खबर लहरिया Blog बांदा : किसान ने ज़हर खाकर दी जान, मौत की वजह अपष्ट, रुका मुआवज़ा

बांदा : किसान ने ज़हर खाकर दी जान, मौत की वजह अपष्ट, रुका मुआवज़ा

गोपरा गांव के लेखपाल इंद्रपाल ने कहा, मामला झूठा पाया गया है। वहां पर ओलावृष्टि नहीं हुई है, ना ही उनकी फसल खराब हुई है। खेत में जाकर भी जांच की गई है और गांव के लोगों द्वारा भी बताया गया है कि यहां पर ओला नहीं पड़ा। किसी की फसल बर्बाद नहीं हुई है।

Banda news, Farmer dies after consuming poison, cause of death unknown, compensation stopped

                                                                                            मृतक किसान रमेश का परिवार व गांव के लोग

ओलावृष्टि और बारिश से चौपट हुई फसल को देख बांदा जिले के एक किसान ने आत्महत्या कर ली तो वहीं लेखपाल ने इसे झूठा बताते हुए आत्महत्या की वजह पारिवारिक लड़ाई-झगड़े को कहा।

मामला बांदा जिले के कालिंजर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले रिठौली गांव का है। आरोप है की 50 वर्षीय मृतक किसान रमेश की ओलावृष्टि और बारिश से दो बीघे की फसल चौपट हो गयी थी जिसे देखकर वह सदमे थे और इसी वजह से उन्होंने 21 मार्च 2023 को ज़हरीला पदार्थ खा लिया। इलाज के दौरान अस्पताल में उनकी मौत हो गयी।

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लेखपाल ने मामले को कहा झूठा

मामले को लेकर खबर लहरिया ने गोपरा गांव के लेखपाल इंद्रपाल से बात की। उन्होंने बताया, रिठौली गांव की घटना में तहसीलदार और वह जांच के लिए गए थे। यह मामला झूठा पाया गया है। वहां पर ओलावृष्टि नहीं हुई है, ना ही उनकी फसल खराब हुई है। खेत में जाकर भी जांच की गई है और गांव के लोगों द्वारा भी बताया गया है कि यहां पर ओला नहीं पड़ा। किसी की फसल बर्बाद नहीं हुई है।

पीड़ित परिवार ने पहले बयान दिया था कि फसल खराब हुई है लेकिन जब उन्होंने खेत में फसल देखी तो सच्चाई जानी। इसके बाद परिवार द्वारा कहा गया कि हां लड़ाई-झगड़ा हुआ है। गांव के लोगों ने भी बताया कि लड़ाई-झगड़े में मारपीट हुई है इससे परेशान होकर के किसान ने जहरीला पदार्थ खाया है तो इसमें कोई मुआवज़े का प्रावधान नहीं है।

इस दौरान यह बात भी सामने आई कि ओलावृष्टि तो नहीं पर हाँ बारिश ज़रूर से हुई थी।

प्रशासन से परिवार को मदद की उम्मीद

मृतक किसान रमेश के भतीजे बहादुर ने बताया, उसके चाचा एक गरीब किसान थे। दो बीघा ज़मीन थी। उसी खेती से वह अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। खेत में चने की फसल बोई हुई थी। फसल पक कर तैयार थी। इसी बीच बारिश और ओलावृष्टि हो जाने से फसल चौपट हो गई। मंगलवार, 21 मार्च की सुबह मृतक रमेश फसल देखने खेत गए। वहां देखा तो चने की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी थी। यह देखकर उनको ज़ोर का सदमा लगा और उन्होंने खेत में ही ज़हरीला पदार्थ खा लिया और वहीं बेहोश हो गए।

दोपहर तक जब वह घर नहीं पहुंचे तो परिवार उनकी खोजबीन करते हुए खेत पहुंचा। देखा तो वह बेहोश अवस्था में पड़े हुए थे। सब लोग उन्हें उठाकर तुरंत ही नरैनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए। वहां डाक्टरों ने हालत नाजुक बताकर जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया।

आगे बताया, फिर उन्हें बांदा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई।

मृतक किसान के दो लड़के और दो लड़कियां हैं। इसी साल एक लड़की की शादी भी करना थी। इधर बेटी की शादी की चिंता और उधर फसल बर्बाद होने से परेशान होकर उन्होंने ये कदम उठाया है क्योंकि जो थोड़ा बहुत गल्ला खेत से मिलता नज़र आ रहा था, वो भी बर्बाद हो गया है।‌ वे लोग चाहते हैं कि प्रशासन से उन्हें कुछ मदद मिले ताकि आगे उनके बच्चों के लिए कुछ हो सके।

एक तरफ मृत किसान का परिवार प्रशासन से मुआवज़े की उम्मीद कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ लेखपाल ने मामले को झूठा कहते हुए मुआवज़े की उम्मीद को खत्म कर दिया है। कौन सच बोल रहा है, कौन झूठ, यह अभी भी अस्पष्ट है।

इस खबर की रिपोर्टिंग शिव देवी द्वारा की गयी है। 

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