नमस्कार दोस्तों द कविता शो के इस एपिशोड में आपका स्वागत है। दोस्तों इस समय बुन्देलखण्ड में मौसमी बीमारियों से जनता में डर का माहौल है ये बीमारियां घर घर में जन्म ले रही हैं। खासी जुखाम बुखार तो हर घर में है ही लेकिन टाईफाईट और मलेरिया बीमारी भी जान लेवा हो सकती है. तेजी से बढती ये बिमारी के इलाज के लिए सरकारी अस्पताल के डाक्टरों की लापरवाही भी कम नहीं है। गाँव के लोग सरकारी अस्पताल इलाज के लिए जाते हैं लेकिन डाक्टरों की कुर्सी खाली देख, कराहते मरीज को लेकर वापस अपने गाँव चले जाते हैं। ऐसी स्थति में कभी भी किसी मरीज की जान भी जा सकती है।
तो दोस्तों सरकार ने लोगों की देख भाल और इलाज के लिए हर सुविधा की व्यवस्था की है, लेकिन अस्पतालों के डॉक्टरों की ऐसी मनमानी है की पूछों न। अभी हाल ही में मेरी रिपोर्टर ने छतरपुर जिला के सरकारी अस्पताल से लाईव दिखाया जहां पर तडपते मरीज और उनके परिजन दिखे। कई लोगों ने की लगातार त्तीन दिन से सरकारी जिला अस्पताल आ रहे हैं लेकिन डाक्टर नहीं बैठ रहें हैं। कई कई दिन गायब रहते हैं। समय से अप्तालों में बैठते नहीं हैं। दूर दूर के गांवो हम गरीब लोग इलाज के लिए आते हैं। इस तरह की बेरोजगारी में लोग दूसरों से पैसे काढ कर दवाई करवाने आते है। लेकिन डाक्टरों का जलवा तो अस्पताल में आकर पता चलता .दो दो तीन तीन दिन तक मरीज एक ही डाक्टर के पास आते हैं लेकिन फिर भी डाक्टर समय पर नहीं बैठते हैं। उनके गांवो में साधन नहीं चलते कई कई किलो मीटर मरीजों को लेकर पैदल चलना पड़ता है निजी साधन के लिए भी इतना पैसा नहीं है। हर दिन आना मुस्किल है। ऐसे ऐसे डाक्टरों के ऊपर कार्यवाही क्यों नहीं की जाती है।
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दोस्तों ये हाल सिर्फ एक अस्पताल का है. आप अपने अपने इलाके के अस्पतालों को देखिये, इस समय कितने बुरे हाल हैं। अस्पतालों में इतनी भीड़ रहती है की पैर रखने की जगह तक नहीं रहती है। एक अनार सौ बीमार वाली कहावत यहाँ पर फिट बैठती है। कई अस्पतालों में डाक्टर नहीं हैं तो कई अस्पताल सिर्फ एक डाक्टर के भरोसे है। ऐसे हालात में लोग कहां जाए।
अभी हाल ही में यूपी के कई जिले से डेगू मलेरिया और बुखार से मौत की खबरें सुर्खियाँ में रही हैं। इंडिया दाट काम की वेबसाईड में 3 सितम्बर की छपी खबर में मैने पढ़ा की फिरोजाबाद में इस बीमारी से गुरुवार के दिन 9 लोगों की मौत हो गई. इसके बाद मरने वालों की कुल संख्या 67 पहुंच चुकी है. वहीं मथुरा में कुल 13 लोगों की डेंगू-मलेरिया के कारण मौत हुई है। इसमें 11 बच्चे शामिल हैं। फिरोजाबाद में जिलाधिकारी ने तीन डॉक्टरों को लापरवाही बरतने को लेकर निलंबित करने का आदेश दिया है। मथुरा के कोह गांव में शासन प्रशासन के प्रयासों के बावजूद एक और बच्चे की मौत दर्ज की गई है। बता दें कि गांव में अबतक 11 लोगों की मौत हो चुकी है। प्रशासन द्वारा हालात पर काबू न पाए जाने को लेकर आक्रोशित गांव वाले सड़क पर ही अनशन पर बैठ गए हैं।
एक तरफ कोरोना की तीसरी लहर आने की बात इतना जोरों पर है और अभी भी कोरोना के लक्षण लोगों में बने रहते है. मलेरिया डेगू और टायफायड जैसे जान लेवा बिमारी भी अपना पैर जमा रही है। लेकिन इनसे निपटने के लिए सरकार के पास कोई ख़ास इंतजाम नहीं हैं. मैं पूछना चाहती हूँ क्या कोरोना बीमारी बस के लिए सरकार और विभाग अलर्ट रहते हैं। क्या बाकी की गम्भीर बीमारियों से उनका कोई लेना देना नहीं हैं। अगर टायफायड और मलेरिया के मरीजो की संख्या बढ़ रही है तो उसको काबू में करने के लिए कोई ख़ास इंतजाम कब किये जायेगें।
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