यूपी में कई दिनों से हो रही झमाझम बारिश ने किसानों को काफी राहत दी है। नर्सरी तैयार कर चुके किसानों ने बारिश का पानी इकठ्ठा कर धान की रोपाई शुरू कर दी है। बारिश से जहां किसान खुश हैं वहीं लोगों को उमस भरी गर्मी से भी राहत मिली है।
जिला अयोध्या। यूपी में पिछले कई दिनों से मानसून ने दस्तक दे दी है। रुक-रुक कर हो रही रिमझिम बारिश की फुहारों के बीच खेतों में आई नमी से किसानों के चेहरे खिल उठे। एक तरफ जहाँ लगातार हो रही बारिश से ताल तलैया लबलबा भर गए हैं तो वहीं खेतों में भरे पानी के बीच किसानों ने धान की रोपाई भी शुरू कर दी है। कोई सांभा मंसूरी तो कोई सरयूबावन धान की रोपाई कर रहा है।
धान की रोपाई में जुटे किसान
मानसून की मेहरबानी से हर किसान के चेहरे पर मुस्कराहट है। किसानों को आभास हो रहा है की इस इस बार उनकी फसल अच्छी होगी। किसानों का कहना है की समय से मानसून आ गया है और भविष्य में भी इसी तरह यदि मौसम बना रहा तो फसलों की पैदावार बहुत अच्छी होगी। जिन किसानों की धान की रोपाई के लिए धान की पौध तैयार नहीं है वह भी अपने खिले चेहरों से धान की रोपाई के लिए खेतों की तैयारी में जुट गए हैं।
क्या कहते हैं किसान?
नसरतपुर निवासी किसान जगमोहन ने बताया कि धान की रोपाई के लिए बेरन तैयार होने में लगभग एक महीना लगता है। लेकिन मानसून जल्दी आ जाने से 20 दिनों में धान की पौध तैयार हो गई है। जिससे चलते उन लोगों को बहुत फायदा होगा। खेतों में पानी भरकर धान की रोपाई करने से बहुत पैसा लगता है बारिश होने से पैसों की बचत हो गई है।
अच्छी फसल हुई तो करेंगे बेटी की शादी- किसान रामदेव
रामदेव निवासी मीतनपुर ने कहा यदि इसी तरह से समय से बरसात होती रही तो अच्छी फसल की उपज को अच्छे दामों पर बेचकर अबकी बार बिटिया की शादी कर लेंगे। 2 सालों से कोविड-19 के चलते सब काम धंधा चौपट हो गया है ना तो ठीक से कमाई होती है और ना ही उनकी फसल अच्छे दामों में बिक पाती है। इस बार अगर फसल अच्छी होती है तो उन लोगों को लाभ मिलेगा और इस बार बिटिया की शादी भी कर लेंगे।
मीतनपुर निवासी महिला किसान उषा देवी ने कहा कि अबकी बार समय से बरसात हो रही है जिससे चलते उन लोगों ने धान की रोपाई करना शुरू कर दिया है। अगर ऐसे ही दो-तीन महीना अच्छी बारिश होगी तो उन लोगों की फसल अच्छी खासी होगी। किसानों को धान की फसलों से बहुत आस होती बच्चों की शादी-पढाई का खर्च खेत से ही निकलते हैं।
जयकरन जो नसरतपुर के निवासी हैं उन्होंने हमें बताया कि इस बार कोविड-19 के चलते शहर से नौकरी छोड़ कर गांव में बेरोजगार बैठे थे। पर धान की रोपाई शुरू होने से उन्हें रोजगार मिल गया है। लोगों के खेतों में मजदूरी पर धान की रोपाई करने से प्रतिदिन उन्हें 200 रुपया मिल जाता है। इसके साथ नाश्ता पानी भी मिलता है।
मीतनपुर निवासी रामदीन ने बताया अच्छी बारिश के चलते उन्हें महंगे डीजल खरीदकर इंजन से पानी नहीं भरना पड़ेगा। और वहीं धान के खेतों में भी पानी के होने से खरपतवार भी नहीं होंगे। निराई और खरपतवार की दवाई भी नहीं डालना पड़ेगा इसके चलते अच्छी फसल तैयार होगी एक कहावत है अवधि में” हरेर खेती गाभिन गाय तब जाना जब मुंह तर जाय”। कहने का मतलब फसल और गाय का दूध तभी मानिए जब तैयार होकर घर पहुंच जाए क्योंकि अभी फसल तैयार होने में कई माह लगेंगे। और अगर बारिस होती रही तो ठीक अगर नहीं हुई तो 8-9 पानी डीजल से ही सिचाई करनी पड़ेगी।
इस खबर की रिपोर्टिंग कुमकुम यादव द्वारा की गयी है।
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