जिला बांदा| चित्रकूटधाम मंडल में धान खरीद फरवरी तक होनी है,लेकिन खरीद केन्द्रों में किसानों का खरीदा गया धान इतना ज्यादा पहले से ही गोदमों में डंप है कि जगह और बारदाना न होने के कारण केन्द्र प्रभारी किसानों का धान नहीं खरीद रहे|
जबकि अभी 60 फीसदी धान तो किसानों के घरों में ही पड़ा है और खरीद के लगभग 40 दिन ही बचे हैं| जिससे किसानों कि परेशानी और भी बढ़ गई हैं| किसानों का कहना है कि अतर्रा मण्डी सहित कई खरीद केन्द्रों में धान बेचने के लिए किसानों को चार-चार दिन घर का काम-काज छोड़ कर मण्डी में पड़े रहना होता है| केन्द्र प्रभारी कहीं बारदाना न होने कि बात करते हैं तो कहीं जगह न होने कि हीला-हवाली कर रहे हैं|छतरपुर और अयोध्या में समाधान दिवस में लोगों ने रखी अपनी मांगे, दिया ज्ञापन
जिसके चलते किसान मजबूरी में आ कर प्राइवेट में बिचौलियों को धान बेच रहा है| साथ ही किसानों को रुकने के लिए भी कोई सुविधा नहीं होती, लेकिन अपना माल ताकने के लिए पड़े रहते हैं और किसानों का ये भी कहना है कि अगर किसी तरह धान बिक भी जाता है तो पैसे के लिए दो-दो चार-चार महीने चक्कर लगाने पडते है,पल्लेदारी भी ज्यादा लगती है| कई तरह कि कमिया निकाली जाती हैं और
अगर उसी धान में किसान सौ-दो सौ रूपये कमिसन दे देता है तो जल्दी तौल हो जाती है पैस भी समस से मिल जाता है और उसका धान सबसे अच्छा मना जाता है, लेकिन किसान सरकारी केन्द्रों में इस लिए आते हैं कि रेट अच्छा मिलता है और पैसा भी जल्दी मिल जाए| क्योंकि किसान तो इसी लिए अपनी फसल को जल्दी बाजार दिखता है कि उसे पैसे की जरुरत होती है, क्योंकि दुसरी बोवाई के खाद बीज पलेवा का खर्च होता है साथ ही घर के अन्य खर्च होते हैं पर जब समस से केन्द्रों में धान न खरीदा गया और पैसा न मिला दो घटा हो या मुनाफा प्राइवेट में ही बेचते हैं|