इन लोगों को सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वच्छ भारत अभियान योजना के अंतर्गत मुफ्त शौचालय बनवाने का भी लाभ नहीं मिला है। इन ग्रामीणों को शौच करने के लिए खेतों में या मीलों पैदल चलकर जंगलों की ओर जाना पड़ता है।
जिला चित्रकूट के ब्लॉक रामनगर के गाँव गुरहेटा में लगभग 8 महीने पहले सार्वजनिक शौचालय का निर्माण हुआ था, लेकिन पिछले 5 महीनों से इस शौचालय में ताला पड़ा हुआ है। जब गाँव में सार्वजनिक शौचालय बनवाया गया था तब ग्रामीण काफी खुश हो गए थे कि अब उन्हें शौच जाने के लिए जंगलों में ये खेतों में नहीं जाना पड़ेगा। परन्तु शौचालय बनने के 2-3 महीने बाद ही इस शौचालय को बंद कर दिया गया है और यहाँ ताला लगा दिया गया है।
शौचालय खुलवाने को लेकर नहीं हो रही कोई सुनवाई-
गुरहेटा गाँव के लोगों का कहना है कि शौचालय को खुलवाने के लिए इन लोगों ने कई बार प्रधान से कहा है लेकिन प्रधान की तरफ से कोई भी सुनवाई नहीं हुई है। लोगों ने हमें यह भी बताया कि गाँव में शौचालय न होने के कारण ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इन लोगों को सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वच्छ भारत अभियान योजना के अंतर्गत मुफ्त शौचालय बनवाने का भी लाभ नहीं मिला है। इन ग्रामीणों को शौच करने के लिए खेतों में या मीलों पैदल चलकर जंगलों की ओर जाना पड़ता है। सबसे ज़्यादा परेशानियां तो उन ग्रामीण महिलाओं को झेलनी पड़ती है जिन्हें खुले में बैठ कर शौच करना
पड़ता है और समाज के रूढ़िवादी नज़रिए का हर रोज़ शिकार होना पड़ता है।
इसी गाँव की रहने वाली राजकुमारी बताती हैं कि जब सार्वजनिक शौचालय बना था तो ग्रामीण महिलाएं शौच के लिए यहीं आ जाती थीं, लेकिन इसके बंद होने से इन महिलाओं को वापस से हर दिन शौच के लिए नयी जगहें तलाशनी पड़ती हैं। सुबह होने से पहले मीलों का सफर तय कर के शौच के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है, लेकिन प्रशासन को इन लोगों की परेशानियां शायद दिखाई ही नहीं देतीं।
सुलभ शौचालयों को बनवाने के लिए पास हुआ था लाखों का बजट-
ग्रामीणों ने प्रधान के साथ-साथ बी डी ओ से भी सामुदायिक शौचालय का ताला खुलवाने की मांग करी है लेकिन इन लोगों की मांगों की सुनवाई अबतक नहीं हुई है। लोगों की मानें तो आसपास के गावों में सार्वजनिक शौचालय बनवाने के लिए सरकार की तरफ लाखों का बजट आया था, लेकिन इतने सुंदर और स्वच्छ शौचालय बनने के बाद अब जब उसमें ताला ही पड़ गया है, तो वो किसी के भी लाभ का नहीं है।
राजकुमार का कहना है कि एक तरफ सरकार ग्रामीणों की सुविधा के लिए नयी-नयी योजनाएं बनाती है, और दूसरी तरफ जब यही ग्रामीण इन सुविधाओं और योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते, तो विभाग भी इनकी सहायता करने के लिए आगे नहीं आता।
इन लोगों का कहना है कि गाँव में बने सार्वजनिक शौचालय की साफ़-सफाई का बेड़ा ग्रामीण ही उठाने को तैयार हैं। इन लोगों की मानें तो जब शौचालय का इस्तेमाल यही लोग करेंगे, तो सफाई की ज़िम्मेदारी भी इन्हीं लोगों की बनती है। लेकिन ये सब तब ही मुमकिन होगा जब शौचालय वापस से सुचारू रूप से खुल जाए।
क्या कहतें हैं प्रधान?
गुरहेटा गाँव के प्रधान ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि सार्वजनिक शौचालय में पानी की कोई भी व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण वहां पर ताला लगवाया गया था। प्रधान का कहना है कि एक महीने के अंदर वो इस शौचालय में सप्लाई पानी टंकी से पाइप डलवा देंगे जिसके बाद ही इसको खोला जा सकेगा। उन्होंने बताया कि सप्लाई के पानी की व्यवस्था करने के लिए जो भी बजट तैयार किया जाएगा वो विभाग की ओर से अभी पास नहीं हुआ है, लेकिन वो अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि जल्द से जल्द विभाग से यहाँ पानी सप्लाई के लिए पैसे आ जाएं।
बनवाया गया था शौचालय – बी डी ओ
रामनगर ब्लॉक के बी डी ओ धनंजय सिंह का कहना है कि इस ब्लॉक के हर गाँव में सुलभ शौचालय बनवाया गया था, लेकिन जहाँ-जहाँ कोई तकनीकी दिक्कत आ रही थी, वहाँ ताला लगवा दिया गया था। लेकिन अब जल्द ही सभी शौचलयों को ठीक करवाया जाएगा और उसके बाद उन्हें खोल दिया जाएगा।
इस पूरे मामले में ध्यान देने वाली बात यह है कि आए दिन ऐसे मामले सामने आते हैं जहाँ लोगों के पास या तो पानी की सुविधा नहीं होती, या फिर उनके पास शौचालय और आवास नहीं होता। जहाँ एक तरफ सरकार ने इन सभी सुविधाओं को लोगों तक उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाएं तैयार की, पर आखिर क्यों इन योजनाओं से फिर गरीबों को लाभ नहीं मिल पाया? और अब जब प्रशासन द्वारा गाँव में सुलभ शौचालय बनवाए भी गए तो यहाँ महीनों से ताला लगा हुआ है। ऐसे में ग्रामीण अपनी मुसीबतों को लेकर कहाँ जाएँ, किससे अपने हक़ की मांग करें?
इस खबर को खबर लहरिया के लिए सहोद्रा द्वारा रिपोर्ट किया गया है।
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