खबर लहरिया Blog देश मे पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर होगी, ‘गौ विज्ञान’ की परीक्षा

देश मे पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर होगी, ‘गौ विज्ञान’ की परीक्षा

'Cow science' examination will be done at national level

गायों के बारें में देश में फिर से लोगों के बीच चर्चा देखने को मिल रही है। लेकिन इस बार मामला गौहत्या या गौहिंसा से बिल्कुल अलग है। आपको गायों के बारे में कितनी जानकारी है और आप गायों से संबंधित विज्ञान को समझते हैं या नहीं। इसे लेकर राष्ट्रीय कामधेनु आयोग द्वारा गौ विज्ञान विषय पर परीक्षा लेने की घोषणा की गयी है।

इस दिन होगी परीक्षा

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने कहा किगौ विज्ञानकी परीक्षा आने वाले महीने में 25 फरवरी को होगी। यह परीक्षा राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन आयोजित करवाई जाएगी।  ताकि देशी गायों और उनके फायदों के बारे में छात्रों और आम लोगों के बीच जागरूकता पैदा हो।

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने मंगलवार, 5 जनवरी 2021 को इस परीक्षा की घोषणा की थी। आयोग के अध्यक्ष वल्लभभाई कथीरिया ने कहा किदेश में पहली बार इस तरह की कोई परीक्षा होने जा रही है। अब से हर साल यह परीक्षा ली जाएगी।

इस दिन से शरू होंगे पंजीकरण

परीक्षा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण 14 जनवरी से शुरू होगा और 20 फरवरी को पंजीकरण की आख़िरी तारीख होगी। परीक्षा के दिन यानी 25 फरवरी को ही परीक्षा के परिणाम की घोषणा की जाएगी।

परीक्षा हिंदी और अंग्रेज़ी के अलावा 12 क्षेत्रीय भाषाओं में होगी। परीक्षा में 100 बहुविकल्पीय प्रश्न होंगे। प्रश्न पत्र चार श्रेणियों में होंगे। जिसे खत्म करने के लिए एक घण्टे का समय दिया जाएगा।

कौन दे सकता है परीक्षा

आयोग ने बताया कि गौ विज्ञान की परीक्षा प्राइमरी ( 8वीं से 10वीं के छात्र) सेकंडरी स्कूल के छात्र ( 11वीं से 12वीं) और कॉलेज स्तर के छात्रों के साथसाथ आम लोग भी दे सकते हैं। इसके लिए कोई फीस नहीं देनी होगी। इस परीक्षा का नाम होगाकामधेनु गौ विज्ञान प्रचार प्रसार परीक्षा।इस परीक्षा में सफल होने वाले मेधावी अभ्यर्थियों को इनाम सर्टिफिकेट यानी प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया जाएगा।

परीक्षा का पैटर्न, कैसे करें तैयारी

परीक्षा में सिर्फ ऑब्जेक्टिव सवाल पूछे जाएंगे। यानी वह प्रश्न जिसके चार अन्य उत्तर प्रश्नपत्र में सम्मलित होते हैं और आपको उन दिए गए विकल्पों में से सही जवाब को चिंहित करना होता है। आपको परीक्षा की तैयारी के लिए पूरा पाठ्यक्रम राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की वेबसाइट पर मिल जाएगा। साथ ही परीक्षा की तैयारी के लिए गौ विज्ञान पर पढ़ने के लिए संबंधित पाठ, वीडियो, ब्लॉग आदि भी आपको आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाएगा।

क्यों हो रही है परीक्षा

आयोग के अध्यक्ष वल्लभभाई कथीरिया ने कहा कियुवा विद्यार्थियों और अन्य नागरिकों में गायों के बारे में जनजागरूकता लाने के उद्देश्य से इस परीक्षा की शुरुआत की जा रही है। यह परीक्षा लोगों में गायों के प्रति जिज्ञासा पैदा करेगी। उन्हें गायों की उन क्षमताओं के बारे में बताएगी जिसके बारे में ज्यादातर लोग नहीं जानते। लोग जान सकेंगे कि एक गाय अगर दूध देना बंद भी कर दे, तो भी व्यवसाय के कितने अवसर दे सकती है।

जानिए गाय से जुड़ी ख़ास बातें

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष वल्लभभाई कथीरिया ने कहा कि गाय का गोबर एंटी रेडिएशन यानी विरोधी विकरण है। गाय का गोबर घर लाने से घर की जगह रेडिएशन फ्री अर्थात विकरण मुक्त हो जाती है। वैज्ञानिक रूप से भी इस बात की पुष्टि की गयी है।

????वैज्ञानिकों के अनुसार, गाय ही एकमात्र एक ऐसी प्राणी है, जो ऑक्सीजन लेती है और ऑक्सीजन ही छोड़ती है।

????देशी गाय के गोबर में जीवाणु की भरमार होती है। देशी गाय के एक ग्राम गोबर में कम से कम 300 करोड़ जीवाणु पाए जाते हैं।

????गाय का दूध काफी गुणकारी माना जाता है। इसमें 7 एमीनोएसिड प्रोटीन पाया जाता है। इससे हड्डियों का रोग नहीं होता है।

????एक वयस्क गाय के दिल की धड़कन एक मिनट में 48 से 84 के बीच रहती है।

????गाय के पास भोजन पचाने के लिए चार हिस्से होते हैं। हर हिस्से की अपनी एक भूमिका होती है। गायें भोजन को खूब चबाती हैं।

????गाय के केवल नीचले जबड़े में ही दांत पाए जाते हैं।

???? लाल और हरे रंग में गाय फर्क नहीं कर सकती है।

????इंसान की सुनने की शक्ति से ज्यादा बेहतर गाय की सुनने की शक्ति होती है।

????गाय का सामान्य तापमान 101.5 से 103.5 डिग्री फेरेनहाइट होता है। 

इस समय किया गया था आयोग का गठन

आपको बता दें कि राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का गठन फरवरी 2019 में केंद्र सरकार द्वारा किया गया था। फरवरी 2019 में वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में प्रस्तुत अंतरिम बजट में राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की स्थापना की बात की थी। साथ ही इसके लिए 750 करोड़ रुपये भी आंवटन किये गए थे। यह आयोग मत्स्यपालन, पशुपालन डेयरी मंत्रालय के अधीन आता है। इसका लक्ष्य गायों और गोवांश के विकास और संरक्षण के लिए काम करना है।