खबर लहरिया चित्रकूट चित्रकूट: जान हथेली पर लेकर पुल पार कर रहे ग्रामीण

चित्रकूट: जान हथेली पर लेकर पुल पार कर रहे ग्रामीण

जिला चित्रकूट ब्लाक मऊ गाँव चकोर और मैदाना मऊ के दोनों पुल खराब पड़े हैं ये पुल गांव कोलुहा गेरूहा भिटरिया बमुरा सखौहा सिकरौ शिवनाथ का डेरा जैसे लगभग चौबीस गाँवो को जोड़ते हैं |

 कहा जाता है कि भारत गाँवो का देश है, और सही भी यही है क्यूकी यहाँ की अधिक्तर जनसंख्या गाँवो में वास करती है। भारत वासी अपने विकास के लिए भारतीय कृषि पर ही निर्भर करते है। सादा जीवन उच्च विचार यही भारतीय ग्रामों की पहचान है। जब भी मन में भारतीय ग्राम का विचार आता है, तो खेतों में दूर-दूर तक लहलहाती हुई हरी फसले, कड़ी धूप और खुले आसमान के नीचे काम करता किसान, घरो की बागदौड़ संभालती घर की स्त्रियों की छवि आखों के सामने आ जाती है । लेकिन इन सब बातों से हट कर जब ग्रामीण लोग रोज़ जान से खेल कर रास्तों को पर करते है तो देख कर बहुत दुःख होता है

जो गाँव, शहरों के किनारे या मुख्य राजमार्गों पर बसे है, उनका तो विकास हो गया है, परंतु जो गाँव शहरी सीमा से दूर है वे अभी भी विकास की राह देख रहे है। कई गाँवो को तो अब तक मुख्य सड़को से जोड़ा भी नहीं गया है। नेता और राजनीतिक पार्टियाँ केवल चुनाव के समय इन गाँवो की ओर रुख करती है, और ग्राम वासियों के मन में नयी आस दे जाते है।

वाराणसी जिले में ग्रामीणों के सहयोग से बनी पुलियाौमास के महीने में इन गाँवों के लगभग 500 बच्चों की पढ़ाई बंद हो जाती है क्योंकि आने जाने का रास्ता ही नहीं होता है जिन बच्चो को जाना होता है वह इस पुल को पारकर जाते हैं जिससे उनके कपडे ख़राब हो जाते हैं

आज के समय में हर इंसान सुविधा चाहता है, और यह सत्य है की गाँवो में शहरों की अपेक्षा सुविधाएँ नाम मात्र की भी नहीं है। गाँवो में रहने वाले लोग अपनी हर एक जरूरत चाहे वह खेती के संसाधन हो या घरों का सामान आदि के लिए शहरों पर निर्भर करते है। उन्हे अपनी हर छोटी से छोटी जरूरत के लिये शहर आना पड़ता है, जिसमें उनका समय और पैसा दोनों व्यर्थ जाते है।

यहाँ तक की पुस्तकें भी भीग जाती हैं लोगों की मांग है की ये  जल्द से जल्द बनवाया जाय| चित्रकूट बाँदा सांसद आरके पटेल ने आश्वासन दिया है की जल्द बनेगी| ग्रामीणों को निर्माण कार्य का इन्तजार है