खबर लहरिया Blog चित्रकूट – गंदे नाले से फैल रही बीमारी फिर भी नहीं सुनते अधिकारी

चित्रकूट – गंदे नाले से फैल रही बीमारी फिर भी नहीं सुनते अधिकारी

नाला ना बनने से गांव में बीमारियों की संख्या बढ़ गयी है। लेकिन अधिकारी अब भी चुनाव खत्म होने के इंतज़ार में है कि चुनाव के बाद ही काम होगा।

dirty ponds

गाँव का गन्दा नाला (साभार- खबर लहरिया)

चित्रकूट जिले के ब्लॉक कर्वी के गांव बनकट के पुरवा नई दुनिया में रहने वाले लोग नाली की समस्या से जूझ रहे हैं। गांव में तकरीबन 150 दलित समुदाय के परिवार रहते हैं। वहां एक खुला नाला है। जिसकी चौड़ाई लगभग 8 फुट और लंबाई 500 मीटर है।

जानकारी के अनुसार, यह नाला लगभग 15 साल पहले मायावती की सरकार ने जिला पंचायत के तहत बनवाया था।

लोगों का कहना है कि नाले का पानी उनके घरों में घुस जाता है। उनके कच्चे मकान हैं और पानी भरने की वजह से वह ढह जाते हैं। बरसात के दिनों में लोग अपने ही घरों में ईंट रख-रखकर रास्ता बनाते हैं क्योंकि पानी घर में ही जमा हो जाता है। सारा राशन भी खराब हो जाता है। नाले को बंद करवाने के लिए लोगों ने कई बार तहसील और जिला पंचायत अधिकारी को भी शिकायत की। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

समस्या को लेकर लोगों दी राय

(साभार- खबर लहरिया)

देवकी जिनकी उम्र लगभग 60 साल है। वह कहती हैं कि उनके घर कोई भी मेहमान नहीं रुकता। घर के बगल में ही नाला है और उससे बहुत बदबू आती है। जिससे कोई रुकना ही नहीं चाहता। गंदगी से मच्छर भी हो जाते हैं यानी कि बीमारियों को बुलावा देना। इससे बुखार, मलेरिया डेंगू आदि जैसी बीमारियां तो होती ही है। उसके साथ-साथ गंदे नाले की वजह से सांप भी उनके घर मे घुस जाते हैं।

प्रेमा देवी

प्रेमा देवी और मनीषा आरोप लगाते हुए कहती हैं क्योंकि वे दलित हैं। इसलिए प्रशासन उनकी तरफ़ नहीं देखती। कुछ भी कहो, कोई फर्क नहीं पड़ता। वह आगे कहती हैं अगर उनकी जगह बड़ी मानी जाने वाले जाति के लोग होते तो कब का नाला बन गया होता। सफ़ाई भी रोज़ होती। “हम तो इंसान ही नहीं हैं, मरे चाहें जियें।”

कैलाश और रामप्रसाद कहते हैं कि अगर हल्की सी भी बारिश हो जाये। फिर न रास्ता दिखता है न कुछ और। बस घुटनों तक पानी भर जाता है। यहां न तो कोई अधिकारी आता है और न ही उनकी बात सुनता है।

चुनाव के बाद होगा काम – जिला पंचायत अधिकारी

सुरेंद्र कुमार वर्मा जिला पंचायत अधिकारी का कहना है कि नाला बनाना उनके कार्य योजना में नहीं है। लोगों ने शिकायत पत्र तो दिए हैं। अभी तो जिला पंचायत बंद है। जो भी होगा चुनाव के बाद ही होगा। जो भी चुनाव जीतेगा। उसके साथ मीटिंग कर प्रस्ताव रखा जाएगा और नाले के लिए बजट पास कराया जाएगा।

यूं तो साल 2014 से भारत में स्वछता अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में स्वछता के पूर्ण संसाधन मुहैया ही नहीं कराये गए हैं। क्या इसे ही विकास कहा जाता है जहां लोग बदबू युक्त जगह में रहने के लिए मजबूर हैं? जहां बीमारियों का डेरा है? जहां लोगों की शिकायतों को सुनने वाला कोई नहीं? जहां आबादी यह सोचती है कि क्योंकि वह पिछड़े हुए हैं इसलिए उनके काम नहीं हो रहे। उन्हें यह सोचने के लिए किसने मज़बूर किया?

इस खबर को खबर लहरिया के लिए नाज़नी रिज़वी द्वारा रिपोर्ट किया गया है।