खबर लहरिया खेती बाँदा: किसानों पर भारी पड़ रहा अन्ना जानवरों का आतंक

बाँदा: किसानों पर भारी पड़ रहा अन्ना जानवरों का आतंक

जिला बांदा। 2 ग्राम पंचायतों नरैनी ब्लॉक का गांव पिपरहरी और महुआ ब्लॉक का गांव मुँगौरा के बीच फसे दशरथ पुरवा के किसान अन्ना पशुओं से 10 साल से परेशान हैं। इस परेशानी से तंग आकर किसानों ने 2022 के विधानसभा चुनाव में चुनाव बहिष्कार किया और मांग की थी कि उनके गांव में जल्द से जल्द गौशाला बनवाया जाए। वोटिंग ना रुके इसको देखते हुए पूरा प्रशासन वहां इकट्ठा हो गया और उन्हें आश्वासन दिया गया कि 1 महीने के अंदर उनके गांव का गौशाला बनकर तैयार हो जाएगा लेकिन आज 3 महीने बीत चुके अभी तक गौशाला नहीं बना। किसानों को दूसरी फसल की बुवाई का समय आ गया है जिससे किसान चिंतित है और बार-बार विभाग के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल रहा।

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गांव के श्री कृष्ण यादव बताते हैं कि उनके लगभग 18 बीघे जमीन है जिससे उनका पूरा परिवार चलता है। कृषि ही एकमात्र व्यवसाय है लेकिन अन्ना पशुओं के चलते उनकी पूरी फसल नष्ट हो जाती है। जिससे परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कई बारी गौशाला की मांग की। यहां तक कि हेल्पलाइन नंबर में शिकायत भी दर्ज की लेकिन कुछ नहीं हुआ। जब वोटिंग का समय आया तो पूरा गांव एक होकर चुनाव बहिष्कार करने लगा। सारे अधिकारी आए और आश्वासन दे गए कि 1 महीने के अंदर गौशाला बन जाएगा। किसानों के हिसाब से गौशाला की जमीन भी चयनित हो गई है और बजट भी पास हो गया है, लेकिन सिर्फ एक तरफ इंगल गड़वा के छोड़ दिया गया है।

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किसान नंद किशोर शुक्ला कहते हैं कि उनके गांव में 90% किसान हैं और इसी से उनका परिवार पलता है। कहते हैं ना कि भारत एक कृषि प्रधान देश है लेकिन किसानों की क्या मजबूरी है यह कोई सुनने वाला नहीं है। किसानो का कहना है कि उनकी बुवाई के समय आने के पहले गौशाला बनकर तैयार नहीं हुआ तो वह धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।

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