खबर लहरिया Blog चित्रकूट: स्वास्थ्य सुविधाओं पर भारी पड़ रही है डॉक्टरों की कमी

चित्रकूट: स्वास्थ्य सुविधाओं पर भारी पड़ रही है डॉक्टरों की कमी

चित्रकूट जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजापुर की हालत बेहद दयनीय है। यहां डॉक्टरों की कमी है। मरीज ओपीडी पहुंचते हैं, लेकिन डॉक्टर ड्यूटी में तैनात नहीं मिलते हैं। इससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

चित्रकूट- अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो हमेशा से हर जिले में सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों की कमी रहती है। अभी के हालत यह हैं की और भी ज्यादा स्वास्थ्य सुविधाएं बिगड़ गई है। कोरोना के आगे किसी अस्पताल में मरीजों की देखभाल नहीं होती, लोगों को दवाएं नहीं मिलती और न ही अस्पताल आए मरीजों को डॉक्टर देखते हैं।

डॉक्टरों की लापरवाही मरीजों पर पड़ सकती है भारी

23 जुलाई को चित्रकूट जिले के देहुरूछ गांव से करंट लगने का एक मामला सामने आया। जब परिजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजापुर ले गये तो वहां पर कोई डॉक्टर मौजूद नहीं थे। देहुरूछ गांव के सुनील सिंह पटेल ने बताया कि उनके दोस्त अशोक सिंह को करंट लग गया था जब वह राजापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गये तो वहां बिना इलाज किए ही भगा दिया गया। कहा कि उनके पास यहां कोई डाक्टर नहीं है। जब उन्होंने अपने मित्र की हालत नाजुक देखकर और भी मिन्नते की तो यह कहकर भगा दिया गया की इमरजेंसी वार्ड हो या ओपीडी कहीं भी डॉक्टर नहीं हैं। कैसे इलाज करे और कौन करे। सुनील ने बताया की वह सुबह 11 बजे भी अस्पताल गये थे उस टाइम भी कोई डॉक्टर नहीं मिले थे फिर 1 बजे दुबारा गये तो बोला गया की वैक्सीनेशन चल रहा इसलिए कोई डॉक्टर नहीं हैं।

दिनोंदिन बढ़ रही मरीजों की संख्या, घट रहे डॉक्टर

अशोक सिंह ने बताया कि वह सुबह घर में पंखा लगवा रहे थे तभी उन्हें करंट लग गया। जब स्वास्थ्यकेंद्र राजापुर गए तो कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था और ये पहली बार नहीं है जो राजापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ऐसा मामला देखने को मिला हो, ऐसा अक्सर होता है।4 महीने पहले भी वह इलाज के लिए गये थे वहां रजिस्टर में डॉक्टरों की इंट्री तो थी लेकिन डॉक्टर मौजूद नहीं थे। जिसकी शिकायत उन्होंने सीएम हेल्पलाइन पर भी की थी लेकिन इसका सुधार नहीं हुआ। यहाँ के डॉक्टरों में जनता के प्रति सेवा भावना नहीं दिखती न ही ड्यूटी की जिम्मेदारी न ही प्रशासन का डर है।

अशोक सिंह कहते हैं की उन्हें उस समय भी प्राइवेट अस्पताल से दवा लेनी पड़ी और आज भी प्राईवेट डॉक्टर से दवा लेनी पड़ी। जब सबको प्राईवेट डाक्टर से ही दवाएं लेनी हैं उन्ही से इलाज कराना है तो क्यों इतना बडा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र क्यों खुला है। जब जनता को इसका लाभ नहीं मिलता। ऐसे में जो मरीज सिरियस होते हैं उनकी जान को भी खतरा हो सकता है, क्योंकि सरकारी और प्राईवेट के चक्कर काटते ही मरीज अधमरा हो जाएगा। मरीज डॉक्टर को भगवान मानते हैं और डॉक्टर इस तरह की लापरवाही करेंगे तो बर्दाश्त नही होगा।

डॉक्टर रमाकांत चौरिया अपर सीएमओ ने बताया कि वहां एक ही डॉक्टर हैं डॉ दिपांशू, हो सकता है कही फील्ड में गये हों इस वजह से दिक्कत आई है। इस समय वैक्सीनेशन चल रहा है इस वजह से कभी फील्ड तो कभी अस्पताल जाना पड़ता है।

तो सुना आपने यह सिर्फ एक मरीज की आपबीती है ऐसे कई मरीजों के साथ होता है जिसकी हम रिपोर्टिंग करते हैं। आये दिन इस तरह की समस्या से मरीजों को जूझना पड़ता है। स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बड़ी-बड़ी बातें तो की जाती हैं लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसे मामले आपको हर रोज सुनने या देखने को मिल जायेगे।

इस खबर की रिपोर्टिंग खबर लहरिया के लिए नाज़नी रिज़वी द्वारा की गयी है। 

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