खबर लहरिया Blog मैं उसकी आंखों से छलकी शराब पीता हूं, ग़रीब हो के भी महंगी शराब पीता हूं

मैं उसकी आंखों से छलकी शराब पीता हूं, ग़रीब हो के भी महंगी शराब पीता हूं

मैं उसकी आंखों से छलकी शराब पीता हूं, ग़रीब हो के भी महंगी शराब पीता हूं :हिदी और उर्दू के मशहूर कवि, गीतकार हसरत जयपुरी का जन्मदिवस 15 अप्रैल को है। तुम मुझे यूं भुला न पाओगे, जिदगी एक सफर है सुहाना और अहसान होगा तेरा मुझपर जैसे गीत फिल्म जगत को दिल छूने वाले गीत उन्होंने दिए थे।

15 अप्रैल 1922 को जन्मे हसरत जयपुरी .मूल नाम इकबाल हुसैन. ने जयपुर में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद अपने दादा फिदा हुसैन से उर्दू और फारसी की तालीम हासिल की। बीस वर्ष का होने तक उनका झुकाव शेरो-शायरी की तरफ होने लगा और वह छोटी-छोटी कविताएं लिखने लगे। हिन्दी फिल्मों में जब भी टाइटल गीतों का जिक्र होता है. गीतकार हसरत जयपुर का नाम सबसे पहले लिया जाता है।

एक मुशायरे में पृथ्वीराज कपूर ने उनको सुना और अपने बेटे राजकपूर से हसरत जयपुरी से मिलने की बात कही। और राज कपूर से मिलने के बाद उन्होंने ‘बरसात’ फ़िल्म का गाना ‘जिया बेकरार है छाई बहार है आजा मोरे बालमा तेरा इंतज़ार है।’ यही से शुरू हुआ हसरत जयपुरी साहब की कामयाबी का सिलसिला, जो चलता ही गया।

हसरत जयपुरी के लिखे कुछ टाइटल गीत हैं.. दीवाना मुझको लोग कहें..दीवाना.. दिल एक मंदिर है..दिल एक मंदिर.. रात और दिन दीया जले.. रात और दिन.. तेरे घर के सामने इक घर बनाऊंगा.. तेरे घर के सामने.. ऐन इवनिंग इन पेरिस.. ऐन इवनिंग इन पेरिस.. गुमनाम है कोई बदनाम है कोई.. गुमनाम.. दो जासूस करें महसूस.. दो जासूस..आदि। इसके अलावा गजलें और शेर भी लिखी हैं-

उस मैकदे की राह मे गिर जाऊं न कहीं
अब मेरा हाथ थाम तो लो मैं नशे में हूं

प्यार सच्चा हो तो राहें भी निकल आती हैं
बिजलियां अर्श से ख़ुद रास्ता दिखलाती हैं

मैं उसकी आंखों से छलकी शराब पीता हूं
ग़रीब हो के भी महंगी शराब पीता हूं

मुझे नशे में बहकते कभी नहीं देखा
वो जानता है मैं कितनी शराब पीता हूं

उसे भी देखूं तो पहचानने में देर लगे
कभी-कभी तो मैं इतनी शराब पीता हूं

कहने को वो हसीन थे आंखें थीं बेवफ़ा
दामन मेरी नज़र से बचा कर चले गए

जाने क्यों तेज़ हुई जाती है दिल की धड़कन
चुटकियां लेती है क्यों सीने में मीठी सी चुभन

किस वास्ते लिक्खा है हथेली पे मेरा नाम
मैं हर्फ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यूं नहीं देते

पुराने चाहने वालों की याद आने लगे
इसीलिए मैं पुरानी शराब पीता हूं

मैं उसकी आंखों से छलकी शराब पीता हूं
ग़रीब हो के भी महंगी शराब पीता हूं