खबर लहरिया Blog छत्तीसगढ़: संकट में बस्ती के लोगों का सहारा बना संगठन

छत्तीसगढ़: संकट में बस्ती के लोगों का सहारा बना संगठन

बच्चों को कुपोषण ने जकड़ रखा है। यहाँ तक की महिलाएं भी कुपोषित हैं। आंगनबाड़ी होते हुए भी इस बस्ती के बच्चों को उनका लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।

सोचिए! अगर किसी बस्ती में बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएँ न हो तो वहां के लोग कैसे अपना गुजारा करेंगे? जहाँ कमाने का कोई जरिया न हो, खाने-पीने की भी समस्या हो ऐसे में वहां के लोगों का जीवन कैसे होगा? आज हम जिस बस्ती के बारे में आपको बताने जा रहे हैं यहाँ के बच्चों को कुपोषण ने जकड़ रखा है। यहाँ तक की महिलाएं भी कुपोषित हैं। आंगनबाड़ी होते हुए भी इस बस्ती के बच्चों को उनका लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। मतलब कहा जा सकता है की स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है।

ऐसे में कुछ संगठन इन लोगों की आवाज बनकर सामने आते हैं। उनके अधिकारों से रूबरू करवाते हैं।

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के भिलाई शहर के अंदर आने वाले राजीव नगर (अनुसुइया नगर) जो कई कंपनियों से घिरा हुआ है। यहाँ लगभग 200 लोग बसे हुए हैं और वे मजदूर हैं। पहले ये लोग दुर्ग जिले के चरोदा नगर निगम में किराये के मकान में रहते थे। वर्तमान में यह लोग राजीव नगर जो भिलाई नगर निगम में आता है वहां झोपडी बनाकर रह रहे हैं। दोनों नगर निगम के तरफ से इस बस्ती में विकास का कोई काम नहीं किया गया, हाँ एक काम जरूर हुआ उनको वह बस्ती खाली करने का आदेश दे दिया गया है।

ये भी देखें – छतरपुर : महंगाई में हाथों से फसल काट रहें किसान

छत्तीसगढ़ प्रधानमंत्री आवास योजना 2022 के लिए जरुरी दस्तावेज

छत्तीसगढ़ प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए छत्तीसगढ़ के निवासी अगर आवेदन करना चाहते हैं तो उनको कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। उन सभी दस्तावेजों को नीचे दिया गया है।

आवास से सम्बंधित दस्तावेज़

आधार कार्ड
आईडी कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, राशन कार्ड
मोबाइल नंबर
बैंक अकाउंट नंबर
जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र

वैसे तो सरकार का कहना है कि वह गरीबों को आवास योजना के तहत घर बना कर दे रही है और घर- घर में शौचालय बनवाया जा रहा है लेकिन इस बस्ती के लोगों के लिए ऐसी कोई सुविधा नहीं मिली है। कुछ लोग के घरों के ऊपर अब तक छत भी नहीं है वह अपने घरों के ऊपर बोरा या प्लास्टिक डाल कर रह रहे हैं। 2020 में जब कोविड का समय था, सारी फैक्ट्रियां बंद थी सारे मजदूरों के साथ इस बस्ती में भी खाने के राशन की दिक्कत बहुत बढ़ गई थी।

ये भी देखें –  वाराणसी: इको-फ्रेंडली पानी का मटका बुझाएगा पक्षियों की प्यास

मुक्ति मोर्चा संगठन बना सहारा

2020 में जब कोविड महामारी से लोग ग्रसित थे तब सरकार द्वारा इस बस्ती को तोड़ने का आदेश ज़ारी हुआ। और उस सरकारी जमीन में बस्ती तोड़ कर एक और बड़ी कंपनी का निर्माण करने का आदेश जारी हुआ था। जब यह बात छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा को पता चली तो लोगों को संगठित कर आंदोलन शुरू किया गया। लोगों के अनुसार एक दिन बिना जनकारी दिये उस बस्ती के ऊपर बुलडोजर चलवा दिया गया। लोग रोते रहे अपने घर अपने मेहनत से कमाए सामान के लिए, फिर भी बस्ती के कुछ घरों को जबरदस्ती तोड़ दिया गया और उसके बदले कोई दूसरा घर या आवास योजना जैसा कोई लाभ नहीं दिया गया छत्तीसगढ़ के रहने वाले निवासी जो बहुत गरीब हैं और जिनके पास घर नहीं हैं उनको घर दिलाने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना स्कीम चलाई है। जिसके माध्यम से गरीब परिवार को पक्के घर सस्ते ब्याज दरों में मिलते हैं। इस योजना की शुरुआत जून 2015 में की गई थी। यह योजना ग्रामीण तथा शहरी दोनों क्षेत्रों में लागू किया गया है।

छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा जैसे कई जन संगठन एक साथ मिल कर बस्ती टूटने के खिलाफ कई आंदोलन किये और जीते भी? बिलासपुर हाइकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद बस्ती को तोड़ने के खिलाफ कोर्ट से स्टे मिला जो आज तक जारी है।

यहां तो लोगों को संगठन का साथ मिल गया पर कई ऐसे गांव, बस्ती और कस्बे हैं जहाँ लोगों की आवाजों को उठाने वाला कोई नहीं है। जहाँ लोग खुद ही अपनी आवाज उठाते हैं लेकिन वह आवाजें प्रशासन के कानों तक नहीं पहुँच पाती और वह अधिकारों से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में जब सरकार यह कहती है कि उनकी योजनाओं का लाभ हर तबके तक पहुँच रहा है तो आखिर वह किसकी बात कर रही है?

इस खबर की रिपोर्टिंग खबर लहरिया के लिए छत्तीसगढ़ से रचना द्वारा की गयी है।

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें
If you want to support our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our premium product KL Hatke