खबर लहरिया Blog Nawada: दलितों के कई घर जल के राख, करीब 100 लोगों ने मिलकर लगाई आग

Nawada: दलितों के कई घर जल के राख, करीब 100 लोगों ने मिलकर लगाई आग

बिहार के नवादा जिले में दलित बस्ती के घरों में लगाई गई आग सिर्फ जमीनी विवाद नहीं बल्कि दलित (मांझी) और पासवान जाति का है। कथित तौर पर पासवान जाति ने अपना वर्चस्व दिखाने के लिए इस घटना को अंजाम दिया है। वे खुद को प्रभावशील मनाते हैं और उन्हें कहीं न कहीं लगता है कि ये दलित उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकते, इसलिए इतनी बड़ी अमानवीय घटना को उन्होंने अंजाम दिया।

              दलित बस्ती में आग लगने से जले हुए सामान की तस्वीर (फोटो सभार – सोशल मीडिया)

बिहार के नवादा जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के ननौरा के पास स्थित कृष्णा नगर की दलित बस्ती में आग लग गई। आग लगाने वालों में करीब लोग 100 शामिल थे। पुलिस ने 20-25 घर जलने की पुष्टि की है तो वहीं अन्य मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, घर जलने के आंकड़े 80 तक है। मुख्य आरोपी प्राणपुर गांव के निवासी नंदू पासवान सहित 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों ने बस्ती के लोगों के साथ मारपीट की और घरों पर 50 राउंड फायरिंग की। इसकी जानकारी नवादा के एसपी अभिनव धीमान ने दी। इसके साथ ही अनुमंडल पुलिस अधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि प्रथम जाँच से पता चला है कि यह जमीनी विवाद का मामला है। यह घटना कल बुधवार 18 सितम्बर 2024 को शाम 7.30 बजे मांझी टोला की है। मामले की जाँच जारी है।

रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी जमीन पर दलित बस्ती में लोग कई सालों से रह रहे थे। पड़ोस के गांव के कुछ लोग इस जमीन पर कब्जा करना चाहते थे। बुधवार 18 सितम्बर 2024 की शाम अचानक से गांव में करीब 100 लोग घुस आए और डराने के लिए गोलियां चलाई। उसके बाद घरों में आग लगा दी गई। लोग अपने कामों में व्यस्त थे। आग लगने से सब घर के बाहर आ गए जिससे वे तो बच गए लेकिन उनका घर जलकर राख हो गया। लोगों का जरूरत का सारा सामान, अनाज, रोटी, जानवर सब आग से झुलस गए। एएनआई ने घटनास्थल का वीडियो सोशल मीडिया X पर शेयर किया, जहां जले हुए सामान और राख को देखा जा सकता है।

सूचना मिलते ही नवादा के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) अनोज कुमार और अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) अखिलेश प्रसाद समेत वरिष्ठ अधिकारी पुलिस बल के साथ घटनास्थल मौके पर पहुंचे और स्थिति को संभाला।

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2-3 दिन तक रहेगी फोर्स तैनात

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने स्थिति को देखते हुए जानकारी दी कि गांव में अगले 2-3 दिन फोर्स तैनात रहेगी। यदि किसी को इस घटना से जुड़ी जानकारी पता चलती है तो वो दे सकता है। स्थिति समान्य होने पर फाॅर्स को हटा दिया जायेगा।

जमीनी विवाद को लेकर मामला कोर्ट में लंबित

पुलिस के अनुसार यह मामला दो पक्षों में जमीन को लेकर था। जिस जमीन पर दलित कई सालों से रह रहे हैं वो सरकार की है। दूसरा पक्ष भी इस जमीन पर दावा कर रहा था। यह मामला काफी समय से कोर्ट में लंबित है।

2023 में भी हुई थी फायरिंग

न्यूज़ नेशन से बातीचीत के दौरान ग्रामीण ने कहा कि “पहले भी 10 वा महीना (अक्टूबर) में गोलीबारी की थी। काफी समय से ये हमें परेशान कर रहे हैं। पुलिस से भी शिकायत करने पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।”

जैसा कि अकसर देखा जाता है कि दलितों को कमजोर समझ के इस तरह का वर्चस्व स्थापित किया जाता है। उन्हें डराया, धमकाया जाता है, जब वे लोग हार नहीं मानते तो ऐसे ही उनके मनोबल को तोड़ दिया जाता है।

जातिवाद भी है एक कारण

जहां तक घटना की बात है यह विवाद सिर्फ जमीनी विवाद नहीं बल्कि दलित (मांझी) और पासवान जाति का है। कथित तौर पर पासवान जाति ने अपना वर्चस्व दिखाने के लिए इस घटना को अंजाम दिया है। वे खुद को प्रभावशील मनाते हैं और उन्हें कहीं न कहीं लगता है कि ये दलित उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकते, इसलिए इतनी बड़ी अमानवीय घटना को उन्होंने अंजाम म दिया।

 

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