खबर लहरिया Blog बांदा : समय से पहले बढ़ रहा तापमान, गेहूं की फसल पर पड़ रहा असर

बांदा : समय से पहले बढ़ रहा तापमान, गेहूं की फसल पर पड़ रहा असर

डॉ. दिनेश ने कहा, हवाओं की दिशा बदल गयी हैं। दक्षिणी हवाएं गर्म होती है, उत्तरी हवा होती तो ठीक था। फसलों के लिए इस समय तापमान 28 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए जोकि बुंदेलखंड में 33 डिग्री सेल्सियस है। ऐसे में फसलों की सिंचाई समय से नहीं करने पर किसानों को नुकसान हो सकता है।

बांदा। बांदा के कृषि विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. दिनेश ने बताया कि पिछले 10 दिनों से दिन का तापमान मार्च के बराबर हो गया है। बढ़े हुए तापमान की बजह से सबसे ज़्यादा असर फसलों व सबसे अत्याधिक गेहूं की फसल पर देखने को मिल रहा है।

गेहूं में अभी बाली निकल रही है। रात का तापमान तो उनके लिए ठीक है लेकिन दिन के बढ़े तापमान से बालियों के सूखने का भय है। ऐसे में जिन किसानों के पास पानी की सुविधा है उनसे एक या दो दिन में एक घंटे मोटर चलाकर उन्हें खेत में पानी छोड़ने की सलाह दी जा रही है। वहीं जिन किसानों के पास पानी की उतनी सुविधा नहीं है, वह थोड़ा-थोड़ा पानी दे सकते हैं।

ये भी देखें – चित्रकूट : ओहन बांध से पानी छोड़े जाने से किसानों की फसलें हुई बर्बाद

गर्म हवाएं पहुंचा रहीं नुकसान

डॉ. दिनेश ने आगे कहा, हवाओं की दिशा बदल गयी हैं। दक्षिणी हवाएं गर्म होती है, उत्तरी हवा होती तो ठीक था। फसलों के लिए इस समय तापमान 28 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए जोकि बुंदेलखंड में 33 डिग्री सेल्सियस है। ऐसे में फसलों की सिंचाई समय से नहीं करने पर किसानों को नुकसान हो सकता है।

बढ़ते तापमान से किसान चिंतित

खबर लहरिया ने बढ़ते तापमान की वजह से खराब होती फसलों को लेकर कुछ किसानों से बात की। बाँदा जिले के नरैनी ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले नौगवां गांव के किसान दयाराम रैकवार ने कहा, उनके गांव में 90 प्रतिशत किसान हैं जो कृषि के सहारे ही अपना परिवार चलाते हैं। एक तो इस साल ठंड ही कम हुई है दूसरा तापमान समय से पहले बढ़ने लगा जिससे फसलों पर भारी असर पड़ेगा।

वह खुद एक किसान हैं। उन्होंने 4 बीघे खेत में गेहूं बोया है। गेहूं होली के बाद पकता है, लेकिन गर्म हवाओं और बढ़ते तापमान की वजह से अभी से गेहूं में रूखापन शुरू हो गया है। उनको उम्मीद थी कि 4 बीघे खेत में 60 मन गेहूं पैदा होगा। अब 40 से 45 मन गेहूं ही हो जाए तो बड़ी बात है क्योंकि उनके यहां सिंचाई का भी इतना ज़्यादा साधन नहीं है। जिनके पास खुद के ट्यूबवेल है वह फिर भी किसी तरह पानी दे पाएंगे और खेतों में नमी बना पाएंगे।

जो गरीब किसान हैं उनके पास इतना पैसा नहीं है कि वह बराबर खेत में नमी बनाए रखने के लिए पानी दे सकें। उनकी फसल तो बर्बादी हो जाएंगी और पैदावार भी कम होगी। ऐसे में गरीब परिवार जो 1 या 2 बीघे में अपने साल भर के खाने का जुगाड़ करने की उम्मीद लगाए बैठे हैं उन्हें बहुत मुश्किल आएगी।

गेहूं की पत्तियां पड़ी पीली

तिन्दवारी के किसान राजेन्द्र द्विवेदी ने बताया, बढ़ते तापमान के कारण जिन फसलों में फूल लगा हुआ है उसमें माहू लगने लगी है। माहू एक ऐसा कीड़ा है, जो फसल को बर्बाद करके रख देता है। इससे किसान चिंतित हो रहे हैं कि कैसे अपनी फसल को बचाएं।

बोई फसल से नुकसान का भय

पड़मई गांव की महिला किसान कमला कहती हैं, नरैनी धनहा क्षेत्र है यहां वैसे भी फसल लेट बोई जाती है क्योंकि धान की नवंबर तक कटाई होती है। उसके बाद खेत खाली होते हैं तो कहीं दिसंबर तक गेहूं की बुवाई हो पाती है। धान के खेत में गेहूं की पैदावार वैसे भी कम होती है लेकिन फिर भी लोग अपने खाने भर का जुगाड़ तो कर ही लेते हैं।

बढ़ते तापमान से सुदृढ़ किसान कहीं न कहीं सुविधाओं की पहुंच की वजह से अपनी फसलों को बचा पाएंगे। बढ़ते तापमान से सबसे ज़्यादा खतरा गरीब व मध्यमवर्गीय किसानों पर होता नज़र आ रहा है।

इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है। 

ये भी देखें – महोबा : इस गाँव में होती है बेहतरीन अचार वाली ‘लाल मिर्च’ की खेती

 

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our premium product KL Hatke