खबर लहरिया Blog बुंदेलखंड के बाँदा का फेमस धान

बुंदेलखंड के बाँदा का फेमस धान

उत्तर प्रदेश का बुन्देलखण्ड इलाका दैवीय आपदाओं के कारण हमेशा सुर्खियों में रहता है. किसान ओला,पाला और सूखा जैसी परिस्थितियों के चलते दसको से जुझते हुए आज कर्ज और भुखमरी के बोझ तले दबता हुआ सबसे पिछडा और किसानों की समस्याओं से घिरा इलाका माना जाता है| तो वहीं दूसरी तरफ बुन्देलखण्ड के बांदा जिले के किसानों का ही एक ऐसा धान है जो  विदेशो तक बहुत फेमस है|

 

बाँदा जिला का नरैनी और अतर्रा शेत्र चावल की पैदावार के नाम से देश विदेश में जानाजाता है यहाँ पर परसन लोचई जैसे के महंगे चावल पैदावार होती है यह चावल के चावल की खुशबू विदेशो तक में हैं देलखंड के जखनी गाँव के किशान उमाशंकर पांडे बताते हैं बासमती धान उत्पादक किसानों को उचित मूल्य मिले मैंने राष्ट्रीय सेमिनार में मा कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही प्रभारी मंत्री बांदा लखन राजपूत बुंदेलखंड बोर्ड के अध्यक्ष मा मानवेंद् सिंह उपाध्यक्ष राजा बुंदेला तथा राष्ट्रीय सेमिनार में उपस्थित उत्तर प्रदेश सरकार के विभागीय प्रमुख सचिव विशेष सचिव से की है इस मौके पर बांदा चित्रकूट सांसद मा आर के पटेल महोबा विधायक मा राकेश गोस्वामी मा जिलाधिकारी बांदा श्री हीरालाल जी सहित तमाम किसान वैज्ञानिक मीडिया बंधु उपस्थित है सभी ने मेरी बात का समर्थन किया मेरी मांग को शासन को प्रेषित करेंगे ऐसा कहा आश्वासन दिया बुंदेलखंड के केवल बांदा जिले में लगभग 300000 कुंटल बासमती धान का उत्पादन बांदा जनपद के किसान करते हैं पिछले वर्ष बासमती धान का मूल्य ₹3000 प्रति कुंतल से 3500 सो रुपए प्रति कुंतल था इस वर्ष 220,0सो रुपए से ₹25 00प्रति कुंतल है मूल बढ़ने की बजाय एक कम हो गया लगभग ₹1000 कुंटल बासमती धान का समर्थन मूल्य भारत सरकार ने मेरी जानकारी में जारी नहीं किया व्यापारी अपने मन का रेट देते हैं किसानों को परेशान करते हैं समय से पैसे नहीं देते कई दिनों तक चक्कर लगावते है।

dhan katai

बुंदेलखंड में बासमती धान से चावल बनाने की कोई मशीन नहीं है लगभग 50,000 किसान बासमती धान की खेती करते हैं उपज करता है दिल्ली में बासमती चावल का रेट ₹20000 से ₹25000 प्रति कुंतल है ०र ये फेमस धान है

बासमती धान के चावल की मांग विदेशों में अधिक है बांदा जनपद मैं एक बासमती चावल बनाने का प्लांट लगाने की मांग की साथ ही बासमती का समर्थन मूल्य जारी हो यह भी मांग की यदि समय रहते बासमती उत्पादक किसानों को समर्थन मूल्य उचित भाव नहीं मिलता तो किसान बासमती धान बोना बंद कर देंगे वही हाल होगा जो किसी जमाने में बांदा की अतर्रा चावल मंडी एशिया की सबसे बड़ी चावल मंडी थी एक मालगाड़ी चावल रोज विदेश जाता था जब पूरी दुनिया में भोजन संकट था तब अतर्रा में 80 राइस मिलें चावल बनाती थी लगभग 50000 आदमी रोजगार पाता था अतर्रा की मिले पुराने जमाने की थी तब मोटा धान पैदा होता था बासमती पतला धान है नई तकनीकी मशीनें चाहिए कई हजार बेरोजगार नौजवानों को रोजगार मिलेगा नौजवान युवा किसानी करने के लिए आगे आएगा। बांदा जिले के जखनी गांव के किसान सर्वाधिक बासमती धान पैदा करते हैं

और यह एरिया धान कि कटोरी के नाम से भी जाना जाता है| किसान ये भी बताते है कि एक समय था जब यहाँ पर इतना ज्यादा मात्रा में धान होता था कि एक माल गाडी रोज लद के ये  फेमस धान  विदेशो में जाता था और ट्रक लिए तो व्यापारी किसानों के घरों में पडे़ ही रहते थे आस-पास के लोगों की तो लाइन ही लगी रहती थी| क्योंकि यहाँ के चावल जैसी खुसबू और मिठास कहीं के चावल में नहीं है| इस चावल को ज्यादा तर देशी खाद से ही उगाया जाता है और जगह का फर्क होता है| लेकिन दस सालों में सभी अनाजों के साथ-साथ धान कि पैदावार में भी कमी आई है और इसका मेना कारण है प्राक्रित आपदाएं और अन्ना जानवर| जबकि अन्ना जानवरों और किसानों के फायदे कि सरकार हमेशा बात करती है| हर साल करोड़ों रुपए अन्ना जानवरों के लिए खर्च करती है पर किसानों कि समस्या जैसे कि तैसे है, तो क्या सिर्फ कागजों पर ही सरकार किसानों को फैदा दे रही है|