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बाँदा: क्यों महिलाएं नहीं बन सकती जिला अध्यक्ष?

बांदा जिले में राजनीतिक पार्टियों ने अब तक महिलाओं को जिलाध्यक्ष का पद संम्भालने के लिए मौका नहीं दिया। पता नहीं क्यों महिलाएं नहीं बन पाती अध्यक्ष | इस बारे में हमारी रिपोर्टर ने थोडा सर्च किया

भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी की अंदर हाल में ही नए जिलाध्यक्ष बनाये गए। जहां 25 जनवरी 2020 को भारतीय जनता पार्टी के नए जिलाध्यक्ष रामकेश निषाद जो 21वे जिलाध्यक्ष चुना गया वहीं 20 अक्टूबर 2019 को कांग्रेस पार्टी के नए जिलाध्यक्ष राजेश दीक्षित 18वें जिलाध्यक्ष बनाये गए। कांग्रेस कार्यालय में लगी नामलिस्ट के हिसाब से कांग्रेस पार्टी का पहला जिलाध्यक्ष 1919 में चुना गया था। तब से इस पद का चुनाव होता चला आ रहा है।

बांदा से भारतीय जनता पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए लंबी फेहरिस्त थी, पहले से कार्यकारी अध्यक्ष रहे लवलेश सिंह सहित आधा दर्जन दावेदार लाइन में लगे रहे लेकिन पार्टी हाईकमान ने पिछड़े वर्ग के रामकेश निषाद को प्राथमिकता देते हुए उन्हें अध्यक्ष बनाया।29 जनवरी 2020 को शहर में काफिला निकाल कर उनका स्वागत किया गया। जिसमें बड़ी बड़ी होडिंग, बैनर शहर भर में लगाये गए।महिला सशक्तिकरण और राजनितिक खेल, जानिए तीन तलाक के सारे पहलू

लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी भाजपा की सूची में  किसी महिलाएं नहीं  शामिल थी  टिकट की क़तार में  तरह अन्य राजनीतिक दलों द्वारा भी उपेक्षा की गई थी। वर्तमान में बुन्देलखण्ड की साध्वी निरंजन ज्योति एकमात्र महिला हैं जो इस समय फतेहपुर से सांसद है इसी तरह बांदा में प्रभा गुप्ता को को राज्य महिला आयोग का सदस्य बनाकर महिलाओं को संतुष्ट करने की कोशिश की गई है।

सभी राजनीतिक दल शुरू से ही महिलाओं की उपेक्षा करते रहे हैं, इस सांत्वना और बात के साथ कि पार्टी के अंदर महिलाओं के सम्मान का बहुत ध्यान रखा जाता है। महिलाओं को प्राथमिकता दिया जाता है चाहे संबंधित पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष महिला ही क्यों न हों।