बांदा के जसपुरा गाँव में बिजली विभाग के कर्मचारियों द्वारा एक कैंप लगाया गया है और ग्रामीणों से बिजली का बिल वसूला जा रहा है। लोगों का कहना है कि इस गाँव में ज़्यादातर मज़दूर रहते हैं जिनके घरों में बिजली से मुश्किल से एक पंखा और एक बल्ब जलता है, लेकिन उनका बिल हज़ारों में आ रहा है। ऐसे में वो या तो परिवार का पेट पालन कर सकते हैं या फिर बिजली का बिल भर सकते हैं।
कहने को तो सरकार ने देश के ग्रामीणों के विकास के लिए हज़ारों योजनाएं बना रखी हैं, लेकिन उन योजनाओं का लाभ कौन उठा रहा है, यह किसी को नहीं पता। चाहे वो कोटे में मुफ्त का राशन हो या गाँव-गाँव मुफ्त बिजली आपूर्ति, इन सभी योजनाओं पर अब पानी फिर चुका है, और गाँव वालों की महत्वपूर्ण ज़रूरतों को पूरा करने के नाम पर आला अधिकारी अब सिर्फ अपनी जेब भर रहे हैं।
हाल ही में ऐसा ही कुछ देखने को मिला है बांदा के जसपुरा गाँव में, जहाँ बिजली विभाग के कर्मचारियों द्वारा एक कैंप लगाया गया है और ग्रामीणों से अवैध रूप से बिजली का बिल वसूला जा रहा है। लोगों का कहना है कि इस गाँव में ज़्यादातर मज़दूर रहते हैं जिनके घरों में बिजली से मुश्किल से एक पंखा और एक बल्ब जलता है, लेकिन उनका बिल हज़ारों में आ रहा है। ऐसे में वो या तो परिवार का पेट पालन कर सकते हैं या फिर बिजली का बिल भर सकते हैं।
जितनी आय नहीं, उससे ज़्यादा का तो बिल आ रहा है-
इस गाँव की शकुंतला का कहना है कि बिजली विभाग उनके घर साल भर का बिजली का बिल देकर चला गया है, जो कि 10 हज़ार से भी ज़्यादा है। इसके साथ ही चेतावनी भी दी है कि अगर जल्द से जल्द बिल नहीं भरा तो उनके घर की बिजली काट दी जाएगी। उनका कहना है कि इतनी तो उनकी सालाना आय भी नहीं है, उनका मज़दूर परिवार है, ये लोग रोज़ कमाते हैं, रोज़ खाते हैं, ऐसे में 10 हज़ार रूपए का बिल भरना उनके लिए नामुमकिन है। शकुंतला का कहना है कि अगर बिजली विभाग हर महीने आकर गाँव वासियों को बिजली का बिल देकर जाए, तो सभी के लिए उसे भरने में आसानी होगी, साल भर का बिल एकसाथ भरना इन गरीब परिवारों के लिए बहुत मुश्किल हो रहा है।
इसी गाँव की शान्ति नाम की एक महिला ने बताया कि उनके घर में तो पंखा भी नहीं है, बिजली से सिर्फ एक दो बल्ब जलते हैं । ऐसे में इतना ज़्यादा बिजली का बिल आना सिर्फ बिजली विभाग का बिलों को लेकर घोटाला ही दर्शाता है। शान्ति का कहना है कि सरकार ने गरीबों को किसी भी प्रकार की छूट नहीं दे रखी है। न ही लोगों के पास रोज़गार है, न ही कोई छोटा मोटा व्यापार शुरू करने के पैसे हैं। ऐसे में घर का खर्चा चलाना ही इतना मुश्किल होता है, अगर प्रति यूनिट बिजली का रेट ही कुछ कम हो जाता, तो गरीबों को थोड़ा बहुत आराम होता, परन्तु ऐसा नहीं हुआ।
कुछ लोगों के तो मीटर भी खराब हैं, फिर भी आ रहा लम्बा-चौड़ा बिल-
जसपुरा गाँव की रामदेवी के कहना है कि उनका बिजली का बिल 5 हज़ार रूपए आया है जो कि मीटर रीडिंग के हिसाब से गलत है, उन्होंने बताया कि मीटर में रीडिंग कुछ और होती है और बिल में कुछ और रीडिंग होती है। उनका मानना है कि बिजली विभाग जानबूझ कर लोगों से पैसे वसूलने के लिए बिल देने के बहाने लोगों को भेजते हैं और मीटर में गड़बड़ी कर देते हैं। रामदेवी ने हमें बताया कि कई घरों में तो सालों से मीटर ख़राब पड़े हैं लेकिन उसके बावजूद भी उन लोगों का लम्बा चौड़ा बिल आ जाता है। इन लोगों ने बिजली विभाग में मीटर ठीक कराने का आवेदन भी दिया लेकिन उसपर भी कोई सुनवाई नहीं हुई।
गडरिया गाँव की मीरा देवी का कहना है कि उनका दो महीने का बिल हज़ारों में आता है और बिजली विभाग कैंप लगाकर अवैध रूप से इस गाँव के लोगों से पैसे वसूल रहा है। जब गाँव के लोगों ने इस बारे में विभाग के कर्मचारियों से जवाबदेही मांगी, तो उन कर्मचारियों ने बिल न भरने पर बिजली काट देने की बात कहकर लोगों को चुप करा दिया। एक तरफ तो सरकार ने मिट्टी का तेल देना भी बंद कर दिया है, दूसरी तरफ जो निशुल्क बिजली के कनेक्शन किए गए थे, उन कनेक्शन के भी बिल आना शुरू हो गए। ऐसे में गरीब न तो बिजली का इस्तेमाल कर सकता है न ही मिट्टी के तेल से बत्ती जला सकता है।
जो सरकार चुनाव आने पर बड़े-बड़े वादे करती है, लोगों को रोज़गार, गरीबों को मुफ्त बिजली, मुफ्त राशन देने की बातें करती है, वो जैसे ही चुनाव समाप्त होते हैं, सारे वादे भूलकर सिर्फ अपने हित के लिए काम करना शुरू कर देती है। ऐसे में जो सबसे ज़्यादा पिस्ते हैं, वो हैं देश के गरीब। न ही उनके पास रोज़गार है, न ही राशन लाने के पैसे, ऐसे में अगर बिजली जैसे महत्वपूर्ण विभाग धांधली करके बड़ी-बड़ी राशियों में लोगों से बिल वसूलेंगे तो ग्रामीणों का क्या होगा? सरकार को ज़रुरत है कि वो इन प्रणालियों की ओर ध्यान दे और सभी विभागों के अंतर्गत हो रही धांधलेबाजी पर रोक लगाए।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए शिवदेवी द्वारा रिपोर्ट एवं फ़ाएज़ा हाशमी द्वारा लिखा गया है।