खबर लहरिया Blog साढ़े तीन लाख रुपये की लागत से बना शौचालय ध्वस्त, राहगीरों को हो रही परेशानी

साढ़े तीन लाख रुपये की लागत से बना शौचालय ध्वस्त, राहगीरों को हो रही परेशानी

लाखों रूपये की लागत लगाकर बनाया गया सार्वजनिक शौचालय गिराया गया। आने-जाने वाले यात्रियों को शौच के लिए हो रही है दिक्क्त।

बांदा जिले:  एक तरफ सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वाजनिक शौचालय बनवा रही है ताकि लोगों को शौच के लिए दिक्कतों का सामना ना करना पड़े। जो स्वच्छ भारत का नारा है वह साकार रहे। वहीं दूसरी तरफ जहां कस्बों के मुख्य चौराहों पर शौचालय की सबसे ज़्यादा जरूरत है वहां लोगों को शौच के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है।

अगर हम नरैनी कस्बे की बात करें तो यहां पर मुख्य चौराहे पर लगभग 5 साल पहले नगर पंचायत द्वारा यात्रियों की सुविधाओं के लिए सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया था। इस चौराहे पर कालिंजर, करतल पन्ना,अजयगढ़,अतर्रा और बांदा चारों दिशाओं के यात्रियों को यहां घंटों वाहनों का इंतजार करने के लिए रुकना पड़ता है। यदि शौचालय की आवश्यकता पड़ जाए तो उन्हें काफी दूर तक जाना पड़ता है।

चौड़ीकरण के दौरान ध्वस्त किया शौचालय

बांदा कालिंजर मुख्य मार्ग के चौड़ीकरण के दौरान मुख्य चौराहे पर बने सुलभ शौचालय को पीडब्ल्यूडी के कर्मचारियों ने ध्वस्त करा दिया था। जिस कारण लोगों को शौच करने हेतु भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। अभी तक किसी ने यह नहीं सोचा की इस शौचालय की दोबारा से मरम्मत कराई जा सके या दूसरी जगह बनाया जा सके। जिससे आने-जाने वाले यात्रियों की परेशानी दूर हो।

यात्रियों को होती परेशानी

सार्वजनिक शौचालय न होने से राहगीरो को काफ़ी ज़्यादा परेशानी उठानी पड़ती है। आवागमन करने वाले लोग इधर-उधर भटकते नज़र आते हैं। लगभग 6 माह पूर्व बांदा कालिंजर मुख्य मार्ग को चौड़ीकरण के दौरान पीडब्ल्यूडी के मजदूरों द्वारा इस नगर पंचायत के सुलभ शौचालय को गिरवा दिया गया था जो आज भी ध्वस्त ही पड़ा हुआ है।

पन्ना जिले से आईं रानी बताती हैं कि वह सुबह घर से 8 बजे निकलीं थीं क्योंकि उन्हें महोबा जाना था। उतनी दूर से यहां तक आने में बाथरुम लग गया और अब पेट फूल रहा है। चौराहे पर इतनी भीड़ है कि दूर तक कहीं जगह नहीं दिख रही इसलिए वह परेशान हैं।

साढ़े तीन लाख रुपये की लागत से बना था शौचालय

नगर पंचायत द्वारा साल 2015 में तत्कालीन चेयरमैन सुनीता चौरसिया द्वारा करीब साढ़े तीन लाख रुपए की लागत से आम जनता की सुविधा को देखते हुऐ शौचालय का निर्माण बाँदा मार्ग पर करवाया गया था। जिसमें पेशाब घर और शौचालय दोनों युक्त थे। सतना ,पन्ना , छत्तरपुर, अजयगढ़ से आकर बांदा- कानपुर जाने वाले यात्रियों को पेशाब व शौचक्रिया हेतु दिक्कत नहीं होती थी। लेकिन जब से यह शौचालय ध्वस्त हुआ राजगीरों के लिए शौच जाने की समस्या उत्पन्न हो गयी। राहगीरों व कस्बा वासियों ने सुलभ शौचालय बनवाए जाने की मांग की है।

क्या कहते हैं नगर पंचायत के ईओ?

नरैनी के नगर पंचायत के ईओ अमर बहादूर सिंह से खबर लहरिया ने इस मामले में बात की। उनका कहना है कि रोड चौड़ीकरण के दौरान शौचालय टूटा है। सड़क का काम दो  महीने में पूरा हो जाएगा। इसके बाद अगर जगह बचती है तो उसके हिसाब से शौचालय बनवाया जाएगा।

नगर पंचायत के ईओ द्वारा यह कहना है कि देखा जाएगा साफ तौर पर समस्या को नकारना जैसा प्रतीत होता है। जब शौचालय नहीं होंगे तो लोग मज़बूरन खुले में शौच जाने के लिए मज़बूर हो जाएंगे। महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। फिर ऐसे में प्रदेश सरकार यह कहती है कि वह लोगों की समस्या पर काम कर रही है। जबकि उनके अधिकारी समस्या के निपटारे की जगह उसे नकारते हुए नज़र आते हैं।

इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है। 

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