खबर लहरिया क्षेत्रीय इतिहास खेत जुताई में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल, गायब हो रही गांव की खासियत

खेत जुताई में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल, गायब हो रही गांव की खासियत

खेत जुताई का आधुनिकरण- उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले के मुंगुस गांव के किसानों का कहना है कि जब से ट्रैक्टर द्वारा खेती की जुताई होने लगी है तब से जुताई के पुराने तरीके विलुप्त होते जा रहे हैं। पहले लोहार बढ़ई से लोग काम कराते थे और उनका रोजगार भी चलता था। लेकिन अब सभी लोहार, बढ़ई बेरोजगार घूम रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि पहले दो बहाली में गल्ला मिलता था। पहली बहाली में ज्वार मिलती थी और दूसरी बहाली में गेहूं मिलता था। हर किसी के पास 50 किलो बंधा हुआ था और इसी से उनका घर खर्च चलता था।

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जब से जानवरों की मदद से हल चलाई इत्यादि बंद हो गई है तब से कोई भी गाय-बैल नहीं रखता है। सीधा उनको ट्रैक्टर से काम करना पसंद होता है। इसमें समय भी नहीं लगता है और ₹800 घंटे जुताई भी लगती है। ट्रैक्टर से एक दिन में 7 बीघा खेत की जुताई हो जाती है।

 

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