खबर लहरिया Blog Heatwave in India : 90 प्रतिशत भारत व पूरी डिल्ली है हीटवेव की चपेट में, हो सकता है जान का खतरा – रिपोर्ट

Heatwave in India : 90 प्रतिशत भारत व पूरी डिल्ली है हीटवेव की चपेट में, हो सकता है जान का खतरा – रिपोर्ट

अध्ययन में इस बात पर भी रोशनी डाली गयी कि अरविन्द केजरीवाल (Arvind Kejriwal) सरकार के भेद्यता आंकलन (vulnerability assessment) के अनुसार डिज़ाइन और कार्यन्वित की गई वर्तमान हीट प्रभाव योजनाओं में हीट इंडेक्स शामिल नहीं है।

                                                                   भीषण गर्मी से बचाव हेतु चेहरे पर पानी डालता हुआ व्यक्ति ( फोटो साभार – getty images)

90 प्रतिशत से अधिक भारत हीट इंडेक्स (Heat Index) के ज़रिये से हीटवेव प्रभावों के ‘बेहद सतर्क’ या ‘खतरे’ क्षेत्र में है और लगभग पूरी दिल्ली गंभीर रूप से हीटवेव का सामना कर सकती है – एक नए अध्ययन में इस बारे में बताया। हालांकि, दिल्ली में जलवायु परिवर्तन के लिए हाल की राज्य कार्य योजना इसे नहीं दर्शाती है।

इसके आलावा रिपोर्ट में यह भी बताया कि ग्रीष्म हवाएं जलवायु भेद्यता सूचकांक (climate vulnerability index) द्वारा अनुमानित की गयी तुलना में पूरे भारत में अधिक लोगों को जलवायु जोखिम में डाल सकती हैं।

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दिल्ली की भेद्यता आंकलन रिपोर्ट में हीट इंडेक्स नहीं

रिपोर्ट में चेतावनी दी गयी कि अगर भारत ग्रीष्म लहरों के प्रभाव को तुरंत दूर करने में नाकामयाब रहता है तो यह सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में तेज़ी को धीरे कर सकता है। इसके साथ ही अध्ययन में इस बात पर भी रोशनी डाली गयी कि अरविन्द केजरीवाल (Arvind Kejriwal) सरकार के भेद्यता आंकलन (vulnerability assessment) के अनुसार डिज़ाइन और कार्यन्वित की गई वर्तमान हीट प्रभाव योजनाओं में हीट इंडेक्स शामिल नहीं है। कहा गया कि यह चिंताजनक है, क्योंकि दिल्ली में “कम” जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों में भी उच्च गर्मी की लहरें हैं।

इस महीने की शुरुआत में, भारत मौसम विज्ञान विभाग ने उत्तर-पश्चिम और प्रायद्वीपीय क्षेत्रों को छोड़कर अप्रैल से जून तक देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक अधिकतम तापमान होने की बात कही थी।

हीटस्ट्रोक से लोगों की मौत के बाद आई रिपोर्ट

कैंब्रिज विश्वविद्यालय के रमित देबनाथ (Ramit Debnath) और उनके सहयोगियों द्वारा किए गए अध्ययन में बताया गया कि बढ़ती गर्मी सतत विकास के लक्ष्य (Sustainable Development Goals) को हासिल करने में भी बाधा बन रही है। इसके अलावा यह भी कहा गया कि वर्तमान मूल्यांकन मेट्रिक्स देश पर जलवायु परिवर्तन से जुड़े हीटवेव के प्रभावों को पूरी तरह से पकड़ नहीं सकते हैं।

यह अध्ययन तब सामने आया जब नवी मुंबई में महाराष्ट्र सरकार के अवार्ड फंक्शन में हीटस्ट्रोक से 13 लोगों की मौत हो गयी। यह देश के इतिहास में हीटवेव (लू) से संबंधित एक घटना से मरने वालों की सबसे बड़ी संख्या है।

हीटवेव से 17 हज़ार जा चुकी है जानें – रिपोर्ट

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव एम राजीवन (M Rajeevan) व् वैज्ञानिक कमलजीत रे, एस एस रे, आर के गिरि और ए पी डिमरी के साथ लिखे गए एक पेपर के अनुसार, भारत में 50 सालों में हीटवेव ने 17,000 से अधिक लोगों की जान गयी है। 2021 में प्रकाशित पेपर में कहा गया था कि 1971-2019 तक देश में लू लगने से होने वाली 706 घटनाएं हैं। (बिज़नेस टुडे रिपोर्ट)

जीडीपी में हो सकती है कमी

इस बीच, मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट (McKinsey Global Institute) की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर यह ऐसे ही ज़ारी रहता है, तो 2030 तक, देश प्रति वर्ष अपने सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product ) का 2.5 प्रतिशत से 4.5 प्रतिशत के बीच खो सकता है।

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