यूपी के चित्रकूट के मऊ ब्लॉक के रहने वाले कई लोगों के आधार कार्ड नहीं बने हैं। लोगों का कहना है कि आधार कार्ड बनवाने के लिए उनसे पैसे लिए जा रहे हैं।
यूपी के चित्रकूट जिले के ब्लॉक मऊ और मानिकपुरा गाँव रैपुरा में आधार कार्ड बनवाने में गरीब जनता के साथ लूटमार की जा रही है। जिससे की लोग परेशान है। बैंक मित्र द्वारा आधार कार्ड बनवाने के लिए लोगों से 200 रूपये लिए जाते हैं। लोगों का कहना है कि आधार कार्ड के बिना उनके कई काम रुक जाते हैं। सबसे ज़्यादा परेशानी तो आधार कार्ड बनवाने में होती है।
आधार कार्ड न होने से रुके लोगों के काम
जिला चित्रकूट ब्लॉक मऊ और मानिकपुर गांव रैपुरा में रहने वाले दिलीप कुमार और उनकी पत्नी, दोनों का ही आधार कार्ड नहीं बना है। इनका कहना है आधार कार्ड न होने से न बैंक मे खाता खुलता है और न ही कोटे का फ्रीरी वाला गल्ला ले सकते हैं। कुछ भी काम नहीं होता।
वह कहते हैं कि लॉकडाउन में सरकार ने लोगों के बैंक खातों में पैसा डाला। लेकिन उनका खाता न होने की वजह से वह लाभ नहीं ले पाए। वह कहते हैं कि जब वह बैंक जाते हैं तो बैंक वाले पहले आधार कार्ड लाने के लिए कहते हैं। वह कई बार किराया-भाड़ा लगाकर आधार कार्ड बनवाने के लिए कर्वी गए। लेकिन फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ है।
दिनेश की उम्र 35 साल की हो गयी है। न तो उनका आधार कार्ड बना है और न ही उनके बच्चों का। कोई साधन न होने की वजह से वह बाहर जाकर ही मज़दूरी करते हैं।
आधार कार्ड न होने से नहीं मिलता रोज़गार
इसी तरह से ब्लॉक मऊ गाँव लावेद में रहने वाले 20 साल के पप्पू और गाँव सुरौधा के 22 साल के पवन का भी आधार कार्ड नहीं बना है। इनका कहना है कि जब वह बाहरी राज्य में जाते हैं तो उनसे आधार कार्ड माना जाता है। आधार कार्ड न होने से उन्हें काम भी नहीं मिलता। न ही वह फ्री मिलने वाले राशन का लाभ उठा पाते हैं।
यह लोग कई बार मऊ डाक खाना और बैंक भी आधार कार्ड बनवाने के लिए गए। लेकिन हर बार बस पैसे खर्च हुए पर आधार कार्ड नहीं बना। कई बार उनसे निवास या वोटर आईडी आधार कार्ड बनवाने के लिए माँगा जाता है तो कभी प्रधान से प्रमाण लाने को कहा जाता है। इनका कहना है कि वह कागज़ बनवाते-बनवाते थक गए हैं। हर जगह बस तारीख दे दी जाती है पर कभी नंबर नहीं आता। हर बार ये लाओ वो लाओ में उनका आधार कार्ड नहीं बन पाता। इसी वजह से वह इस बार पंचायती राज चुनाव में वोट भी नहीं डाल पाए क्यूंकि उनके पास कोई प्रमाण पत्र ही नहीं है।
गांव सुरौधा के पवन का कहना है कि अगर वह मनरेगा में काम भी करने जाए तो किसके खाते में पैसे डलवाएं। आधार कार्ड के बिना वह बेरोज़गार बैठे हैं।
नहीं लेते पैसे – मऊ बैंक के मित्र
मऊ बैंक के मित्र जीवन कंप्यूटर ऑपरेटर शिवकुमार का कहना है कि वोटर आईडी या निवास प्रमाण पत्र आधार कार्ड बनवाने में लगता है। एक दिन में तीस या पैंतिस लोगो के आधार कार्ड बनाये जाते हैं। लोग पहले दिन आते हैं तो उन्हें टोकन दिया जाता है। वह कहते हैं कि वह लोग पैसे नहीं लेते बस कागज़ात की जांच की जाती है।
सरकार के अनुसार आधार कार्ड व्यक्ति की पहचान बताता है पर जिनके आधार कार्ड अभी तक बने नहीं, क्या उनकी कोई पहचान नहीं है? लोगों द्वारा आधार कार्ड बनवाने के लिए हर रोज़ जद्दोजेहद की जा रही है। उन्हें रोज़गार नहीं मिल रहा। इसकी जवाबदेही कौन देगा?
इस खबर की रिपोर्टिंग सुनीता देवी द्वारा की गयी है।
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