खबर लहरिया जवानी दीवानी वाराणसी के महात्मा काशी विधापीठ में मनाई गयी चन्द्रशेखर आजाद जयंती

वाराणसी के महात्मा काशी विधापीठ में मनाई गयी चन्द्रशेखर आजाद जयंती

जिला वाराणसी महात्मा काशी विधापीठ के छात्रों ने आज चन्द्रशेखर आजाद की पुण्य तिथि पर मनाया जो कि लगभग पचास लोग मौजूद थे ।

देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वाले क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद जब पहली बार अंग्रेजों की कैद में आए तो उन्हें 15 कोड़ों की सजा दी गई थी. आजादी को लेकर उनका जज्बा ऐसा था कि वो पीठ पर कोड़े खाते रहे और वंदे मातरम् का उद्घोष करते रहे.
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14 साल की ही उम्र में वो गिरफ्तार हुए और जज के समक्ष प्रस्तुत किए गए. यहां जज ने जब उनका नाम पूछा तो पूरी दृढ़ता से उन्होंने कहा कि आजाद. पिता का नाम पूछने पर जोर से बोले, ‘स्वतंत्रता’. पता पूछने पर बोले  -जेल. इस पर जज ने उन्हें सरेआम 15 कोड़े लगाने की सजा सुनाई. ये वो पल था जब उनकी पीठ पर 15 कोड़े बरस रहे थे और वो वंदे मातरम् का उदघोष कर रहे थे. ये ही वो दिन था जब से देशवासी उन्हें आजाद के नाम से पुकारने लगे थे. धीरे धीरे उनकी ख्याति बढ़ने लगी थी

चंद्रशेखर आजाद कहते थे कि ‘दुश्मन की गोलियों का, हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे’ उनके इस नारे को एक वक्त था कि हर युवा रोज दोहराता था. वो जिस शान से मंच से बोलते थे, हजारों युवा उनके साथ जान लुटाने को तैयार हो जाता था.

यहा के लोगों का कहना है कि हम आज चन्द्रशेखर आजाद को लेकर सभी छात्रों ने उनकी पुण्य तिथि को मनाया जा रहा और खास बात यह है

कि चन्दसेखर आजाद ने कम उम्र में देश के लिए एकअपनो को कुरबान कर दिया और । आज हम लोग हैं तो समाज में चल रहे हैं और अपनी इछाओ को पुरा करने के लिए हमे पुरा हक मिला है और आज तो जो सहीद होगये है वह हमारे लिए एक भगवान से कम नहीं है यही सोच के हम लोगो ने आज चन्दसेखर आजाद का पुण्य तिथि मनाया जारहा है