खबर लहरिया जवानी दीवानी बांदा के मशहूर पत्थर शजर को दे रहे हैं पहचान द्वारिका प्रसाद

बांदा के मशहूर पत्थर शजर को दे रहे हैं पहचान द्वारिका प्रसाद

बांदा जिले के रहने वाले द्वारिका प्रसाद सोनी दे रहे हैं पहचान। यहाँ के मशहूर पत्थर शजर को, देख इनका शजर पत्थर पर बेहतर काम।

हस्तकार द्वारिका प्रसाद सोनी का कहना है कि आज से लगभग सन 1986 में मैनें काम शुरू किया था। हमारे गुरु थे क्रांति बहादुर, जिनके पिता लन्दन,अमेरिका जा चुके थे, तो उन्हीं के सम्पर्क में रहके सीखा। उसके बाद मैनें शुरू किया था। और अभी ताजमहल बनाने में चार मिस्त्रियों के साथ सात महीने का समय लगा। जैसे कुछ पालिस के और कलर के मिस्त्री थे।

इस क्षेत्र में चुनौतियाँ तो बहुत हैं, जैसे अभी तक किसी भी प्रकार का कोई मार्केट उपलब्ध नहीं था। एक उत्पाद होने के बाद मार्केट जैसा मिल रहा है। मेरे तीनों बच्चें हस्तशिल्पी हैं, अभी एक लड़के को माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने ‘स्टेट अवार्ड’ से सम्मानित किए हैं। अगर हम जैसे लोगों को C.M, P.M.जैसे लोग सम्मानित करने लगे, तो मुझे लगता है, कि हमें सरकारी नौकरी की वजह हमें हस्तशिल्प का काम करना चाहिए, जिससे कुछ लोगों को बेरोजगार देकर किसी के परिवार को दो वक्त की रोटी दे सकेंगें।

इससे हमें भी दुआएं मिलेगी और उन लोगों का पेट भी चलता रहेगा। साथ ही हस्तशिल्प का काम जरूर से करें। ये मेरा विनम्र निवेदन है। उदमिक्ता विकास संस्थान उत्तर-प्रदेश लखनऊ के द्वारा एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान 1995,1996 में जयपुर ले जाया गया था। जिसमें बांदा से करीब दस लोगों ने हस्तशिल्प में भाग लिए थे। जहाँ हम लोगों ने कांच से बना बरगद का पेड़ देखा, तो ऐसा लगा कि अगर कांच का पेड़ बन सकता है, तो हम पत्थर का क्यों नहीं बना सकते हैं। प्रमाणपत्र भी मिला था, उसके बाद मैंनें 2001 में राष्ट्रीय उद्यान बनाया।