खबर लहरिया आ गई रे चटोरी जब चटोरी पहुंची चित्रकूट के प्रसिद्ध “खोए की जलेबी” खाने देखिए आ गई रे चटोरी

जब चटोरी पहुंची चित्रकूट के प्रसिद्ध “खोए की जलेबी” खाने देखिए आ गई रे चटोरी

जब चटोरी पहुंची चित्रकूट के प्रसिद्ध “खोए की जलेबी” खाने

जलेबी  उत्तर भारत, पाकिस्तान व मध्यपूर्व का एक लोकप्रिय व्यंजन है। इसका आकार पेंचदार होता है और स्वाद करारा मीठा। इस मिठाई की धूम भारतीय उपमहाद्वीप से शुरू होकर पश्चिमी देश स्पेन तक जाती है।

इस बीच भारत,बांग्लादेश, पाकिस्तान, ईरान के साथ तमाम अरब मुल्कों में भी यह खूब जानी-पहचानी है।

आमतौर पर तो ये  सादी ही बनाई व पसंद की जाती है, पर आज हम आपको एक नये प्रकार की जलेबी के बारे में बताने जा रहे है वैसे तो  ये स्वादिष्ट जलेबी और सस्ते सामान के लिए प्रसिद्ध है चित्रकूट का यह मेला भारत की राष्ट्रीय मिठाई हैं। लेकिन हम आज आपको चित्रकूट की फेमस खोवा जलेबी के बारे में बतायेगे

चित्रकूट का खाना हमारी रिपोर्टर को इतना पसंद है की हर  बार बार आ जाती है वाराणसी से ,   जब भी उसका कुछ अच्छा सा खाने का मन होता है

तो इस बार हमारी रिपोर्टर्स पहुंची एक खास जगह पिछली बार की तरह किसी महिला के घर नही बल्कि हमारी रिपोर्टर्स एक फेमस  दुकान में गये |

तो आज चटोरिया पहुंची चित्रकूट के कर्वी इलाके के काली देवी चौराहे की अभि स्वीट्स की दुकान जहाँ इन लोगों ने चखा लज़ीज़ खोवे की जलेबी का स्वाद ,

यहाँ  इन्होने बात की दुकान मालिक और हलवाई विमल केसरवानी से जिन्होंने बताया ये खोवे की जलेबी पूरे बुन्देलखन में  सिर्फ हमारे चित्रकूट में ही मिलती है |

देखने में तो ये जलेबियाँ काली रंग की होती है क्यों की इनको खरी ही तलना पड़ता तभी ये दिखने में काली हो जाती है ,इन जलेबियों में खोवा और अरारोट पड़ता है और इलायची पाउडर मिलाते हैं ,इनको बनाने में ज्यादा समय भी नही लगता |

ये जलेबी सैकड़ों सालों से बनती चली आ रही है , यहा के लोकल लोगों क साथ साथ बाहरी टूरिस्ट ज्यादा चाव  से खाते हैं

इस जलेबी को आप व्रत के समय भी खा सकते हैं क्यों कि इसमें अन्न नही बल्कि खोवा और अरारोट होता है

हमारी चटोरियों को ये जलेबियाँ आम मैदे वाली जलेबियों से जादा स्वादिष्ट और फायदेमंद हैं |

यह था इनका चित्रकूट में जलेबी खाने का सफ़र