खबर लहरिया Blog बालू माफियों ने नष्ट की किसानों की फसल, न्याय की मांग करते हुए सौंपा तहसीलदार को ज्ञापन

बालू माफियों ने नष्ट की किसानों की फसल, न्याय की मांग करते हुए सौंपा तहसीलदार को ज्ञापन

बुंदेलखंड क्षेत्र में बालू माफियों द्वारा किसानों की फसलें बर्बाद की जा रही है। खनन के लिए मशीनों को खेतों के बीच से लेकर जाया जा रहा है। जिसे लेकर लोगों ने तहसीलदार को न्याय की मांग करते हुए ज्ञापन पत्र सौंपा है।

कछार पुरवा गाँव ( खनन के लिए खेत में खड़ी मशीन)

बुंदेलखंड क्षेत्र बालू माफ़िया और लाल सोने के लिए जाना जाता है। यहां का बालू लाल होता है और काफ़ी महंगा बिकता है। इसलिए यहां के बालू को लाल सोना कहा जाता है। लेकिन लगातार हो रहे हैं खनन से यहां के किसान काफ़ी परेशान है। बालू माफियों द्वारा आये दिन उनके खेतों को बर्बाद कर दिया जाता है। किसान शिकायत करते हैं। जांच के लिए टीमें भी आती हैं। लेकिन माफियों को फिर भी पकड़ा नहीं जाता। अब इन बालू माफियों के इरादे जिले में इतने मज़बूत हो गए हैं कि उन्हें शासन का भी डर नहीं। शायद इसलिए वह रोज़ लोगों के लिए नई-नई मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं।

परेशान किसानों ने सौंपा ज्ञापन

कछार पुरवा गाँव के किसान, ज्ञापन देते हुए

बाँदा जिले के नरैनी तहसील के कछार पुरवा गाँव के किसान बालू माफियों द्वारा किये जा रहे खनन कार्य से काफी परेशान हैं। लोगों का आरोप है कि खनन माफ़िया उनके हरे-भरे खेतों को रौंदते हुए पोकलैंड मशीन निकालते हुए लेकर जाते हैं। (पोकलैंड मशीन खनन के लिए इस्तेमाल की जाती है।) दुःखी होकर लोगों ने 22 मार्च को तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। लोगों की मांग है कि उनके खेतों के बीच से लेकर जाने वाली पोकलैंड मशीनों को रोका जाये। ताकि उनकी फसलें बर्बाद ना हो।

मशीन के नीचे दब गयी सारी फसलें

जमवारा ग्राम पंचायत के मजरा कछार पुरवा गाँव में लगभग 20 परिवार नदी के किनारे खेती करते हैं। गाँव के दद्दू, खिलावन, पप्पू और रामदेव बताते हैं कि वह लोग छोटे काश्तकार हैं। जानकारी के अनुसार, नदी के किनारे आमतौर पर केवट जाति से संबंध रखने वाले लोग ही खेती करते हैं। वह बताते हैं कि वे लोग लगभग बीस सालों से नदी के किनारे सब्ज़ी उगा रहे हैं। जिसके ज़रिये उनका परिवार चलता है। इस समय नदी के किनारे उन्होंने भिंडी,लौकी, कद्दू, खीरा, टमाटर आदि सब्ज़ियां लगा रखी हैं। जिनमें फूल भी आ चुके हैं।

कछरा पुरवा गाँव

कछार पुरवा गाँव

वह आगे कहते हैं कि जब उन्होंने खनन माफियों द्वारा किये गए कार्यों का विरोध किया। तब 22 मार्च की सुबह वह लोग अपनी मशीन लेकर पहुंच गए। माफियों द्वारा देखते ही देखते उनकी 10 बीघा ज़मीन को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया गया। गांव के सभी लोगों ने मिलकर उन्हें रोकने की भी कोशिश की। ऐसा करने पर माफियों द्वारा उन्हें धमकाया भी गया। तब जाकर उन्होंने न्याय की मांग करते हुए तहसीलदार को ज्ञापन पत्र सौंपा।

फसल नहीं होगी तो क्या खाएंगे?

लहुरेटा और जमवारा ग्राम पंचायत  के बीच बुधवा घाट पर रहने वाले लोग नदी किनारे खेती करके ही सालों से अपनी जीविका चला रहे हैं। लेकिन ठेकेदारों द्वारा उन्हें लगातार परेशान किया जाता है। ज़बरदस्ती उनके खेतों से गाड़ियां निकाली जाती हैं। गाड़ी के टायर के नीचे उनकी सारी मेहनत और फसल मिट्टी में मिल जाती है। उन्हें धमकाया जाता है। उनके साथ गाली-गलौच भी की जाती है।

कछार पुरवा गाँव

कछार पुरवा गाँव

लोगों का कहना है कि अगर वह फसल तैयार नहीं करेंगे तो वह खाएंगे क्या? उनका परिवार तो भुखमरी की कगार पर आकर खड़ा हो जाएगा। उन्हें बस न्याय की उम्मीद है।

जांच के बाद होगी कार्यवाही – तहसीलदार

नरैनी के तसहीलदार सुशील कुमार सिंह से खबर लहरिया द्वारा इस मामले पर फोन पर बात की गयी। वह कहते हैं कि जाँच होने के बाद कार्यवाही की जायेगी। अगर ठेकेदारों के पट्टे की ज़मीन है तो देखा जाएगा। अगर किसानों की ज़मीन है और उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं तो इस पर भी कार्यवाही होगी। अभी के लिए यह जांच का विषय है।

बालू माफियों से बुंदेलखंड क्षेत्र सालों से ग्रस्त है। आये दिन उनके द्वारा लोगों के लिए तरह-तरह की परेशानियां खड़ी की जाती है। अब सवाल लोगों की जीविका का है। ऐसे में पूरे मामले की कार्यवाही कब तक की जाती है। बालू माफियों को पकड़ा जाता है या नहीं? तब तक जिन किसानों की फसलें बर्बाद हुई हैं, उन्हें क्या कोई मुआवज़ा दिया जाएगा? अगर प्रशासन द्वारा बालू माफियों के खिलाफ कदम उठाये जा रहे हैं तो उसका कोई असर निकलकर क्यों नहीं आ रहा? जैसे काफ़ी प्रश्न उठकर सामने आते हैं।

इस खबर को खबर लहरिया के लिए गीता देवी द्वारा रिपोर्ट किया गया है।