को अपना 75वां ‘स्वतंत्रता दिवस’ यानी आज़ादी दिवस मनाया। लेकिन जाति व जातिगत हिंसा से आज़ादी लोगों को आज भी नहीं मिल पायी है। देश में दलित, छोटी जाति के माने जाने वाले लोग आज भी बड़ी जाति के माने जाने वाले लोगों द्वारा प्रताड़ित किये जाते हैं। उनके लिए दलित का छूना तो मतलब पाप है। उन्हें दलितों को प्रताड़ित करने का हक़ मिला हुआ है, शायद तभी तो दलित हिंसा इतनी आम हो गयी है कि जब तक व्यापक तौर पर इस पर लोगों की नज़र न जाए, प्रशासन के लिए वह कोई संगीन या कठोर कदम उठाने वाला मुद्दा नहीं होता।
द क्विंट द्वारा शेयर किया गया बच्चे की मौत से पहले का वीडियो
राजस्थान के जालोर जिले के एक स्कूल में 9 साल के दलित छात्र को उसके सवर्ण जाति के माने जाने वाले अध्यापक द्वारा बेहरहमी से पीट-पीटकर घायल कर दिया जाता है। वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि बच्चे ने बड़ी जाति के माने जाने वाले अपने अध्यापक के घड़े से पानी पी लिया था। इस घटना को व्यापक कवरेज मिली व लोगों की ठोस प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिली।
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दलित छात्र की पीटाई पर सीएम अशोक गहलोत
ऐसा नहीं है कि यह पहली बार है कि देश में किसी दलित के साथ हिंसा हुई है। ऐसा और किसी का नहीं बल्कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है। 15 अगस्त 2022, सोमवार को राजस्थान के सीएम ने कहा, “इस तरह की घटनाएं तो हर राज्य में भी होती हैं। अगर आप टीवी देखते हैं या अखबार पढ़ते हैं, तो आप जानते हैं कि ये घटनाएं हर जगह होती हैं।”
सीएम का यह बयान सुनकर ऐसा प्रतीत होता है कि यह घटना सच में उनके लिए कुछ ज़्यादा ही आम है जो उन्हें फ़र्क ही नहीं पड़ता।
सीएम गहलोत, विपक्षी भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहते हैं, “हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। हमारे राज्य में हो या किसी अन्य राज्य में। चाहे उदयपुर की घटना हो या जालोर की, हमने ऐसे फैसले लिए हैं, जिसने जनता को यकीन दिलाया है। भाजपा को विपक्ष में रहते हुए इसे मुद्दा बनाना चाहिए। हालांकि, हमारी सरकार ने कार्रवाई करते हुए शिक्षक को गिरफ़्तार कर लिया है। अब और क्या किया जा सकता है? पूरा राज्य और देश देख रहा है।”
आगे कहा कि, “त्वरित जांच के लिए इसे ‘केस ऑफिसर स्कीम’ में लिया जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री राहत कोष से बच्चे के परिवार को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायत देने की भी घोषणा की है।”
“गऊ माता की सुरक्षा” है सबसे प्रथम – सीएम गहलोत
दलित डेस्क द्वारा शेयर की गयी वीडियो में सीएम गहलोत द्वारा यह कहते सुना गया कि उनके लिए सबसे मत्वपूर्ण “गऊ माता की सुरक्षा” है। जब उनसे छुआछूत को लेकर प्रश्न पूछा गया तो वह सवाल को नज़रअंदाज़ करते दिखे।
रविवार को हुआ अंतिम संस्कार
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 14 अगस्त 2022 को तनाव भरे माहौल में 9 साल के इंद्रकुमार का अंतिम संस्कार किया गया। द क्विंट की प्रकाशित रिपोर्ट कहती है, इंद्र के पिता का आरोप है कि जब उन्होंने अपना विरोध जताया तो पुलिस ने उन्हें लाठियों से पीटा। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बताया कि पुलिस ने उन्हें हाथ और कमर पर डंडे से पीटा है।
आंदोलनकारियों पर पुलिस ने किया बल का इस्तेमाल
द क्विंट की रिपोर्ट कहती है कि दलित छात्र की पिटाई को लेकर लोगों में गुस्सा था, जिसकी वजह से लोग सड़क पर विरोध करने उतर गए। जब इंद्र का शव अंतिम संस्कार के लिए गांव लाया गया तब आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच सुराणा गांव में झड़प हो गयी। पुलिस का आरोप है कि आंदोलनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया जिसके जवाब में पुलिस को हल्के बल का प्रयोग करना पड़ा।
जानकारी के अनुसार, हालात को देखते हुए प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं।
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जातिगत एंगल नहीं – पुलिस
पुलिस का यह कहना है कि जांच में अब तक यह सामने आया है कि इस मामले में जाति का कोई एंगल नहीं है। वहीं परिवार जातिगत हिंसा के आरोप को लेकर अडिग है।
दलित छात्र की पिटाई को लेकर पूरा मामला
20 जुलाई 2022, जालोर सायला के सुराणा गांव के निजी स्कूल सरस्वती विद्या मंदिर की यह घटना है। जहां तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले 9 साल के इंद्र कुमार मेघवाल को अध्यापक द्वारा पीटा गया था। पिटाई के बाद इंद्र की हालत बहुत खराब हो गयी थी। परिवार ने आरोप लगाते हुए बताया था कि स्कूल के संचालक
छैल सिंह ने मटका छूने पर बच्चे की पिटाई की थी। इसके साथ ही बच्चे को जातिसूचक शब्दों से अपमानित भी किया गया था। टीचर की पिटाई से बच्चे के कान की नस फट गई थी, जिसके बाद 13 अगस्त को इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बच्चे के परिवार वालों द्वारा 24 दिनों तक उसे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल इलाज के लिए लेकर जाया गया। बच्चे की हालत बिगड़ने पर 20 जुलाई से 13 अगस्त के बीच परिवार ने बच्चे को अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में भर्ती कराने से पहले जालोर जिले, उदयपुर जिले और गुजरात के मेहसाना के बगोडा और भीनमाल के अस्पतालों में ले जाया था। आखिर में शनिवार को अहमदाबाद सिविल अस्पताल में बच्चे ने अपनी आखिरी सांसे ली।
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जालोर के एसपी हर्षवर्धन अग्रवाल
जालोर जिले के एसपी हर्षवर्धन अग्रवाल ने मटकी में हाथ लगाने वाली बात की पुष्टि नहीं की है। उन्होंने बताया कि स्कूल में पीने के पानी के लिए टंकी लगी है, जहां नल से सब लोग पानी पीते हैं।
सरकार व पुलिस की करी गयी आलोचना
परिवार को कांग्रेस एमएलए और राजस्थान कमीशन फॉर स्केड्यूले कास्ट के चैयरमैन खिलाड़ी लाल बैरवा का समर्थन मिला। खिलाड़ी लाल बैरवा, सोमवार को दलित छात्र की मौत को लेकर अपनी सरकार व पुलिस द्वारा मामले जाति के एंगल को बाहर रखने को लेकर उनकी की आलोचना करते हैं।
वायरल ऑडियो में आरोपी शिक्षक ने कबूला गुनाह
द क्विंट की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में क्वींट हिन्दी के पास एक ऑडियो है, जिसमें इंद्र के पिता और शिक्षक की बातचीत बताई जा रही है। फोन पर पिता ने शिक्षक को कहा कि आपने ऐसे कैसे बच्चे को मारा है कि उसकी हालत नाजुक हो गई। शिक्षक ने जवाब में कहा कि बच्चे ने मस्ती की होगी तो मैंने थप्पड़ मार दिया होगा। मुझे नहीं पता उसके कान में कोई दर्द हो रहा था। इस पर पिता ने कहा आपने थप्पड़ मार दिया तो कोई बात नहीं लेकिन डॉक्टर कह रहा है कि बच्चे की हालत नाजुक हो गई है। इस पर शिक्षक ने जवाब दिया कि इलाज का सारा खर्च मैं उठाने को तैयार हूँ। मैं इलाज करवा सकता हूँ। इसके अलावा और क्या कर सकता हूँ। इस पर पिता ने कहा कि ये इलाज की बात नहीं है, लेकिन महादेव की कसम बच्चा बोल नहीं पा रहा है। जवाब में शिक्षक ने कहा कि बोल नहीं सकता तो मैं क्या कर सकता हूं? मुझसे गलती हुई तो मैं इलाज का सारा खर्च उठा सकता हूँ। मैंने जानबूझकर नहीं मारा।
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इन धाराओं के तहत लिखा गया मामला
इस मामले को लेकर आरोपी अध्यापक छैल सिंह पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराओं
के तहत प्राथमिक रिपोर्ट लिखी गयी है।
जांच कमेटी का हुआ गठन
इस मामले में राजस्थान शिक्षा विभाग ने भी एक जांच कमेटी का गठन किया है। वहीं स्कूल की तरफ से भी इस मामले में एक जांच कमेटी का गठन कर मामले की जांच की जा रही है।
राज्य के सीएम द्वारा हिंसा को हल्के में लेते हुए यह कह दिया जाता है कि ये घटनाएं तो अन्य राज्य में भी होती है। एक तरफ देश 75वां आज़ादी दिवस मना रहा है। वहीं यह सवाल सामने आता है कि अगर आज़ादी है तो आज़ादी के बाद भी देश का दलित समुदाय आज भी बंधा हुआ क्यों है? वह क्यों आज़ाद नहीं है? आज़ादी क्या किसी की जाति, समाज में उसके रुतबे से बंधी हुई है? अगर ऐसा नहीं है तो ऐसा क्यों है कि समाज के कुछ लोग हिंसा करने के लिए भी आज़ाद है और किसी को सुरक्षा, अपने अधिकार, खुले तौर पर जीने तक की आज़ादी नहीं है?
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