भारत में त्यौहार हो या शादी, हर अवसर पर कुछ न कुछ मज़ेदार खाने को मिल ही जाता हैं और लोग भी खूब चटकारे लेकर इन व्यंजनों का मज़ा लेने से नहीं चूकते। बाँदा शहर के ब्लॉक तिन्दवारी में ऐसी परम्परा है जो काफी समय से चली आ रही हैं। यहाँ शादियों में दो व्यंजन ऐसे बनते हैं, जो अगर न बने तो वह शादी नहीं मानी जाती। इन वव्यंजनों का नाम माठ लड्डू और गूना हैं । यह दोनों चीज़े देसी वह शुद्ध चने के बेसन और सत्तू से बनती हैं।
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ऐसा माना जाता है कि इन व्यनजनों को अगर लड़की के साथ उसके ससुराल भेजा जाता है तो वह शुभ माना जाता है। यह व्यंजन केवल शादियों में ही बनते हैं और लड़की के मायके से बनकर उसके साथ ससुराल भेजे जाते हैं।
वैसे आज कल शादी, त्यौहार मैरिज हाल में होने लगी है, और इनका फैशन भी बदल गया है लेकिन कुछ चीज़े ऐसी है जिनकी परम्परा आज भी कायम है , जैसे यहाँ के माठ लड्डू और गूना ।
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घर के बड़े-बूढ़े तो इस प्रथा को मानते ही है, नवजवान लोग भी इस प्रथा में काफी विश्वास रखते हैं। वहाँ के निवासी रितेश कुमार गुप्ता का कहना है कि ये दोनों व्यजन जितना शादियों में खाने में अच्छे लगते है, उतना अगर इन्हे आम दिनों में बनाया जाए तो इनके स्वाद में कमी लगती है, चाहे जितने भी अच्छे क्यूँ न बने हो। वह कहते है कि कुछ चीज़े समय के हिसाब से सही लगती है। अलग स्थानों पर अलग चीज़ों की बात ही कुछ और होती है।
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